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संसद सत्र शुरू होने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. कोरोना संकट के कारण इस बार काफी बदलाव हुए हैं और प्रश्नकाल को हटा दिया गया है. विपक्ष की ओर से इस मसले पर घोर आपत्ति जताए जाने के बाद अब सरकार ने कुछ बदलाव किया है. अब संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सांसद लिखित में सवाल पूछ सकेंगे, जिसका जवाब में लिखित में ही मिलेगा. हालांकि विपक्ष अब भी फैसले से संतुष्ट नहीं दिख रहा है.
गुरुवार को संसद सत्र से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसमें कहा गया है कि सांसदों को ये बताया जाता है कि इस बार राज्य सभा में प्रश्नकाल नहीं होगा. ऐसे में सभी सदस्य अपने सवाल पहले दे सकते हैं जिनका लिखित जवाब मिलेगा.
आपको बता दें कि कोरोना संकट के बीच इस बार संसद का सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है जो बिना किसी अवकाश के 1 अक्टूबर तक लगातार चलेगा. इस बार दोनों सदन अलग-अलग शिफ्ट में चलेंगे, ताकि नियमों का पालन हो सके. लेकिन प्रश्नकाल और शून्य काल निरस्त होने के कारण विपक्ष सरकार पर आग बबूला था.
सरकार के इस फैसले पर टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन ने निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि आपने प्रश्नकाल को मंजूरी नहीं दी, जहां मंत्रियों को सांसदों के जवाब देने होते थे. लेकिन अब आप लिखित सवाल-जवाब पर मान गए. टुकड़े फेंकना बंद कीजिए, ये संसद है गुजरात जिमखाना नहीं.
You don’t allow #QuestionHour where ministers have to stand up and answer Qs from MPs and be held accountable. Now you only condescend to allow written Questions/Answers!
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 3, 2020
Stop throwing crumbs. This is #Parliament Not the Gujarat Gymkhana
कांग्रेस नेता शशि थरूर समेत कई नेताओं ने इस मसले पर सरकार को घेरा भी थी. कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि बीजेपी संसद को रबर स्टांप की तरह इस्तेमाल कर रही है. जहां सवाल पूछना मना है और सिर्फ बहुमत के आधार पर बिल पास कर दिए जाएंगे.
हालांकि, भाजपा की ओर से लगातार इसे कोरोना संकट के कारण प्रोटोकॉल में बदलाव की वजह बताया गया. साथ ही सफाई दी गई कि संसद इस दौरान भी अपने सवालों को सदन में पूछ सकते हैं. कांग्रेस के अलावा टीएमसी, शिवसेना समेत अन्य पार्टियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था और इस मसले पर सदन के स्पीकर को खत लिखा था.