संसदीय अध्याय में नया अध्याय जुड़ने जा रहा है.आज से संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत होगी. सत्र शुरू होने से पहले इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि कि सरकार सत्र में कुछ चौंकाने वाली चीजें पेश करेगी. सत्र में संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा होगी और संसद को नए भवन में स्थानांतरित किया जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि सत्र के दौरान कुल आठ विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें से चार का खुलासा सरकार कर चुकी है और बचे चार विधेयकों को लेकर अटकलें जारी हैं.
सरकार देगी सरप्राइज!
संसद के इस सत्र के लिए सरकार ने वैसे तो अपना एजेंडा बता दिया है लेकिन अटकलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं. विशेष सत्र को लेकर कई दिनों से सियासत होती रही है. पहले सरकार ने यह कहकर चुप्पी साधी थी कि विशेष सत्र से पहले एजेंडा जारी करने की कोई परंपरा नहीं रही है लेकिन कुछ दिन पहले एजेंडा सार्वजनिक करते हुए बताया कि विशेष सत्र में चार बिल पारित होने हैं जिनमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का बिल सरकार और विपक्ष में टकराव का मुद्दा बना हुआ है.
कांग्रेस ने दांव खेलते हुए सरकार से मांग की है कि सरकार विशेष सत्र में महिला आरक्षण से जुड़ा बिल पेश कर पारित करे जो कई सालों से अटका पड़ा है. सरकार ने भले ही एजेंडा साफ कर दिया हो लेकिन कयास इस बात के भी लग रहे हैं कि सरकार कुछ सरप्राइज भी दे सकती है. कयास इसलिए लग रहे हैं क्योंकि बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को पांचों दिन सदन में मौजूद रहने को कहा है. एक देश, एक चुनाव से लेकर महिला आरक्षण और भारत बनाम इंडिया तक के मामले में कुछ खास विशेष सत्र में होने के कयास लग रहे हैं. अब देखना होगा कि सरकार इस बार चौकाएगी या फिर सदन में संसदीय यात्रा पर चर्चा और एजेंडे वाले बिलों पर ही चर्चा होगी.
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पहली बार 75 साल की संसदीय यात्रा पर होगी चर्चा
सत्र के पहले दिन यानी आज राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियों, अनुभव, यादों और सीख पर चर्चा की जाएगी. आजादी के बाद क्या-क्या उपलब्धियों हासिल हुई उन पर चर्चा की जाएगी और उसके बाद फिर आठ विधेयक पेश किए जाएंगे. सरकार ने सभी कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को विशेष सत्र के पांच दिन सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
सभी सांसद खिंचवाएंगे ग्रुप फोटो
लोकसभा और राज्यसभा के सभी 795 सदस्य (लोकसभा को 545 और राज्यसभा के 250 सांसद) मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे ग्रुप फोटो खिंचवाने के लिए एकत्र होंगे और इसके बाद सभी सांसद संसद की समृद्ध धरोहर की याद में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. समूह में तीन तस्वीरें ली जाएंगी. पहली तस्वीर में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य होंगे, दूसरी में राज्यसभा सदस्य और तीसरी तस्वीर में लोकसभा के सदस्य होंगे.
पहली बार नई ड्रेस में नजर आएंगे संसद के ये कर्मचारी
बहुचर्चित विशेष संसद सत्र से ठीक पहले, संसद कर्मचारियों के ड्रेस कोड में एक बड़ा बदलाव किया गया है जो संसद के दोनों सदनों में लागू होगा. संसद भवन में पुरुष कर्मचारी गुलाबी रंग की कमल के फूल के डिजाइन से सजी क्रीम रंग की जैकेट और खाकी पैंट पहनेंगे. वहीं महिला अधिकारी भी गुलाबी साड़ी के साथ कमल प्रिंट वाला कोट पहने हुए नजर आएंगी.यह ड्रेस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) ने बनाई है. संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के मार्शल की ड्रेस भी इस विशेष सत्र से बदल जाएगी. संसद के इस विशेष सत्र में दोनों सदनों के मार्शल मणिपुरी पगड़ी पहनेंगे.
इसके अलावा संसद भवन के सुरक्षा मैं तैनात कर्मचारियों की ड्रेस में भी बदलाव हुआ है. ये सुरक्षाकर्मी अभी तक सफारी सूट में नजर आते थे लेकिन अब हें सैनिकों की तरह कैमोफ्लेज ड्रेस दी जाएगी. इसके अलावा संसद के चैंबर अटेंडेंट, सुरक्षा कर्मी और ड्राइवर भी नई ड्रेस में नजर आएंगे.
ड्रेस पर विपक्ष ने जताई आपत्ति
संसद के कर्मचारियों के एक वर्ग के लिए फूल की आकृति वाले नये ‘ड्रेस कोड’ ने एक राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव चिह्न ‘कमल’ के फूल को प्रचारित करने की एक ‘सस्ती’ रणनीति करार दिया है.
सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने रखी ये मांग
आपको बता दें कि संसद के विशेष सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. यह बैठक देर तक चली जिसमें कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता वाइको, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता वी शिवदासन सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने पहुंचे. रविवार को कई सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने सोमवार से शुरू होने वाले पांच दिवसीय संसद सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की जोरदार वकालत की. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के चयन प्रक्रिया में कोई बदलाव न करने का भी मुद्दा उठाया. इसके अलावा महिला आरक्षण, जाति जनगणना, अडानी मामला, CAG रिर्पोट, मणिपुर, मेवात सहित तमाम मुद्दों पर सदन में चर्चा की मांग की गई.
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खास है यह विशेष सत्र
नए संसद भवन में सरकार के विधायी कामकाज 20 सितंबर से शुरू होंगे. 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र में इस बार काफी कुछ खास होने की उम्मीद जताई जा रही है. गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए भवन में कार्यवाही की शुरुआत होगी. आम तौर पर एक साल के अंदर संसद के तीन सत्र (बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र) होते हैं. लेकिन सरकार द्वारा इस बार विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. दरअसल संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा सत्र बुलाने का फैसला किया जाता है और फिर सरकार द्वारा राष्ट्रपति से विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की जाती है. सरकार द्वारा बताया गया है कि इस सत्र में चार विधेयक पेश किए जाएंगे जिनमें शामिल हैं-
- मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित बिल
- अधिवक्ता संशोधन बिल
- पोस्ट ऑफिस बिल
- प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल
रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक से पहले सदन के नेताओं को सूचित किया गया कि वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े एक विधेयक तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आदेश से संबंधित तीन विधेयकों को एजेंडे में जोड़ा गया है. पहले सूचीबद्ध किए गए विधेयकों में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी विधेयक भी शामिल है. यह विधेयक पिछले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था और विपक्ष ने इसका विरोध किया था.