
24 साल के विश्वजीत मलिक पश्चिम बंगाल के हावड़ा के रहने वाले हैं. वे कोरोमंडल एक्सप्रेस से शालीमार स्टेशन से चेन्नई के लिए यात्रा पर निकले थे. यह ट्रेन ओडिशा के बालासोर में मालगाड़ी से टकरा गई. हादसे में विश्वजीत को भी चोटें आईं, वे बेहोश हो गए. वे लाशों के ढेर के पास पड़े थे, तभी रेस्क्यू में जुटे लोगों में किसी ने उनके हाथ को हिलता देखा और उन्हें अस्पताल पहुंचाया. विश्वजीत अब खतरे से बाहर हैं. उनके पिता ओडिशा हादसे की दास्तां बयां कर भावुक हो गए.
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को ट्रेन हादसा हुआ था. इस हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है. 1100 से ज्यादा घायल हुए. लेकिन ट्रेन में यात्रा कर रहे सैकड़ों लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस भीषण हादसे के बावजूद मौत को मात दी है. ऐसी ही कहानी 24 साल के विश्वजीत मलिक की है. विश्वजीत के पिता हेलाराम मलिक ने दिल दहला देने वाली इस घटना को साझा किया. उन्होंने बताया कि कैसे वे अपने बेटे के पास पहुंचे?
हाथ हिलता देख लोगों ने अस्पताल पहुंचाया
हावड़ा में किराने की दुकान चलाने वाले हेलाराम मलिक ने बताया कि विश्वजीत रेलवे ट्रैक के किनारे शवों के ढेर के पास बेहोश पड़े थे. लेकिन जब विश्वजीत को होश आया, तो उनके हाथ का कुछ मूवमेंट हुआ. रेस्क्यू अभियान में जुटे लोगों का उनकी तरफ ध्यान गया तो देखा कि वे जिंदा हैं. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. अब विश्वजीत ठीक हैं और अपने पिता के साथ कोलकाता लौट आए हैं.
विश्वजीत तक कैसे पहुंचे हेलाराम?
हेलाराम बताते हैं कि उन्हें विश्वजीत ने एक अज्ञात नंबर से कॉल किया और बताया कि वह ट्रेन एक्सीडेंट में अस्पताल में भर्ती है. हालांकि, वह यह नहीं बता पाया कि कहां और किस अस्पताल में भर्ती है. इसके बाद वह नंबर स्विच ऑफ हो गया.
विश्वजीत की खबर पाकर हेलाराम अपने भाई के साथ हावड़ा से तुरंत रवाना हुए. वे 200 किलोमीटर की यात्रा करके बालासोर पहुंचे. लेकिन उनका उनके बेटे से संपर्क नहीं हो पाया. इसके बाद उन्होंने एक एक कर सभी अस्पतालों में अपने बेटे को खोजा, लेकिन विश्वजीत नहीं मिला.
हेलाराम जब अपने बेटे को खोज रहे थे, तभी उनके पास विश्वजीत का फिर फोन आया. उसने अस्पताल की सही जानकारी अपने पिता को दी. इसके बाद हेलाराम तुरंत अस्पताल पहुंचे और अपने बेटे से मिले. स्थानीय अस्पताल के ऑन ड्यूटी डॉक्टरों ने विश्वजीत के पिता से कहा कि वे उसे इलाज के लिए भुवनेश्वर रेफर करने वाले हैं, हालांकि हेलाराम ने कहा कि वे अपने बेटे को वापस कोलकाता लाना चाहते हैं.
विश्वजीत मलिक के पिता उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ले आए. विश्वजीत मलिक अब खतरे से बाहर हैं और उन्हें एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर यूनिट में एडमिट कराया गया है.