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तानाशाह का पोता, 20 केस में अंडरग्राउंड... क्या इमरान खान के करीबी उमर बनेंगे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री?

उमर अयूब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की पार्टी के महासचिव हैं लेकिन इससे भी बड़ी बात वो देश के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान के पोते हैं. वही अयूब खान जो पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह थे और जिन्होंने 1958 में देश में पहला तख्तापलट किया था. 

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अयूब खान और उमर अयूब
अयूब खान और उमर अयूब

पाकिस्तान में आम चुनाव हुए एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन राजनीतिक अस्थिरता अभी भी बनी हुई है. इस बीच नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ मिलकर सरकार बनाने का दांव चला है. हालांकि, पीपीपी ने नवाज की पार्टी को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया है. लेकिन इस बीच इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने बड़ा दांव चलते हुए उमर अयूब को PTI की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है.

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PTI के वरिष्ठ नेता असद कैसर ने अडियाला जेल में इमरान खान से मुलाकात करने के बाद बताया कि उमर अयूब खान प्रधानमंत्री पद के लिए हमारे उम्मीदवार होंगे. इमरान खान ने ही उन्हें नॉमिनेट किया है.

उमर अयूब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की पार्टी के महासचिव हैं लेकिन इससे भी बड़ी बात वो देश के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान के पोते हैं. वही अयूब खान जो पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह थे और जिन्होंने 1958 में प्रधानमंत्री फिरोज खान की सरकार का तख्तापलट कर दिया था. 

अयूब खान का तख्तापलट और 1962 के युद्ध की साजिश

पाकिस्तान में 1958 में पहला सैन्य तख्तापलट हुआ था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान की संविधान सभा और पीएम फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू कर आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंप दी थी. लेकिन इसके तेरह दिन बाद ही अयूब खान ने तख्तापलट कर खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. इस तरह अयूब खान ने 1958-1969 तक पाकिस्तान पर राज किया.लेकिन इस बीच 1962 में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले अयूब खान ही थे. लेकिन 1965 में भारत से करारी हार के बाद अयूब खान की पकड़ पाकिस्तान पर ढीली पड़ती चली गई.

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उमर अयूब पर क्या हैं आरोप?

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल नौ मई को पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे. इन्हीं दंगों में अयूब की संलिप्तता को देखते हुए उन पर 20 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं. इसके बाद से ही वह अंडरग्राउंड हैं.

पाकिस्तान चुनाव में चुनाव आयोग ने इमरान की पार्टी पीटीआई पर बैन लगा दिया था, जिस वजह से उनकी पार्टी के उम्मीदवार निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे थे. इनमें उमर अयूब भी थे. उमर ने नेशनल असेंबली-18 सीट से एक लाख 92 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.  

क्या है PTI की प्लानिंग?

इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने चुनाव से पहले कहा था कि उनकी पार्टी केंद्र और पंजाब में मजलिस वाहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) के साथ मिलकर सरकार बनाएगी. पीटीआई ने खैबर पख्तूनख्वाह में जमात-ए-इस्लामी के साथ भी गठबंधन सरकार बनाने की बात कही थी लेकिन जमात-ए-इस्लामी पार्टी ने कहा था कि वह खैबर में पीटीआई के साथ मिलकर काम करने की इच्छुक नहीं है.

पीटीआई के नेता असद कैसर ने कहा कि इमरान ने उन्हें एक टास्क सौंपा था कि वह ऐसे राजनीतिक दलों को एक साथ लाएं जो चुनावी नतीजों का विरोध कर रहे हैं, विशेष रूप से मौलाना फजलुर रहमान की जेयूआई-एफ, अवामी नेशनल पार्टी और कौमी वतन पार्टी. 

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कैसर ने कहा कि हम एक साथ मिलकर रणनीति तैयार करना चाहते हैं क्योंकि ये पाकिस्तान के इतिहास के सबसे खराब चुनाव हैं. चुनाव जीत चुके पीटीआई समर्थित उम्मीदवार किसी भी स्थिति में इस्तीफा नहीं देंगे और सदन में बैठेंगे.

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