घर से पैसे मिलने के आरोप के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा से अदालती कामकाज वापस ले लिया गया है. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के निर्देश के बाद यह फैसला लिया है. जस्टिस वर्मा के घर पर कैश मिलने का दावा किया गया था और अब इस मामले की जांच चल रही है. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि देश में उच्च न्यायालयों के सात फीसदी से भी कम जजों ने सार्वजनिक रूप से अपनी संपत्ति घोषित की है.
सिर्फ 49 जजों ने बताई संपत्ति
देश में फिलहाल उच्च न्यायालय के 763 न्यायाधीशों में से सिर्फ 49 की ओर से अपनी संपत्ति की घोषणा की गई है. हालांकि न्यायाधीशों की संपत्ति का सार्वजनिक खुलासा फिलहाल अनिवार्य नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित की है या नहीं, यह जानकारी साझा की जा सकती है, हालांकि उनके स्वामित्व वाली संपत्ति का ब्यौरा नहीं बताया जा सकता.
इसके अलावा लोकपाल अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि लोक सेवकों- जो जनता के पैसे से सैलरी पाते हैं, को अपने जीवनसाथी और बच्चों सहित अपनी परिसंपत्तियों और देनदारियों की सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी होगी. सरकार ने उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की ओर से संपत्ति की घोषणा को अनिवार्य बनाने पर विचार किया है, लेकिन इस संबंध में अब तक कोई नियम नहीं लाया गया है.
हाई कोर्ट के जजों की संपत्ति का डेटा
कुल उच्च न्यायालय- 25
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या- 1122
उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों की कुल संख्या- 763
सार्वजनिक रूप से अपनी संपत्ति घोषित करने वाले उच्च न्यायालय के जजों की संख्या- 49
25 उच्च न्यायालयों में से 18 के एक भी जज ने अपनी संपत्ति घोषित नहीं की है
अलग-अलग राज्यों का डेटा
इलाहाबाद, आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कलकत्ता, गोवाहाटी, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, पटना, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड ऐसे हाई कोर्ट्स हैं, जहां के किसी भी जज ने अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा नहीं की है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 53 न्यायाधीशों में से 29 ने अपनी संपत्ति घोषित की है, जो कि करीब 54 फीसदी के आसपास है.
वहीं इस मामले में दिल्ली दूसरे स्थान पर है जहां 39 न्यायाधीशों में से 7 जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 16 कार्यरत जजों में से सिर्फ एक ने अपनी संपत्ति घोषित की है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के 12 वर्तमान जजों में से 3 जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है. कर्नाटक के 50 कार्यरत न्यायाधीशों में से एक जज ने अपनी संपत्ति घोषित की है. केरल के 44 जजों में से तीन ने अपनी संपत्ति घोषित की है और मद्रास हाई कोर्ट के 65 न्यायाधीशों में से पांच ने अपनी संपत्ति घोषित की है.