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नोएडा स्थित प्रॉपर्टी एजेंट असलम (48 वर्ष) अधिकतर रीसेल हाउसिंग मार्केट में डील करते हैं. वे इस साल मार्च से एक भी डील नहीं कर पाए हैं. पिछले वर्षों में इसी अवधि में असलम पांच से छह सौदे तक करने में कामयाब रहा करते थे.
असलम ने इंडिया टुडे से कहा, “हाउसिंग मार्केट लगभग खत्म हो गया है, यहां तक कि रीसेल मार्कट भी. फ्लैट-मालिक होम लोन ईएमआई का बोझ नहीं उठा पा रहे, वे 25 प्रतिशत से अधिक छूट के साथ अपने घर बेचने के लिए उतावले हैं, फिर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं. नौकरियों में अनिश्चितता मंदी का मुख्य कारण है.”
कोरोना वायरस ने भारतीय आवास बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है. फॉल्ट लाइन्स और चौड़ी हो रही है. पिछले पांच महीनों में लगभग 2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों की नौकरियां गई हैं (अप्रैल-अगस्त: CMEI) और 2020 की पहली छमाही में आवासों की बिक्री घटकर 52 प्रतिशत रह गई है, जो आगे और भी कम हो सकती है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी CRISIL ने अपने ताजा रिसर्च नोट में कहा, "आवासीय अचल संपत्ति की मांग चालू वित्त वर्ष में 50-70% घटने की उम्मीद है, कोविड-19 महामारी ने आर्थिक गतिविधियों को कुचलने के साथ बिग-टिकट खर्चों पर भी विराम लगा दिया है.”
महामारी की दस्तक से बहुत पहले से ही रीयल एस्टेट मार्केट मंदी की मार महसूस कर रहा था. तिमाही डेटा दिखाता है कि अक्टूबर 2018 (Q3) से बिक्री में धीरे-धीरे गिरावट आनी शुरू हुई और 2019 की तीसरी तिमाही में ये निगेटिव हो गई. हालांकि, अप्रैल 2019 से ही नए लॉन्च्स में गिरावट का ट्रेंड था लेकिन महामारी ने बिक्री और नए लॉन्च्स की स्थिति और बदतर कर दी.
हताशा में आवास बेचने वालों पर निर्भरता
पिछले छह महीनों में, दिल्ली एनसीआर, एमएमआर (मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे), बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित आठ शहरी क्षेत्रों में नए लॉन्च्स में तेजी से गिरावट आई है. भारत के बड़े शहरों में घरेलू बिक्री घट गई. प्रॉपर्टी मार्केट में न तो एंड-यूजर्स और न ही निवेशक दिलचस्पी दिखा रहे हैं. रीयल एस्टेट ब्रोकरेज फर्म प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2020 की पहली छमाही में आवासों की बिक्री में 52 प्रतिशत की गिरावट आई है.
अगर 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना 2019 की दूसरी तिमाही से की जाए तो आवासों की बिक्री में सबसे बड़ी गिरावट हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे शहरों में आई है.
एनसीआर में 2019 के स्तर से औसत घरेलू कीमतों में 35 फीसदी तक की गिरावट आई है. एनसीआर के सबसे बड़े रीयल एस्टेट बाजारों में से एक गुरुग्राम (गुड़गांव) में हताशा में ही कुछ सेलर्स की ओर से डील की जा रही हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली से सटे इस शहर में हाउसिंग मार्केट एक तरह से डिस्ट्रेस सेलिंग पर ही निर्भर हो गया है.
गुड़गांव स्थित रीयल एस्टेट एक्सचेंज एजेंसी Qubrex के एमडी डॉ संजय शर्मा ने कहा, 'पॉजिटिव मोमेंटम से मार्केट का आगे बढ़ना संभव नहीं लगता-निगेटिव प्राइज मूवमेंट अधिकतर किस्सा संबंधी धारणाओं पर आधारित लगता है.”
मध्यम गुरुग्राम क्षेत्र के ब्रोकर के लिए डील 60% से 80% से अधिक तक गिर गई है. डॉ शर्मा ने आगे कहा, "अप्रत्याशित प्रशासनिक नीतियां, अर्थव्यवस्था के लिए अस्पष्ट और अपारदर्शी संभावनाएं, और एक थकी हुई आबादी का मतलब है कि लोगों से अचल संपत्ति खरीदने के लिए बड़ी प्रतिबद्धताएं हासिल करना मुश्किल है."
हाउसिंग डॉट कॉम के ग्रुप COO मणि रंगराजन कहते हैं, “वर्तमान महामारी एक अभूतपूर्व इवेंट है, जिसके बारे में कोई भी अंदाज लगाना मुश्किल है. इसकी वजह से भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था में वृद्धि का सिकुड़ना तय है, जैसा कि अनुमान था डिमांड पर बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक अनिश्चितता का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा; वास्तव में, हमारे हालिया हाउसिंग-NAREDCO बॉयर सर्वे ने संकेत दिया कि खरीदारों ने अपनी खरीद के फैसलों को एक साल के लिए टाल दिया है.”
डिलिवरी में और देरी होगी
कोविड-19 संबंधित लॉकडाउन और रूकावट से पिछले कुछ महीनों से निर्माण गतिविधियां लगभग ठप हैं. रीयल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म ANAROCK के एक अनुमान के मुताबिक, अगर महामारी का असर नहीं पड़ता तो लगभग 4.66 लाख यूनिट्स 2020 के आखिर तक दिल्ली-एनसीआर, एमएमआर, पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु सहित शीर्ष सात शहरों में वितरित की जानी थीं. इसके अलावा, 2021 में इन शहरों को लगभग 4.12 लाख यूनिट्स को पूरा करना था, लेकिन अब इनमें से अधिकतर प्रोजेक्ट्स में देरी होगी.
ANAROCK प्रॉपर्टी के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, “दोनों वर्षों (2020-2021) में सबसे ज्यादा कम्पलीशन एनसीआर में होने थे (लगभग 2.40 लाख यूनिट्स). इस क्षेत्र में पहले से ही 2 लाख से अधिक यूनिट्स का बैकलॉग था, अब और प्रोजेक्ट्स में देरी होगी.”
डेवलपर्स के लिए फाइनेंस जुटाना एक बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है. हालांकि, बड़े डेवलपर्स के पास कुछ वित्तीय स्थान हैं, जबकि छोटे बिल्डर्स को इस वित्तीय वर्ष में फंडिंग गैप में तेज (लगभग 200 प्रतिशत) वृद्धि का सामना करना पड़ेगा.
CRISIL रेटिंग्स की डायरेक्टर सुष्मिता मजूमदार ने कहा, “बड़े, स्थापित डेवेलपर्स के पास पर्याप्त वित्तीय लचीलापन है. ऋण-से-कुल संपत्ति अनुपात (लेवरेज का एक तरीका) का अनुमान वित्त वर्ष 2020 के अंत में पांच वर्ष के सबसे निचले स्तर पर यानि -30% रह सकता है.”
हाउसिंग सेक्टर महामारी से पहले ही खस्ताहाल था. कई प्रोजेक्ट देरी से थे और खरीदारों ने शिकायतों के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया. महामारी ने पहले से ही कराह रही इंडस्ट्री की परेशानियों को और बढ़ाया है. इसका दोबारा उठ कर खड़ा होना सिर्फ आर्थिक रिकवरी पर ही संभव हो सकता है.