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52 साल बाद संसद की कैंटीन से रेलवे का मेन्यू हटेगा, जानिए क्या है कारण और किसका मेन्यू आ रहा

संसद भवन की कैंटीन को अब नया वेंडर मिल गया है. करीब पांच दशक से कैंटीन संभाल रहे उत्तरी रेलवे की अब यहां से छुट्टी हो गई है.

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संसद भवन (फाइल फोटो)
संसद भवन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संसद भवन कैंटीन में नए वेंडर की एंट्री
  • अब ITDC को सौंपा गया जिम्मा

करीब पांच दशक तक संसद भवन में खाना खिलाने के बाद अब उत्तरी रेलवे की विदाई का वक्त आ गया है. 15 नवंबर से संसद भवन में खाना पकाने और खिलाने की जिम्मेदारी भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) को मिलने जा रही है, ऐसे में उत्तरी रेलवे के कैंटीन कर्मचारियों को सामान समेटने के लिए कह दिया गया है. 

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लोकसभा सचिवालय की ओर से उत्तरी रेलवे को एक चिट्ठी भेज इस बारे में अवगत कराया गया है. उत्तरी रेलवे 1968 से संसद भवन और उसके परिसर में मौजूद अन्य कार्यालयों में भोजन की सारी व्यवस्थाएं देखता है. 

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भारत पर्यटन विकास निगम भी सरकारी विभाग ही है, जो टूरिज्म डिपार्टमेंट में काम के अलावा अशोक ग्रुप होटल को भी चलाते हैं. लोकसभा सचिवालय की ओर से कहा गया है कि 15 नवंबर से संसद भवन और अन्य स्थानों पर कैंटिन का ऑपरेशन ITDC को दिया जाएगा. ऐसे में उत्तरी रेलवे उससे पहले जरूरी सामान जो कि लोकसभा सचिवालय द्वारा दिए गए थे, उनका हैंडओवर कर दें. 

आपको बता दें कि पिछले साल ही संसद भवन कैंटीन के लिए नए वेंडर को ढूंढने का काम शुरू हो गय था. जो अब ITDC को सौंपा जा रहा है. ITDC के मुताबिक, उन्हें खाने की क्वालिटी पर ध्यान देने को कहा गया है जो आम लोगों और सांसद के लिए बेहतर हो.

संसद सत्र के दौरान कैंटीन में करीब पांच हजार लोगों के खाने की व्यवस्था की जाती है, कैंटीन के मेन्यू में करीब 48 खाने की आइटम शामिल होती हैं. 

कैंटीन के वेंडर को फिक्स करने का काम संसद की फूड मैनेजमेंट कमेटी करती है, लेकिन ताजा लोकसभा में उसका गठन नहीं हुआ है. स्पीकर ओम बिड़ला लगातार खाने की क्वालिटी और सब्सिडी को लेकर चिंता जताते रहे हैं. अब नया वेंडर आ रहा है, साथ ही सब्सिडी भी खत्म हो सकती है. 

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