scorecardresearch
 

मणिपुर पर चर्चा का पेच, हंगामा और स्पीकर की शर्त... लोकसभा में अपने आसन पर कब लौटेंगे ओम बिरला?

संसद के मानसून सत्र में बार-बार व्यवधान आने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही से दूरी बना ली है. स्पीकर के करीबी सूत्रों ने बताया कि ओम बिरला तब तक सत्र में शामिल नहीं होंगे, जब तक सांसद सदन की गरिमा के अनुरूप आचरण नहीं करेंगे. बुधवार को भारी विरोध के कारण लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 10 अगस्त को जवाब देंगे.

Advertisement
X
स्पीकर ओम बिरला बुधवार को अपने आसन पर नहीं बैठे. (फाइल फोटो)
स्पीकर ओम बिरला बुधवार को अपने आसन पर नहीं बैठे. (फाइल फोटो)

Parliament Monsoon Session: संसद में एक बार फिर हंगामा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने-सामने हैं. ऐसे में मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा है. संसदीय कार्यवाही बार-बार ठप हो रही है. यह हाल दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा का है. सत्र के 12 दिन बीत गए हैं. एक दिन भी कार्यवाही ठीक ढंग से संचालित नहीं हो सकी है. मणिपुर के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर जोर दिया जा रहा है. सत्ता पक्ष अपनी शर्तों पर अड़ा है. लोकसभा स्थगित है. कई विधेयक पेंडिंग में हैं. स्पीकर ओम बिरला भी नाराज हैं. 

Advertisement

स्पीकर ओम बिरला विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के आचरण से नाराज हैं. यही वजह है कि वो बुधवार को संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए. उन्होंने साफ कह दिया है कि जब तक दोनों पक्ष संसद सुचारू रूप से चलाने में पहल नहीं करते हैं, तब तक वे सदन की अध्यक्षता नहीं करेंगे. बिरला की अनुपस्थिति में स्पीकर के पैनल में शामिल वाईएसआरसीपी सदस्य पीवी मिधुन रेड्डी और बीजेपी सदस्य किरीट सोलंकी ने लोकसभा में कार्यवाही की अध्यक्षता की. सदन की कार्यवाही के कुल 12 दिन हो गए हैं. वहीं, मणिपुर मुद्दे पर लोकसभा में लगातार नौवें दिन हंगामा हुआ. विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने की मांग की.

स्पीकर की कुर्सी पर बैठे पैनल के सदस्य

हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर बहस का जवाब देने की पेशकश की, लेकिन विपक्ष ने प्रधानमंत्री के बयान पर जोर दिया. बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान जब लोकसभा सुबह 11 बजे बुलाई गई तो रेड्डी कुर्सी पर थे. वहीं, सोलंकी ने दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद सत्र की अध्यक्षता की. दोनों ही समय विपक्ष और बीजेपी के सदस्य नारेबाजी करते नजर आए. ऐसे में सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों के अंदर स्थगित कर दी गई.

Advertisement

दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा में पेश, BJD करेगी मोदी सरकार का समर्थन, राज्यसभा में गड़बड़ा सकता है AAP का गणित

17 अगस्त तक चलेगा मानसून सत्र

चूंकि दोपहर के भोजन के बाद सत्र में विरोध जारी रहा. सोलंकी ने सदन के पटल पर संसदीय कागजात रखने की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी. 20 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत हुई थी. ये सत्र 17 अगस्त तक चलेगा.

क्यों नाराज हो गए ओम बिरला?

- संसद के अधिकारियों ने बताया कि स्पीकर बिरला सदन में बार-बार होने वाले व्यवधान से खफा हैं. उन्होंने कार्यवाही शुरू होने के बाद हंगामे की स्थिति पर कई बार सांसदों को चेतावनी दी और गरिमा बनाए रखने की अपील की. 
- संसद की कार्यवाही के दौरान बोलने के लिए बुलाए गए सदस्यों के सामने तख्तियां लहराए जाने से भी बिरला ने नाराजगी जताई थी.
- विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास नारे लगा रहे थे और तख्तियां लहरा रहे थे. इतना ही नहीं, मंगलवार को विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए ना सिर्फ वेल में आ गए थे, बल्कि स्पीकर के आसन की तरफ पर्चे भी फेंके थे. ये लोग मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बयान की मांग कर रहे थे. 
- दरअसल, मंगलवार को दिल्ली सेवा बिल को लेकर हंगामा हुआ था, जिसकी वजह से यह बिल पटल पर पेश नहीं हो सका था. स्पीकर का कहना था कि जिस तरह हंगामा किया गया, एक भी बात नहीं सुनने दी, इस तरह के व्यवहार से सदन का कामकाज नहीं हो सकता है.

Advertisement

लोकसभा में पेश किया जाएगा दिल्ली सेवा बिल, राज्यसभा में मणिपुर पर सरकार को घेरेगा विपक्ष

- बिरला ने सरकार और विपक्षी नेताओं दोनों को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वो तब तक लोकसभा कक्ष में प्रवेश नहीं करेंगे जब तक सदस्य सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए उचित व्यवहार नहीं करेंगे.
- कांग्रेस के अधीर रंजन और सुप्रिया सुले समेत कई विपक्षी नेताओं ने स्पीकर बिरला से मुलाकात की है. बिरला ने साफ कर दिया कि सदन की गरिमा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सदन की कार्यवाही व्यवस्थित और सुचारू ढंग से चलाने में मदद करने का आश्वासन मिलेगा, तब ही वो आसन संभालेंगे. इससे पहले लोकसभा स्पीकर ने विपक्ष की मांग पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया था. 

दो दिन पहले स्पीकर ने क्या कहा था...

- इससे पहले रविवार को एक बयान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष और सत्ता पक्ष से जुड़े सांसदों को आगाह किया था. उन्होंने संसद में 'गरिमा' बनाए रखने/ नारेबाजी और तख्तियों का उपयोग करने से बचने का आग्रह किया था.
- स्पीकर का कहना था कि इस तरह के व्यवधान सदन की गरिमा को कम कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के सभी सदस्यों का कर्तव्य है कि वे कार्यवाही के दौरान सदन की गरिमा बनाए रखें.

Advertisement

हंगामे के बीच कई विधेयक पारित

- इस बार मानसूत्र सत्र में 31 बिल पेश किए जाने की तैयारी है. हालांकि, 13 दिन से ज्यादा बीत गए हैं. लेकिन कामकाज ठीक ढंग से नहीं हो पाया है. ऐसे में सरकार के सामने सारे विधेयक पारित करवाना बड़ी चुनौती बन गया है. विपक्ष के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने कई विधेयक पारित किए हैं. 
- वहीं, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा या मतदान नहीं हो सका. यह बिल लटक गया है.

मोदी सरकार के खिलाफ आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएगा विपक्ष, 'INDIA' ने बुलाई अहम बैठक

अविश्वास प्रस्ताव पर 8 अगस्त को बहस

मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया है. इस प्रस्ताव पर 8 अगस्त से 10 अगस्त तक बहस होगी. संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देंगे. बताते चलें कि 26 जुलाई को विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 50 सांसदों का आवश्यक समर्थन मिलने के बाद अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.

राज्यसभा में क्या चल रहा है...

- राज्यसभा में लगातार हंगामा हो रहा है. दो अगस्त को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बड़ा बयान दिया था. धनखड़ ने कहा- वो पीएम को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते हैं. वो ऐसा करेंगे भी नहीं, क्योंकि किसी भी अन्य सांसद की तरह सदन में आना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. 
- सभापति की बात सुनकर विपक्षी नेताओं ने सदन से वॉक आउट कर दिया था. इससे पहले विपक्षी दलों ने राज्यसभा में मणिपुर पर चर्चा की मांग करते हुए 58 नोटिस दिए थे, जिन्हें सभापति जगदीप धनखड़ ने अस्वीकार कर दिया. उसके बाद I.N.D.I.A के सदस्य राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंचे थे.
- राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मणिपुर जाएं. वहां का दौरा करें और वहां शांति बहाली के लिए जरूरी कदम उठाएं. हम मणिपुर मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं, जिससे पीएम बच रहे हैं. हमने अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप दिया है.

Advertisement

दिल्ली सेवा बिल: क्या संसद से पास होने के बाद भी SC लगा सकती है रोक? समझें अध्यादेश को चुनौती वाली याचिका का क्या होगा

बीजेपी का क्या कहना है...

- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहता है. वह चर्चा से भाग रहा है. उन्होंने कहा, विपक्ष मण‍िपुर पर घड़‍ियाली आंसू बहा रहा है. विपक्ष के लिए यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है. विपक्ष के व्यवहार से दुखी हूं.
- केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, वे (विपक्ष) संसदीय प्रक्रिया का मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. वे सदस्यों को दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. यह स्पष्ट रूप से उनकी मानसिकता को दर्शाता है. सरकार मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है. केंद्र सर्वदलीय बैठक में चर्चा के लिए सहमत हुआ था और बहस मानसून सत्र के पहले दिन ही हो सकती थी लेकिन विपक्ष ने 9 दिन बर्बाद किए.
- गोयल का कहना था कि आश्चर्य है कि वे (विपक्ष) क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. क्या वे बहस से भाग रहे हैं? वे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं? इनको कोई ना कोई तकलीफ है, मणिपुर की सच्चाई सामने नहीं आने दी जा रही है. उन्हें कुछ समस्या है और वे नहीं चाहते कि मणिपुर के बारे में फैक्ट सामने आएं.

Advertisement

किसके पास कितना बहुमत...

- लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है. बीजेपी के पास 301 सांसद हैं. एनडीए के पास 333 सांसद हैं. वहीं पूरे विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं. सबसे ज्यादा 50 सांसद कांग्रेस के हैं. ऐसे में लोकसभा में मोदी सरकार को बिल पास कराने में चुनौती नहीं है.
- राज्यसभा में कुल सांसद 238 हैं. बहुमत का आंकड़ा 120 है. राज्यसभा में बीजेपी के 93 सांसद हैं. जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर यह 105 हो जाते हैं. 

9 साल, 9 दल... चंद्रबाबू नायडू का वह मॉडल, जिसे फॉलो कर संसद में मोदी सरकार का संकटमोचक बनती रही हैं 'विपक्षी पार्टियां'

- इसके अलावा बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना तय है. ऐसे में बीजेपी के पास कुल 112 सांसद हो जाएंगे. हालांकि, ये बहुमत के आंकड़े से 8 सांसद कम हैं. 
- विपक्षी दलों पर 105 सांसद हैं. बीजेपी को बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों से भी समर्थन की उम्मीद है. इसके बावजूद बीजेपी को बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है. दोनों के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं. वाईएसआर कांग्रेस ने दिल्ली सेवा बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है. ऐसे में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल जाएगा.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement