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एक देश-एक चुनाव में कहां फंसा पेच? लॉ कमीशन ने पैनल को बताया, पार्टियों को मिला 3 महीने का वक्त

विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने अपने कुछ सदस्यों के साथ एक साथ चुनाव कराने के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए समिति से मुलाकात की. पैनल ने देश में एक साथ चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं, इस पर विचार जानने के लिए विधि आयोग को आमंत्रित किया था. इस पर विस्तार से चर्चा की गई और यह भी समझा गया कि इसे लागू करने पर कहां पेच फंस सकता है.

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वन नेशन वन इलेक्शन पर हुई अहम बैठक (फोटो-PTI)
वन नेशन वन इलेक्शन पर हुई अहम बैठक (फोटो-PTI)

देश में चुनावी सुधारों के मद्देनजर विधि आयोग (Law Commission) ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व वाले पैनल के साथ 'वन नेशन, वन पोल' पहल पर चर्चा की. इस दौरान विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने अपने कुछ सदस्यों के साथ एक साथ चुनाव कराने के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए समिति से मुलाकात की.

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पैनल ने देश में एक साथ चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं, इस पर विचार जानने के लिए विधि आयोग को आमंत्रित किया था. इस पर विस्तार से चर्चा की गई और यह भी समझा गया कि इसे लागू करने पर कहां पेच फंस सकता है.

उधर, समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर राजनीतिक दलों के विचार जानने के लिए पत्र लिखा है. सूत्रों ने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पार्टियों को एक संदेश में, "परस्पर सहमत तिथि" पर उनके साथ बातचीत की मांग की गई है. पार्टियों को अगले तीन महीनों में अपने विचार लिखित रूप में भेजने का विकल्प भी दिया गया है.

आजतक/इंडिया टुडे से बात करते हुए, भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने कहा, "हमने एक राष्ट्र एक चुनाव पर सरकारी पैनल को विस्तार से अपनी प्रस्तुति दी है. हमने सभी हितधारकों के साथ इस विषय पर हुई विस्तृत चर्चा पर अपने विचार दिए हैं. हम अभी भी हमारी रिपोर्ट पर काम कर रहे हैं. इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है."

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प्रेजेंटेशन में शामिल थीं ये चीजें

बता दें कि यह बैठक तब हुई है जब पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के नेतृत्व वाला पैनल एक साथ चुनाव के प्रस्ताव पर अपनी रिपोर्ट तैयारी कर रहा है. सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि प्रेजेंटेशन में एक विस्तृत रोडमैप और सभी संवैधानिक बदलाव थे, जिनकी आवश्यकता एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने के लिए होगी.

बताया गया है कि विधि आयोग ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल को बताया है कि अगर इसे लागू किया जाता है तो क्या अड़चनें हैं.

विधि आयोग ने दोहराई पिछली रिपोर्ट

सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि विधि आयोग ने अपनी पिछली रिपोर्ट को दोहराया है, जिसमें 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को जल्द से जल्द लागू करने की संभावनाएं तलाशने की भी सिफारिश की गई है. साथ ही विधि आयोग ने भारत के चुनाव आयोग के साथ विस्तार से चर्चा की है और उसका मानना है कि आवश्यक समय सीमा के साथ वह ऐसी चुनावी प्रक्रिया को लागू और क्रियान्वित कर सकता है.

विधि आयोग पहले ही सभी हितधारकों के साथ संपर्क में है और अपनी रिपोर्ट तैयार करने के अंतिम चरण में है, जिसमें एक साथ होने वाले चुनावों की सुविधा के लिए सिफारिशें पेश करने की उम्मीद है.

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'पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव'

विधि आयोग के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने पहले इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा था कि एक साथ चुनाव संभव हैं और ये लागत प्रभावी होंगे. इस प्रकार के चुनाव पहले भी हुए हैं, इसलिए इसमें कुछ भी नया नहीं है. लेकिन हम विचार-विमर्श कर रहे हैं कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के सुचारू कार्यान्वयन के लिए वर्तमान संविधान में किन बदलावों की आवश्यकता है.

2018 में सौंपी गई थी मसौदा रिपोर्ट

बता दें कि 2018 में, केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी गई एक मसौदा रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से सरकारी फंड की बचत होगी, प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा और सरकारी नीतियों का अच्छे से पालन होगा. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि एक साथ चुनाव कराने से देश की प्रशासनिक मशीनरी को चुनाव प्रचार के बजाय लगातार विकासात्मक गतिविधियों में लगे रहने का मौका मिलेगा. हालांकि, रिपोर्ट में आगाह किया गया कि संविधान के मौजूदा ढांचे के तहत एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है.

गौरतलब है कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ हुए थे.

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