जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला अपनी पत्नी पायल से जल्द तलाक चाहते हैं. इस मामले में उमर अब्दुल्ला की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है.
हाईकोर्ट में मामला वर्षों से लंबित रहने से उकता गए उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर पूछा कि आखिर देरी क्यों हो रही है? इस मामले में दो हफ्ते के बाद अगली सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
उमर अब्दुल्ला की ओर से कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि इस वैवाहिक विवाद में दूसरा पक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अंतिम सुनवाई जल्द करने के लिए अपनी सहमति नहीं दे रहा है. इसलिए मामला 2017 से अटका पड़ा है.
पीठ ने सिब्बल से कहा, 'क्या हम किसी को भी अपनी सहमति देने के लिए मजबूर कर सकते हैं? दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 26 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबंधित परिपत्र जारी किया था. उसे चुनौती देने वाली उमर अब्दुल्ला की याचिका पिछले साल तीन नवंबर को खारिज है गई थी. उसमें उमर अब्दुल्ला ने दलील दी थी कि सुनवाई अदालत के 2016 के एक आदेश के खिलाफ है जबकि उनकी विवाह संबंधी अपील फरवरी 2017 से अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है.
कोविड-19 संकट और लॉकडाउन के दौरान अदालतों में वर्चुअल सुनवाई के साथ-साथ अन्य सीमित कामकाज की वजह से इस पर सुनवाई नहीं हो सकी.
उमर अब्दुल्ला और पायल की शादी 1994 में हुई थी. दो बच्चे हुए और 15 साल बाद 2009 में दोनों अलग हो गए. मामला लंबित रहने के पीछे की वजह ये रही कि उमर अब्दुल्ला से अलग हो चुकीं पत्नी पायल ने डिजिटल कार्यवाही के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. उमर अब्दुल्ला की दलील थी कि अलग रह रहीं अपनी पत्नी से सहयोग नहीं मिलने के कारण मामले में खामख्वाह देरी हो रही है.