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15 दिनों तक इलाज के लिए भटकता रहा जख्मी युवक, मानवाधिकार आयोग के आदेश पर हुई सर्जरी

ओडिशा में 22 साल का एक युवक इलाज के लिए बीते 15 दिनों से भुवनेश्वर और कटक के अस्पतालों का चक्कर काट रहा था. करीब 10 अस्पतालों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया. इसके बाद उड़ीसा मानवाधिकार आयोग (OHRC) ने मंगलवार को इसमें हस्तक्षेप किया और आखिरकार घायल युवक का सफल ऑपरेशन किया गया.

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कई अस्पतालों ने घायल युवक का इलाज करने से किया इनकार (फाइल फोटो)
कई अस्पतालों ने घायल युवक का इलाज करने से किया इनकार (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओडिशा के कई अस्पतालों ने घायल युवक का इलाज करने से किया इनकार
  • मोबाइल चोरी के मामले में पड़ोसी ने युवक को मारा था चाकू
  • OHRC के दखल के बाद हुआ ऑपरेशन

ओडिशा में 22 साल का एक युवक इलाज के लिए बीते 15 दिनों से भुवनेश्वर और कटक के अस्पतालों का चक्कर काट रहा था. करीब 10 अस्पतालों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया. इसके बाद ओडिशा मानवाधिकार आयोग (OHRC) ने मंगलवार को इसमें हस्तक्षेप किया और आखिरकार घायल युवक का सफल ऑपरेशन किया गया. 

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पीड़ित के भाई द्वारा अपील पर OHRC ने कार्रवाई की. OHRC ने एक अस्पताल को ये मामला देखने का निर्देश दिया और मंगलवार रात पीड़ित का ऑपरेशन किया गया.

याचिकाकर्ता पबित्रा नायक के अनुसार, भुवनेश्वर निवासी उनके भाई रंजीत नायक को पड़ोसी ने 8 सितंबर को मोबाइल चोरी के मामले में चाकू मार दिया था. घायल युवक की स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने के बाद पुलिस ने उसके माता-पिता से अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा. 

मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रदीप प्रधान ने कहा कि घायल युवक को दो सरकारी अस्पतालों और छह निजी अस्पतालों में ले जाया गया, लेकिन प्रवेश से वंचित कर दिया गया. 8 और 9 सितंबर की रात में परिवार युवक के इलाज के लिए कई अस्पताल भटका, लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया, जबकि पीड़ित दर्द से जूझ रहा था. अगले एक सप्ताह तक परिवार के सदस्यों ने विभिन्न अस्पतालों में बार-बार अनुरोध किया, लेकिन व्यर्थ ही रहा. 22 सितंबर को, OHRC ने दखल किया. 

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प्रदीप प्रधान ने कहा कि हमें नहीं पता कि क्यों भुवनेश्वर और कटक के अस्पतालों ने इलाज से इनकार कर दिया. हो सकता है कोरोना के डर के कारण ऐसा किया हो. महामारी के छह महीने बाद, सरकार को ऐसे मामलों को संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए था.

 

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