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पद्मश्री से सम्मानित बी गोविंदाचार्य का निधन, कई ग्रंथों का संस्कृत से कन्नड़ में किया था अनुवाद

पद्मश्री अवॉर्डी बन्नंजय गोविंदाचार्य का रविवार को निधन हो गया. वे 84 साल के थे. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक माधव विचारधारा के प्रचारक गोविंदाचार्य ने रविवार को उडुपी के अम्बलपदी स्थित आवास पर अंतिम सांस ली.

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बी गोविंदाचार्य (फाइल फोटोः Wikimedia Commons)
बी गोविंदाचार्य (फाइल फोटोः Wikimedia Commons)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
  • उडुपी स्थित आवास पर हुआ निधन
  • संस्कृत के थे विद्वान, थे विद्यावाचस्पति

पद्मश्री अवॉर्डी बन्नंजय गोविंदाचार्य का रविवार को निधन हो गया. वे 84 साल के थे. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक माधव विचारधारा के प्रचारक गोविंदाचार्य ने रविवार को उडुपी के अम्बलपदी स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. संस्कृत के विद्वान विद्यावाचस्पति बी गोविंदाचार्य को साल 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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गोविंदाचार्य ने पौराणिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया था. उन्हें धर्मगुरु के तौर पर भी सम्मान हासिल था. बी. गोविंदाचार्य वेदों के अलावा उपनिषद, महाभारत और रामायण के भी अच्छे जानकार थे. देश के अलावा विदेशों में भी एक प्रवचनकर्ता के रूप में बी गोविंदाचार्य की अच्छी ख्याति थी.

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बी गोविंदाचार्य ने माधवाचार्य की कई रचनाओं को लेकर संस्कृत कमेंट्री लिखी थी. इनमें आनंदमाला, वायुसूती, विष्णु स्तुति शामिल हैं. उन्होंने करीब 150 पुस्तकों का लेखन किया और कई ग्रंथों का संस्कृत से कन्नड़ में अनुवाद किया था. बी गोविंदाचार्य ने बाणभट्ट के उपन्यास कादम्बरी, कालीदास के शकुंतला और शूद्रका के उपन्यास मृच्छकटिका का अनुवाद किया था.

बी गोविंदाचार्य ने हिंदू ग्रंथ उपनिषद के अध्यायों पर भी नोट लिखे. उन्होंने साल 1979 में अमेरिका में आयोजित धर्म और शांति सम्मेलन में भी शिरकत किया था. इस विश्व सम्मेलन में बी गोविंदाचार्य भारत के ब्रांड एंबेसडर थे.

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(पीटीआई के इनपुट के साथ)

 

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