केंद्र सरकार ने ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट के लिए ‘वन नेशन-वन पॉलिसी’ लागू करने का फैसला किया है. इसको लेकर सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जीवन जीने के अधिकार को ध्यान में रखते हुए ये पॉलिसी तैयार की गई है. देश में ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा देने में यह पॉलिसी काफी महत्वपूर्ण साबित होगी.
पहले राज्यों की ऑर्गन डोनेट पॉलिसी में जरूरतमंद को ऑर्गन लेने के लिए स्थानीय प्रमाण-पत्र की जरूरत होती थी. वह केवल अपने ही राज्य में ऑर्गन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता था. अब केंद्र सरकार ने इस नियम को खत्म करने का फैसला किया है. अब जरूरतमंद व्यक्ति देश के किसी भी राज्य में जाकर ऑर्गन लेने के लिए रजिस्टर कर सकेगा और ट्रांसप्लांट भी करवा पाएगा.
सेंट्रलाइज्ड वेटिंग लिस्ट होगी तैयार
इसके अलावा सरकार ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए सेंट्रलाइज्ड वेटिंग लिस्ट तैयार करने का प्लान बनाया है. इससे जरूरतमंद को ऑर्गन मिलने में आने वाली परेशानियां काफी कम होंगी. पुराने नियमों के हिसाब से व्यक्ति अपने ही राज्य में ऑर्गन ले सकता था, लेकिन अब वह किसी भी राज्य में रजिस्ट्रेशन करवा सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय इस पॉलिसी को लेकर दूसरे राज्यों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है.
उम्र की पाबंदी हटी
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) की गाइडलाइंस के मुताबिक, 65 साल से अधिक आयु के लोगों के ऑर्गन लेने पर पाबंदी थी, जिसे हटा लिया गया है. भारत सरकार ने इस आयु सीमा को खत्म करने का फैसला लिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब किसी भी उम्र का व्यक्ति ऑर्गन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकेगा.
सरकार ने खत्म की फीस
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ राज्य ऑर्गन रजिस्ट्रेशन के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक की फीस लेते थे, जिनमें तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल शामिल हैं. इस फीस को अब खत्म कर दिया गया है. मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस फैसले के बारे में बताया है. मंत्रालय का कहना है कि जहां भी रजिस्ट्रेशन फीस ली जा रही है, उसे तुरंत ही बंद करवाया जाएगा.
देश में बढ़ रहा है ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट
देश में ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांट के लिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश भी की जा रही है. इसके बारे में स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जाएगा. बीते करीब 10 साल में ऑर्गन डोनेसन और ट्रांसप्लांट तेजी से बढ़ा है. केंद्र सरकार 'वन नेशन, वन पॉलिसी' के जरिए ऑर्गन डोनेशन और ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश कर रही है. अभी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पॉलिसी लागू है.
बता दें कि साल 2013 में 4,990 ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए थे. यह संख्या साल 2022 में बढ़कर 15,561 तक पहुंच गई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीवित डोनर से किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या 2013 में 3,495 से बढ़कर 2022 में 9,834 हो गई है. इसके अलावा मृतक डोनर से ट्रांसप्लांट की संख्या 542 से बढ़कर 1,589 तक पहुंच गई है.
इसके अलावा अगर लीवर ट्रांसप्लांट की बात करें तो साल 2013 में जीवित डोनर से 658 लीवर ट्रांसप्लांट हुए थे जोकि 2022 में बढ़कर 2,957 हो गई और मृत डोनर से ट्रांसप्लांट की संख्या 240 से बढ़कर 2022 में 761 हो गई है. वहीं हार्ट ट्रांसप्लांट की संख्या 30 से बढ़कर 2022 में 250 तक पहुंच गई है, जबकि फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की संख्या 23 से बढ़कर 138 हो गई है.