कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच पहले ही तलवारें खिंची हुई हैं. एक साल से दोनों आमने-सामने हैं, लेकिन अब केंद्र के एक और फैसले पर हंगामा हो रहा है. जिसके कारण पंजाब और हरियाणा के किसान खफा हैं, पंजाब सरकार ने आधिकारिक तौर पर भी केंद्र के सामने आपत्ति जताई है. केंद्र का ये फैसला धान खरीद को लेकर है, जिसे 11 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया है.
दरअसल, केंद्रीय कन्यूज़र मंत्रालय द्वारा इसको लेकर बीते दिन जानकारी दी गई. केंद्र ने कहा है कि भारी बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा में सरकार द्वारा की जाने वाली धान खरीद को टाला जा रहा है. अब ये धान खरीद 11 अक्टूबर से शुरू होगी.
पहले इस प्रक्रिया को पंजाब में 1 अक्टूबर और हरियाणा में 25 सितंबर से शुरू होना था. लेकिन बार-बार इसे टाला जा रहा है और अब 11 अक्टूबर अंतिम तारीख रखी गई है.
पंजाब और हरियाणा में भारी बारिश होने के कारण धान के पकने में देरी हुई है. ऐसे में किसानों को होने वाले किसी भी समस्या को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने पंजाब-हरियाणा में एमएसपी के हिसाब से होने वाले धान खरीद को 11 अक्टूबर तक टालने का फैसला लिया है.
क्या हो रहा है नुकसान, क्या कह रहे हैं किसान?
केंद्र सरकार का ये फैसला पंजाब और हरियाणा के किसानों को अच्छा नहीं लगा है. किसानों का कहना है कि कुछ ही हिस्सों में बारिश ज्यादा हुई है, ऐसे में जिन इलाकों में फसल तैयार खड़ी है कम से कम वहां पर तो खरीद प्रक्रिया शुरू की जाए, ताकि किसानों को नुकसान ना हो.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि सरकार के कहने पर धान की खेती 15 जून तक की गई, 15 सितंबर तक फसलें तैयार हो गई. लेकिन खरीद शुरू नहीं हुई, अब कई किसानों की फसलें मंडियों तक पहुंच गई हैं ऐसे में आपने खरीद को टालकर उनका नुकसान कर दिया.
पंजाब सरकार ने भी आधिकारिक तौर पर इस फैसले का विरोध किया है. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र को 1 अक्टूबर से ही नियमों के हिसाब से खरीद करनी चाहिए, क्योंकि अधिकतर किसान इसी उम्मीद में बैठे थे. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी करेंगे.