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तलाक के बाद बच्चे किसके साथ रहेंगे इस पर बच्चों का ओपिनियन महत्वपूर्ण- बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि नाबालिग बच्चों को किसके साथ रहना है किसके नहीं, इस पर अपना मत देने का उन्हें पूरा अधिकार है और ये ओपिनियन निर्णय लेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तलाक के बाद नाबालिग बच्चों का ओपिनियन महत्वपूर्ण
  • बच्चों को उनकी मर्जी के विरुद्ध नहीं सौंपना सही नहीं
  • अमेरिकी कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट के बीच मतभेद

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि 'नाबालिग बच्चों को किसके साथ रहना है किसके नहीं, इस पर अपना मत देने का उन्हें पूरा अधिकार है और ये ओपिनियन निर्णय लेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.' दरअसल मामला ये था कि एक कपल के बीच तलाक हो चुका है. उनके दो बेटियां हैं. दोनों बेटियां अपने पिता के साथ रहना चाहती हैं, लेकिन मां चाहती है कि बच्चियां उसके साथ रहें. दोनों बच्चियां 17 और 15 साल की हैं और उनका कहना है कि उन्हें अपनी मां के साथ रहने में डर लगा रहता है इसलिए वे मां के साथ नहीं रहना चाहतीं.

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मां की अपील पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बच्चों के मानसिक और इमोशनल विकास के लिए जरूरी है कि उन्हें ऐसा परिवेश मिले जहां वे सुरक्षित महसूस करें. किसी एक पैरेंट को बच्चे को सौंपने से बच्चों का विकास प्रभावित नहीं होना चाहिए. इसलिए बच्चों के हिसाब से निर्णय लिया जाना जरूरी है. ऐसे मामलों में जबकि बच्चियों की उम्र पर्याप्त उतनी है कि वे अपनी समझ से अपना मत सुना सकें तो ऐसे में नाबालिग बच्चियों का मत भी बेहद महत्वपूर्ण है.

पूरा मामला ऐसा है कि दिसंबर 2001 में एक कपल ने गुजरात के अहमदाबाद में शादी की थी. दोनों के दो बेटियां भी हैं, जिनकी उम्र 17 और 15 साल है. जब 8 अगस्त, 2017 के दिन पत्नी ने तलाक के लिए आवेदन किया था तब चारों लोग अमेरिका में ही रह रहे थे. पत्नी ने USA के वरमोंट की अदालत में तलाक की अर्जी लगाई थी.

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साल 2018 के अगस्त महीने में अमेरिकी कोर्ट ने दोनों ही पेरेंट्स को बच्चों का ख्याल रखने का साझा अधिकार देते हुए एक आदेश पारित किया. जुलाई 2019 में पति दोनों बेटियों को लेकर भारत यात्रा पर आया और यहीं रह गया. वह अपनी बेटियों को वापस लेकर USA नहीं गया. वरमोंट कोर्ट को एक नोटिस भेजते हुए पति ने कह दिया कि वो और उसकी बच्चियां भारत रहना चाहती हैं. लेकिन वरमोंट कोर्ट ने वॉरंट जारी करते हुए बच्चियों को वापस अमेरिका लाने के लिए कहा, और पति पर जुर्माना भी लगाया. दूसरी तरफ पति ने भारत की अदालतों में लीगल प्रोसेज जारी रखी.

इसी बीच पत्नी ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करते हुए कहा कि बच्चियां वरमोंट कोर्ट के अंतर्गत आती हैं. और उन्हें उसे सौंप दिया जाए. इस पर कोर्ट ने कहा है कि भले ही दोनों बच्चियां लंबे समय तक अमेरिका में रही हैं. लेकिन भारत में भी उन्हें काफी समय हो गया. वे यहां स्कूल जाती हैं. भले ही बच्चियां नाबालिग हैं लेकिन इनमें से एक तो अभी जल्द ही 18 साल की होने वाली है और दूसरी बच्ची भी 15 साल की है. अपनी समझ का मत देने के लिए ये उम्र पर्याप्त है.

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