पाकिस्तान में नए निजाम का आगाज हो गया है और शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री बन गए हैं. लंबे सियासी बवाल के बाद सत्ता पाने वाले शहबाज शरीफ को जहां पाकिस्तान की गरीबी कम करने का रास्ता निकालना चाहिए, मगर वो भी पाकिस्तान के पुराने सियासी राग ही अलापने लगे. प्रधानमंत्री मोदी की बधाई पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने भी कश्मीर की बात कर दी. शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर जो विवाद बचे हैं उनका शांतिपूर्ण समाधान निकलना चाहिए. यानी शहबाज शरीफ ने स्पष्ट शब्दों में कहने का प्रयास किया कि जम्मू-कश्मीर विवाद को छोड़ा नहीं जा सकता.
पाकिस्तान में हालात चाहे जितने भी खराब हो जाएं, भुखमरी पैदा हो जाए, आतंकवाद में अपनी ही कौम तबाह हो जाए लेकिन वहां की सत्ता जिसके हाथों में भी जाती है उसकी सुई कश्मीर पर आकर ही टिक जाती है. इससे पहले चाहे इमरान खान हों या नवाज शरीफ, सभी पीएम जम्मू कश्मीर पर एक जैसे ही बयान देते रहे हैं. पाकिस्तान में सरकार किसी की भी बने लेकिन वहां सत्ता में बैठे लोगों को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता जरूर याद रखनी चाहिए.
'एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते,
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा,
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता,
अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतंत्रता
त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतंत्रता,
दुखी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतंत्रता,
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो,
चिंगारी का खेल बुरा होता है,
औरों के घर आग लगाने का जो सपना,
वो अपने ही घर में सदा खरा होता है'
अपनी इस कविता के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन न करने, स्वतंत्रता से समझौता न करने की सलाह दी थी. इस कविता के जरिए उन्होंने पाकिस्तान की नापाक हरकतों और उसे समर्थन देने वाले देशों को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी.
अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर को लेकर हमेशा इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के रास्ते पर चलने के पक्षधर रहे. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में ही पाकिस्तान के साथ कई पहल की गईं जिनमें दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने के लिए दिल्ली-लाहौर के बीच बस सेवा शुरू करना, दोनों देशों के बीच क्रिकेट ऋृंखला का आयोजन जैसी चीजें शामिल थीं. हालांकि, पाकिस्तान रह-रहकर आतंकवाद पर अपनी असलियत दिखाता रहा.