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बालाकोट एयरस्ट्राइक की बरसी पर PAK का सबसे बड़ा झूठ बेनकाब... सैनिकों की मौत छुपाता है पड़ोसी मुल्क

पाकिस्तान अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा हमेशा छुपाता रहता है. यह बात ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) की जांच में बालाकोट एयरस्ट्राइक की 6वीं बरसी पर सामने आई है. बता दें कि पिछले साल पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों और आतंकवाद-रोधी अभियानों से जुड़ी 1,166 घटनाएं हुईं थीं.

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पाकिस्तान अपने सैनिकों के मौत के आंकड़ों को छुपाता रहता है.
पाकिस्तान अपने सैनिकों के मौत के आंकड़ों को छुपाता रहता है.

बालाकोट में भारत की एयरस्ट्राइक को आज 6 साल हो गए हैं. 26 फरवरी 2019 को भारत ने पुलवामा हमले का बदला लेते हुए पुलवामा पर एयरस्ट्राइक की थी. आज जब भारत के इस बड़े मिशन के 6 साल पूरे हो गए हैं तो पाकिस्तान का एक बड़ा झूठ बेनकाब हुआ है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान अपने सैनिकों की मौत की संख्या को छुपाता है 

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ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) जांच से पता चलता है कि साल 2024 में पाकिस्तान में रिकॉर्ड 444 आतंकी हमले हुए, जिसमें 685 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए. साल 2024 में पाकिस्तान के अंदर 4,813 लोग हताहत हुए. इनमें से 2,546 की मौत हो गई और 2,267 घायल हो गए. इस आंकड़े में आतंकियों के साथ-साथ सुरक्षा बल के जवान भी शामिल हैं.

पिछले साल पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों और आतंकवाद-रोधी अभियानों से जुड़ी 1,166 घटनाएं हुईं, जिनमें 909 आतंकवादी हमले शामिल हैं. इस दौरान 257 सुरक्षा अभियान भी चलाए गए. लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के ISPR ने जानबूझकर मरने और घायल होने वाले सैनिकों की संख्या कम बताई, जिससे उसके सशस्त्र बलों को हुए नुकसान का वास्तविक स्तर छिप गया.

PAK को बालाकोट स्ट्राइक की नहीं थी उम्मीद

दरअसल, पुलवामा हमले के बाद भारत की निर्णायक आतंकवाद-रोधी प्रतिक्रिया की पाकिस्तान ने कभी उम्मीद नहीं की थी. भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर पुलवामा का तुरंत बदला ले लिया. ये पाकिस्तान की वर्तमान सुरक्षा अव्यवस्था के बिल्कुल विपरीत था.

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कमजोर हो रही पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था

पाकिस्तान की बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था के लिए कमजोर सैन्य प्रतिक्रिया, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक पतन के साथ-साथ आतंकवाद पर उसके दोहरे मापदंड को जिम्मेदार ठहराया जाता है. पाकिस्तान की कमजोर होती सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए भारत बालाकोट सिद्धांत जैसी प्रतिबद्धता जता रहा है और सीमा सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी रणनीतियों को मजबूत बना रहा है.

PAK में आंकड़ा छिपाने की पुरानी रही है परंपरा

बता दें कि पाकिस्तानी सेना में 2024 तक कारगिल में मारे गए सैनिकों की संख्या छिपाने की परंपरा रही है. वे मौत के बाद सैनिकों को सम्मान देने से इनकार कर देते हैं. तथ्यों को छिपाते हैं, जिससे पाक सेना की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठने लगा है.

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