अमेरिकी संसद में एक खुफिया रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत विरोधी उग्रवादी समूहों को समर्थन देने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है. अमेरिकी खुफिया विभाग के इस दावे से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर ही झूठे आरोप लगा दिए.
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार रहा है. हमारे पास पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में भारत की भागीदारी के पुख्ता सबूत हैं. इतना ही नहीं देश में आतंकवाद फैलाने के लिए भारत की नौसेना का एक सेवारत अधिकारी पाकिस्तान में हिरासत में है."
इंटल रिपोर्ट में ऐसे बेनकाब हुआ पाकिस्तान
यूएस की इंटल रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ना चिंताजनक है. इससे परमाणु हथियारों से संपन्न दो देशों के बीच लड़ाई शुरू हो सकती है. दोनों देशों की ओर से 2021 में सीमा पर सीजफायर का ऐलान किया गया था यानी दोनों देश अपने संबंधों में मौजूदा शांति को मजबूत करने के लिए इच्छुक हैं.
रिपोर्ट में आगे कहा कि भारत विरोधी उग्रवादी समूहों को समर्थन देने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तानी उकसावों का सैन्य बल के साथ जवाब देने की आशंका पहले से अधिक है. दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव और कश्मीर में अशांति या भारत में एक और आतंकवादी हमला होने की सूरत में लड़ाई की अत्याधिक आशंका है. भारत इस बार सर्जिकल स्ट्राइक से भी घातक जवाब दे सकता है. अमेरिका खुफिया रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस बार भारत से बचकर रहने की सलाह दी गई है.
मालूम को कि पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत शुरू करने को लेकर भारत कई बार अपना रुख साफ कर चुका है. भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती.
झड़प से भारत-चीन रिश्ते तनावपूर्ण रहेंगे
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सीमा वार्ता हुई और कई सीमा बिंदुओं पर तनाव को सुलझाया गया. लेकिन 2020 में हुई हिंसक झड़प के चलते दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहेंगे. दोनों देशों द्वारा विवादित स्थल पर सेनाओं की तैनाती बार्डर विवाद को लेकर दो परमाणु शक्तियों में सशस्त्र जोखिम को बढ़ाती हैं. पिछले गतिरोधों से पता चलता है कि LAC पर लगातार छोटे टकराव के तेजी से बड़ा रूप लेने की क्षमता है.
भारत और चीनी सेना के बीच गलवान में जून 2020 को हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन को भी भारी नुकसान हुआ था.
साझेदारी विस्तान करना चाहता है US
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा और खालिस्तानी आतंकवादी समूहों पर भी बात की. उन्होंने रिपोर्ट को लेकर कहा कि अमेरिका इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी साझेदारी का विस्तार करना चाहता है. कोई भी समूह जो क्षेत्रीय और वैश्विक खतरा है, निश्चित रूप से हमारे लिए चिंता का विषय है.