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Pandit Sukh Ram Died: पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम शर्मा का निधन, 94 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

Pandit Sukh Ram Died: पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम शर्मा का निधन हो गया है. 94 साल की उम्र में सुखराम शर्मा ने आखिरी सांस ली.

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पंडित सुखराम शर्मा (फाइल फोटो)
पंडित सुखराम शर्मा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुखराम शर्मा पांच बार विधायक, तीन बार सांसद रहे
  • उनको भ्रष्टाचार के मामले में पांच साल की सजा भी हुई थी

Pandit Sukh Ram Died: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता पंडित सुखराम शर्मा का निधन हो गया है. 94 साल के सुखराम सात मई से दिल्ली के AIIMS में वेंटिलेटर पर थे. बता दें कि सुखराम को चार मई को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. फिर उनको मंडी (हिमाचल प्रदेश) के एक हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. फिर बाद में उनको एयरलिफ्ट करके दिल्ली एम्स लाया गया था.

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कांग्रेस नेता और सुखराम शर्मा के पोते आश्रय शर्मा ने फेसबुक पोस्ट में दादा के निधन की जानकारी दी थी. मंगलवार रात को उन्होंने लिखा, 'अलविदा दादाजी, अभी नहीं बजेगी फोन की घंटी.' 

आश्रय शर्मा ने दादा संग अपने बचपन की एक तस्वीर भी शेयर की है. हालांकि, फेसबुक पोस्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि सुखराम का निधन कब हुआ.

सुखराम का जन्म 27 जुलाई 1927 को हुआ था. उनके दूसरे पोते आयुष शर्मा एक्टर हैं. उन्होंने सलमान खान की बहन से शादी की है.

सुखराम शर्मा साल 1993-1996 के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री, संचार (स्वतंत्र प्रभार) रहे थे. वह मंडी (हिमाचल प्रदेश) से लोकसभा सांसद थे. अपने राजनीतिक जीवन में सुखराम पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीते. अब सुखराम के बेटे अनिल शर्मा मंडी से बीजेपी विधायक हैं.

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साल 2011 में उनको पांच साल की सजा भी हुई थी. उनपर 1996 में संचार मंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.

1993 में सुखराम जब मंडी लोकसभा से सांसद थे, तब उनके बेटे इसी सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे. लेकिन फिर 1996 में अनिल शर्मा को कांग्रेस से निकाल दिया गया था क्योंकि उनका नाम टेलिकॉम घोटाले में आया था. फिर अनिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी बनाई थी. पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया था और सरकार में भी शामिल हुई  थी.

फिर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुखराम ने अपने बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय शर्मा के साथ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. लेकिन फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुखराम और आश्रय ने दोबारा कांग्रेस का दामन थामा था. आश्रय ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे.

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