अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की ताजा रिपोर्ट के बाद विपक्ष केंद्र सरकार और बिजनेसमैन गौतम अडानी पर हमलावर है. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने इस रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. इसी बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सेबी प्रमुख और उनके पति पर जो आरोप लगे हैं वो गंभीर हैं. मुझे विवरण की जानकारी नहीं है. लेकिन ऐसे आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए.
महुआ मोइत्रा ने भी उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि सेबी के चेयरपर्सन का अडानी समूह में निवेशक होना सेबी के लिए टकराव और सेबी पर कब्जा दोनों है. कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सेबी को भेजी गई सारी शिकायतें अनसुनी हो जाती हैं. महुआ मोइत्रा ने अपने एक और ट्वीट में लिखा कि इस चेयरपर्सन के नेतृत्व में सेबी की ओर से अडानी पर की जा रही किसी भी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. यह सूचना सार्वजनिक होने के बाद सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए. उन्होंने सीबीआई और ईडी को टैग करते हुए लिखा है कि क्या आप लोग पीओसीए और पीएमएलए के मामलों को दायर करेंगे या नहीं.
क्या बोले जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, 'अडानी मेगास्कैम की जांच करने में सेबी की अजीब अनिच्छा को लंबे समय से देखा जा रहा है.सच्चाई तो यह है कि देश के सर्वोच्च अधिकारियों की मिलीभगत का पता 'अडानी मेगा स्कैम' की पूरी जांच के लिए जेपीसी का गठन करके ही लगाया जा सकता है.'
पवन खेड़ा ने लगाए ये आरोप
वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, 'हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा कुछ खुलासे किए गए हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए. इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा उचित जांच की जानी चाहिए. वहीं, पवन खेड़ा ने कहा कि रिपोर्ट के यह चौंकाने वाले खुलासे सिर्फ SEBI प्रमुख और अडानी समूह के बीच मधुर संबंधों को उजागर नहीं करते हैं, बल्कि वे बताते हैं कि इस सरकार में निगरानी संस्थानों में नियुक्तियां कैसे की जाती हैं.
प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बोला हमला
शिवसेना (UBT) प्रियंका चतुर्वेदी ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 'हमें अब पता चला कि आखिर हमारी चिट्ठियों पर कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया और वह संज्ञान में क्यों नहीं ली गईं. हमाम में सब नंगे हैं.'
रिपोर्ट में किया गया है ये दावा
शनिवार शाम को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक और पोस्ट करते हुए अपनी वेबसाइट पर इस खुलासे दावा करते हुए इससे संबंधित रिपोर्ट शेयर की. हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और SEBI चीफ के बीच लिंक होने का दावा किया गया है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि व्हिसलब्लोअर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है जिन ऑफशोर संस्थाओं का इस्तमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी.
आरोपों पर क्या बोलीं सेबी प्रमुख
अमेरिकी शॉर्ट सेलर की ओर से लगाए गए इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार की सुबह-सुबह जारी एक बयान में कहा कि 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और इनमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है. हमें जो भी खुलासे करने की जरूरत थी, वो सारी जानकारियां बीते सालों में सेबी को दी गई हैं.
माधबी पुरी बुच ने आगे कहा कि हमें किसी भी फाइनेंशियल डॉक्युमेंट का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जिसमें वो दस्तावेज भी शामिल हैं, जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से आम नागरिक थे. इन्हें कोई भी अधिकारी मांग सकता है. SEBI चीफ ने आगे अपने स्टेटमेंट में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, अब उसने उसी के जवाब में हमारे चरित्र हनन का प्रयास करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि हम पूर्ण पारदर्शिता के साथ नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है खास?
गौरतलब है कि एक ब्लॉगपोस्ट में Hindenburg ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) पर अपनी रिसर्च रिपोर्ट के 18 महीने बाद उसने सेबी चीफ और उनके पति पर एक नहीं बल्कि कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इनमें हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट का दावा है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के फंड में हिस्सेदारी ली, जो कि टैक्सहैवन देश हैं और इन्हीं दो फंडों का यूज गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी (Vinod Adani) ने भी किया था.