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पद्म विभूषण पुरस्कार 2022: जानिए कौन हैं प्रभा अत्रे और राधेश्याम खेमका

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है. इस बार चार हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है, 17 को पद्म भूषण सम्मान और 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है. 

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प्रभा अत्रे को पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है
प्रभा अत्रे को पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रभा अत्रे पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित
  • राधेश्याम खेमका ने हमारी संस्कृति को जन-जन तक प्रसारित किया

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है. इस बार चार हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है, 17 को पद्म भूषण सम्मान और 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है. 

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जिन 4 हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया है वह हैं- 

1. प्रभा अत्रे, कला, महाराष्ट्र
2. राधेश्याम खेमका (मरणोपरांत), साहित्य एवं शिक्षा, उत्तर प्रदेश
3. जनरल बिपिन रावत (मरणोपरांत), सिविल सेवा, उत्तराखंड
4. कल्याण सिंह (मरणोपरांत), सार्वजनिक मामले, उत्तर प्रदेश 

प्रभा अत्रे

शास्त्रीय संगीत की दुनिया में डॉ. प्रभा अत्रे एक जाना-माना नाम हैं. वह कलाकार, संगीतकार, लेखक और संगीत के अलग-अलग पहलुओं की जानकार हैं. अपनी रचनात्मकता से वह कला क्षेत्र में एक अलग पहचान रखती हैं. वह हिन्दुस्तानी शास्त्रीय परंपरा की शीर्ष गायिकाओं में से एक हैं. उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई है. डॉ. प्रभा अत्रे उन दुर्लभ कलाकारों में से हैं जिन्हें संगीत की अलग-अलग विधाओं में महारत हासिल है. जैसे- खयाल, ठुमरी, दादरा, गज़ल, गीत, नाट्यसंगीत, भक्ति गीत. 

पुणे में जन्मीं प्रभा अत्रे की रुचि बचपन से ही संगीत में थी. उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा के तहत शिक्षा ली. संगीत में निपुण प्रभा अत्रे, साइंस में ग्रैजुएट हैं. साथ ही उन्होंने लॉ की शिक्षा भी ली है. वह गंधर्व विद्यालय से संगीत अलंकार हैं. साथ ही, उनके पास संगीत डॉक्टरेट की डिग्री भी है. उन्होंने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से वेस्टर्न म्यूज़िक की भी शिक्षा ली है.

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डॉ. प्रभा अत्रे ने कई नए रागों का आविष्कार भी किया है

उन्होंने 'स्वरागिनी' और 'स्वरंजनी' नाम की पुस्तकें भी लिखी हैं. उन्होंने अपूर्व कल्याण, दरबारी कौन्स, पटदीप-मल्हार, शिव काली, तिलंग-भैरव, रवि भैरव और मधुर-कौन जैसे नए रागों का आविष्कार भी किया है. प्रभा अत्रे भारतीय शास्त्रीय संगीत के विषय पर संगीत पढ़ाती रही हैं, व्याख्यान-प्रदर्शन करती रही हैं और लिखती रही हैं. विदेशों में कई यूनिवर्सिटीज़ में वे विज़िटिंग प्रोफेसर रही हैं. डॉ. प्रभा अत्रे के नाम 11 पुस्तकें (एक चरण से) जारी करने का विश्व रिकॉर्ड है. संगीत जगत के जाने-माने पुरस्कारों के साथ-साथ, भारत सरकार ने उन्हें 1990 में 'पद्म श्री' और 2002 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था. प्रभा अत्रे का का जन्म 13 सितंबर 1932 को पुणे में हुआ था. वे 89 वर्ष की हैं. 

राधेश्याम खेमका

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गीता प्रेस, महज प्रेस नहीं, बल्कि हमारी धरोहर है, जो हमारी संस्कृति को सहेजकर उसे जन-जन तक प्रसारित करती है. इनकी पुस्तकों पर लिखे श्लोक सिर्फ पुस्तकों पर ही नहीं छपे, बल्कि हमारे मानस पटल पर भी अंकित हो चुके हैं. राधेश्याम खेमका, इसी गीता प्रेस के अध्यक्ष और सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका 'कल्याण' के संपादक थे. 4 अप्रैल 2021 को 87 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था.

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अपने कार्यकाल के कई वर्षों तक वे बिना पारिश्रमिक सेवाएं देते रहे

वह करीब 40 साल कल्याण के संपादक रहे थे. वे गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महापुराणों तथा कर्मकाण्ड के दुर्लभ ग्रन्थों के प्रामाणिक संस्करणों का सम्पादन किया और उन्हें प्रकाशित कराया.

उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. (संस्कृत) किया और साहित्यरत्न की उपाधि भी प्राप्त की. कुछ समय उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की थी.

सीडीएस बिपिन रावत और कल्याण सिंह

प्रभा अत्रे और राधेश्याम खेमका के अलावा, देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा. पिछले साल दिसंबर में देश ने अपने पहले सीडीएस बिपिन रावत को हेलीकॉप्टर क्रैश में गंवा दिया था. वहीं, पिछले साल खराब स्वास्थ्य की वजह से कल्याण सिंह का भी निधन हो गया था. 

 

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