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कोई पिस्टल ले आया तो कोई बम... 1970 से 1998 के बीच 16 बार तार-तार हुई संसद की सुरक्षा

सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर हैंडल पर लिखा "10 जनवरी 1991 में बद्री प्रसाद और 11 जनवरी 1991 पुष्पेंद्र चौहान दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे और अध्यक्ष के आसान तक पहुंच गए थे. लोकसभा अध्यक्ष से कोई सवाल नहीं, कोई इस्तीफा नहीं और कहा कि संसद की सुरक्षा लोकसभा सचिवालय का ही अधिकार है. कांग्रेस देश को गुमराह करना चाहता है. याददाश्त पर जोर डालिए सभी बात पर राजनीति अच्छी नहीं होती."

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संसद की सुरक्षा में सेंध का मामला, 13 दिसंबर को हुआ था स्मोक अटैक (फाइल फोटो)
संसद की सुरक्षा में सेंध का मामला, 13 दिसंबर को हुआ था स्मोक अटैक (फाइल फोटो)

संसद में स्मोक अटैक के मामले के बाद जहां एक तरफ देश स्तब्ध है तो वहीं, राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा लगातार जारी है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब तक 6 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. कुल मिलाकर, बीते 13 दिसंबर को सदन में घटी इस घटना ने सबको चौंकाया, लेकिन इतिहास में दर्ज करीब 16 घटनाएं ऐसी हैं जिनमें पब्लिक गैलरी में उत्पात मचाने का उल्लेख मिलता है. विपक्ष जहां इसे मुद्दा बनाकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है तो वहीं सत्ता पक्ष बीती घटनाओं की याद दिलाकर राजनीति न करने की बात कह रहा है.

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सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर हैंडल पर लिखा "10 जनवरी 1991 में बद्री प्रसाद और 11 जनवरी 1991 पुष्पेंद्र चौहान दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे और अध्यक्ष के आसान तक पहुंच गए थे. लोकसभा अध्यक्ष से कोई सवाल नहीं, कोई इस्तीफा नहीं और कहा कि संसद की सुरक्षा लोकसभा सचिवालय का ही अधिकार है. कांग्रेस देश को गुमराह करना चाहता है. याद्दाश्त पर जोर डालिए सभी बात पर राजनीति अच्छी नहीं होती."

पब्लिक गैलरी में 16 बार कटा बवाल 
13 दिसंबर 2023 की घटना से पहले भी सदन में  कई घटनाएं हुई जिसमें विजिटर्स पिस्टल ले आए, नारेबाजी करने लगे, दर्शक दीर्घा से कूद गए और पर्चा फेंका, यहां तक की सदन के अंदर मिर्च का स्प्रे लेकर भी कई सांसदों के आने का उल्लेख मिलता है. 

सबसे ज्यादा कागज फेंके गए और कूदने की घटना कम 
पब्लिक गैलरी से नारे लगाने, पैंफलेट फेंकने, दो पिस्टल और एक बम जैसी चीज लेकर जबरदस्ती दर्शन दीर्घा में घुसने का प्रयास करने और नारे लगाने, लीफलेट फेंकने, पंफलेट फेंकने पब्लिक गैलरी से लोकसभा के चेंबर में कूदने, चेंबर में कूद कर नारे लगाने, विशिष्ट दीर्घा कक्षा से नारे लगाने जैसी घटनाओं का उल्लेख मिलता है. 

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साल 1970 से 1998 के बीच कुल 16 घटनाएं
साल 1974 में दो पिस्टल और एक बम जैसी चीज लेकर जबरदस्ती दर्शन दीर्घा में घुसने का प्रयास करने और नारे लगाने की घटना के आरोप में विजिटर रतन चंद्र गुप्ता को सदन के जरिए एक माह के कारावास की सजा दी गई. उस वक्त हरीकिशोर सिंह एमपी सिफारिश करने वाले प्राधिकारी थे. सदन के मुताबिक ऐसी 16 घटनाओं का उल्लेख मिलता है जिसमें से अधिकतर पब्लिक गैलरी में नारे लगाने या फिर कागज फेंकने से संबंधित हैं. साल 1998 में 15 जुलाई के दिन, दोपहर के 2:45 बजे होंगे. विशिष्ट दीर्घा कक्षा से नारे लगाए गए और विजिटर पूर्व सांसद लवली आनंद थी. 16 घटनाओं में पहली का उल्लेख साल 1970 और आखिरी का उल्लेख  साल 1998 में मिलता है.

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