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संसद का मॉनसून सत्र, मणिपुर हिंसा पर घेरने को तैयार 'INDIA'

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. पूर्वोत्तर राज्य में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है. ऐसे में मॉनसून सत्र में भी इस मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं. इसके अलावा सरकार और विपक्ष के बीच दिल्ली अध्यादेश पर भी टकराव की संभावना है. केंद्र सरकार दिल्ली अध्यादेश पर इस सत्र में विधेयक पेश करेगी. 

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संसद भवन (फाइल फोटो)
संसद भवन (फाइल फोटो)

संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो रहा है. यह 11 अगस्त तक चलेगा. संसद का यह सत्र भी हंगामेदार होने के आसार हैं. इस सत्र में मणिपुर हिंसा और दिल्ली अध्यादेश का मुद्दा छाया रह सकता है. सरकार को घेरने के लिए विपक्ष इन मुद्दों को उठाने की तैयारी में है. यह सत्र 26 विपक्षी दलों के गठबंधन (I.N.D.I.A) की भी पहली परीक्षा माना जा रहा है. देखना होगा कि कैसे विपक्षी दल एकजुट होकर सरकार को घेरते हैं. विपक्ष ने आज मॉनसून सत्र से पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चेंबर में बैठक बुलाई है. इस बैठक में विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर रणनीति बनेगी. 

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दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दल एक साथ आने की कोशिश में जुटे हैं. इसी क्रम में 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में कांग्रेस ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी. बैठक में 26 विपक्षी दलों के नेता इकट्ठा हुए थे. इस नए गठबंधन को  I.N.D.I.A नाम दिया गया. ऐसे में अब संसद के मॉनसून सत्र में भी यह गठबंधन केंद्र को मिलकर घेरेगा. 
 
- मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. पूर्वोत्तर राज्य में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है. ऐसे में मॉनसून सत्र में भी इस मुद्दे पर हंगामे के आसार हैं. इसके अलावा सरकार और विपक्ष के बीच दिल्ली अध्यादेश पर भी टकराव की संभावना है. केंद्र सरकार दिल्ली अध्यादेश पर इस सत्र में विधेयक पेश करेगी. 

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- अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली में अफसरों के तबादले और पोस्टिंग पर केंद्र द्वारा मई में लाए गए अध्यादेश का विरोध कर रही है. यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को मिले अधिकारों को सीमित करता है. आप ने कांग्रेस से इस मुद्दे पर समर्थन मांगा था. कांग्रेस ने बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक से पहले आप को समर्थन देने का ऐलान किया था. 

मॉनसून सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने विभिन्न दलों के फ्लोर नेताओं से कहा कि वह नियमों के तहत हर मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है. सरकार इस सत्र में 31 बिल पेश करेगी. 

31 बिल पेश करेगी सरकार

11 अगस्त को खत्म होने वाले सत्र में सरकार 31 बिल पेश करेगी. इसमें सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन, वन संरक्षण कानूनों में संशोधन और दिल्ली सेवाओं पर विवादास्पद अध्यादेश शामिल हैं. इसके अलावा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना के लिए एक मसौदा कानून को भी संसद में पेश किया जाएगा. 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023

मानसून सत्र में यह चर्चित अध्यादेश भी पेश किया जाएगा. यह वहीं अध्यादेश है जिसे लेकर केजरीवाल सरकार और केंद्र में ठनी हुई है. आम आदमी पार्टी इस अध्यादेश पर तमाम दलों से समर्थन मांग रही है. इसके लिए केजरीवाल की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है . AAP के लिए तो सबसे बड़ी परीक्षा यही रहनी है कि वो इस अध्यादेश को राज्यसभा में रोक सकें. इसके लिए उन्हें कई विपक्षी दलों से जुड़े राज्यसभा सांसदों के वोट की जरूरत होगी. 

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जन विश्वास विधेयक

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को अपनी मंजूरी थी जिसे अब संसद में पेश किया जाएगा. इस विधेयक में  कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है.

निजी डेटा संरक्षण विधेयक

इस सत्र में सबसे अहम विधेयकों  में शामिल है डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक, 2023, जिसमें कंपनियों पर नियमों का उल्लंघन करने पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इसका मकसद देश के नागरिकों की निजी डेटा की सुरक्षा करना है. इसके तहत यूजर के बिना मर्जी के उसका पर्सनल डेटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. 

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023

प्रदर्शनियों के लिए फिल्मों को मंजूरी देने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और बदलते समय के अनुरूप बनाने के लिए अधिनियम में फिल्म पायरेसी की जांच करने, प्रमाणन की आयु-आधारित श्रेणियां पेश करने और मौजूदा अधिनियम में अनावश्यक प्रावधानों को हटाने के प्रावधान शामिल हैं.

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023

पिछले पांच दशकों के दौरान समाज में प्रगतिशील परिवर्तनों को समायोजित करने, पंजीकरण प्रक्रिया को लोगों के अनुकूल बनाने और पंजीकृत जन्म और मृत्यु के डेटाबेस का उपयोग करके राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अन्य डेटाबेस को अपडेट करने का प्रयास.

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इन विधेयकों को भी किया जाएगा पेश

इनमें इनमें से एक बिल में जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजातियों की सूची में बदलाव की मांग भी शामिल है और दूसरी मांग छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों की सूची में महरा और माहरा को मेहर, मेहरा और महार के पर्यायवाची के रूप में शामिल करने के लिए है. बुलेटिन के अनुसार, एक विधेयक में वाल्मिकी समुदाय को चुरा, भंगी, बाल्मीकि और मेहतर के पर्याय के रूप में जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने का भी प्रावधान है.

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक, 2023, एसईआरबी (विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड) अधिनियम, 2008 को निरस्त करने के अलावा, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना का प्रावधान करता है. एक अन्य विधेयक रेलवे अधिनियम, 1989 के प्रावधानों को शामिल करके भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को निरस्त करने का प्रावधान है. 

 

 

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