Paddy Stubble Burning Problem: खरीफ फसलों की कटाई के वक्त दिल्ली और उससे सटे राज्यों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो जाता है. पराली जलाने से गाड़ियों से निकलती जहरीली गैसें और धूल को अक्सर इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है. अब इस समस्या से आसानी से निपटा जा सकेगा. एक ऐसा मॉडल विकसित किया गया है, जिसकी मदद से ये पता लागाया जा सकेगा कि कौन से सोर्स से कितना प्रदूषण फैल रहा है. दरअसल, Safar dynamic emission inventory model के जरिए रियल टाइम में ई-मिशन इनवेंट्री मिलेगी. कल कितना प्रदूषण होगा इसका पता तीन दिन पहले ही लगाया जा सकेगा.
कैसे पता लगाया जा सकेगा प्रदूषण का स्तर?
सफर के संस्थापक प्रोजेक्ट डायरेक्टर सफर डॉ. गुरफान बेग ने बताया कि “पहली बार Dynamic emission inventory model यूज़ होगा, जिससे एक्यूरेसी बढ़ जाएगी. इससे यह पता चलेगा कि मौजूदा प्रदूषण में पराली का कितने प्रतिशत योगदान है और बदले हुए मौसम का कितना. पहले पराली से फैलने वाले प्रदूषण के काउंट का डेटा 1 दिन बाद मिलता था. दिल्ली एनसीआर में हर बार पराली की वजह से काफी प्रदूषण होता है. ऐसे में उपग्रहों से पराली के बारे में डाटा लेकर मॉडल के जरिए साफ-साफ पता चलेगा कहां पर धान की कटाई हुई और कितने दिन में पराली जल सकती है.
अक्टूबर से ही बढ़ जाती हैं पराली जलाने की घटनाएं
10 अक्टूबर के बाद पंजाब में पराली जलने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं. इससे दिल्ली में वातावरण दमघोंटू हो जाता है. अब इंडियन और फॉरेन सेटेलाइट रोज पराली से रिलेटेड काउंट का emission inventory बनाएगा. मॉडल के जरिए ये पता लग पाएगा कि प्रदूषण में कितना प्रतिशत बाहरी है और कितने अंदरुनी कारण जिम्मेदार हैं.
दमघोंटू हो जाता है दिल्ली-NCR का वातावरण
आंकड़ों के मुताबिक, करीब 40 दिन दिल्ली-एनसीआर को पराली से होने वाले परेशानी झेलनी पड़ती है. 15 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच पंजाब और हरियाणा में पराली जलती है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, साल 2021 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71300 से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई गई थी.
सुपर साइट लैब से प्रदूषण का सफाया
लैब का मतलब कंट्रोल रूम से है, जहां प्रदूषण के स्तर, उसके तत्व, स्रोत और उसके कारकों की निगरानी होगी. दोनों का ही रियल टाइम अध्ययन होगा. ब्लैक कार्बन की भी निगरानी की जाएगी. राजधानी दिल्ली के राऊस एवेन्यू में सुपर साइट लैब बन रही है जो 10 अक्टूबर के बाद कभी भी काम शुरू कर देगी. लैब में यूरोप, आस्ट्रेलिया, जापान और इंग्लैंड से लाए गए ऑटोमेटेड उपकरण की मदद से दिल्ली की दमघोटूं हवा को नापेंगे.
एयर क्वालिटी, उसके सोर्स दोनों का रियल टाइम अध्ययन होगा और ब्लैक कॉर्बन की निगरानी भी होगी. फिलहाल अभी सर्दी आई भी नहीं दिल्ली के आनंद विहार में लगातार दूसरे दिन हवा का स्तर गंभीर कैटेगरी में पहुंच गया है.