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संभल और अडानी से शुरुआत, धक्का कांड से क्लाइमेक्स... राज्यसभा में पेंडिंग रह गया ये महत्वपूर्ण बिल

संसद के शीतकालीन सत्र में लोकतंत्र की प्रोडक्टिविटी 54.5 और राज्यसभा की 40 फीसदी रही है. संभल और अडानी मुद्दे पर हंगामे के साथ शुरू हुए सत्र का क्लाइमैक्स धक्का-मुक्की के साथ हुआ और इस दौरान राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा तक शुरू नहीं हो सकी.

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संसद के बाहर और भीतर, सत्ता पक्ष और विपक्ष में दिखा टकराव
संसद के बाहर और भीतर, सत्ता पक्ष और विपक्ष में दिखा टकराव

संसद का शीतकालीन सत्र अब समाप्त हो गया है. इस सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में जोरदार हंगामा देखने को मिला. संभल और अडानी मुद्दे को लेकर विपक्ष जहां सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहा, वहीं ट्रेजरी बेंच भी जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर आक्रामक रहा. संभल और अडानी मुद्दे पर हंगामे के साथ शुरू हुए इस सत्र के बीच में सोरोस का मुद्दा छाया रहा तो वहीं इसका क्लाइमेक्स संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर शाह के बयान को लेकर हंगामा और धक्का-मुक्की के साथ हुआ. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 54.5 और राज्यसभा की 40 फीसदी रही. 

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संभल-अडानी मुद्दे से हुई शुरुआत

शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी. पहले ही दिन से विपक्षी सदस्यों ने अडानी और संभल मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू कर दिया था. विपक्ष अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी अदालत में केस का हवाला देते हुए इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करता रहा. संभल हिंसा को लेकर भी हंगामा हुआ. दूसरे दिन 26 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के मौके पर दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया और इसके बाद पहले हफ्ते के शेष तीन दिनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई.

दूसरे हफ्ते के दूसरे दिन से दोनों सदनों में गतिरोध दूर हुआ और कामकाज पटरी पर लौटा. इस दौरान लोकसभा से बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 और अनुपूरक अनुदान मांगों से जुड़े विधेयक सहित कुछ विधेयक भी पारित हुए. तभी सोरोस मुद्दा गतिरोध की वजह बन गया. बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों में जॉर्ज सोरोस के साथ कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी के लिंक का मुद्दा उठाते हुए इस पर विस्तृत चर्चा की मांग करते हुए विपक्ष के खिलाफ एक नया फ्रंट खोल दिया.

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कांग्रेस और विपक्ष ने इसे संविधान पर चर्चा से बचने की तरकीब बताया और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर से मुलाकात कर यह कहा कि हम सदन चलाना चाहते हैं. लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को संविधान पर चर्चा हुई. पीएम मोदी ने चर्चा का जवाब देते हुए इमरजेंसी से लेकर आरक्षण के खिलाफ पंडित नेहरू के पत्र, राजीव गांधी की स्पीच का जिक्र कर कांग्रेस पर हमला बोला. संविधान पर चर्चा राज्यसभा में भी हुई. 16 और 17 दिसंबर को उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने दिया.

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अमित शाह ने भी बाबा साहब आंबेडकर को चुनाव हराने से लेकर आरक्षण के विरोध और इमरजेंसी तक, कांग्रेस को खूब लपेटा लेकिन इसी दौरान वह कुछ ऐसा बोल गए जिसे मुद्दा बनाकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया. दरअसल, अमित शाह कांग्रेस को घेरते-घेरते यह भी बोल गए कि ये जितना आंबेडकर आंबेडकर आंबेडकर कर रहे हैं, उतना भगवान का नाम लें तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाए. इसे बाबा साहब का अपमान बताते हुए विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया. इस सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष और आसन भी आमने-सामने आए और टकराव इस कदर बढ़ा कि अब तक के संसदीय इतिहास में पहली बार विपक्ष उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ गया. हालांकि, डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने इसे फ्लोर पर आने से पहले ही खारिज कर दिया.

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जेपीसी को भेजा गया वन नेशन, वन इलेक्शन बिल

हंगामेदार सत्र के अंतिम हफ्ते में वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान (129वां संशोधन) बिल लोकसभा में आया और डिवीजन के बाद प्रस्तुत होने के साथ ही ये विधेयक जेपीसी को भेज दिया गया. इस सत्र की शुरुआत से पहले सबसे अधिक गहमागहमी जिस वक्फ बिल को लेकर थी, पूरे सत्र में फ्लोर पर उसकी चर्चा तक नहीं हुई. लोकसभा में जेपीसी की अगुवाई कर रहे जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट पेश करने की तारीख से पहले ही कार्यकाल बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रख दिया जिसे सदन ने पारित कर दिया.

 पेंडिंग रह गया अनुदान की अनुपूरक मांगों से जुड़ा बिल

राज्यसभा से भारतीय वायुयान विधेयक पारित हो गया लेकिन दो बिल उच्च सदन में पेंडिंग रह गए. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों के पहले बैच को लोकसभा से पारित कर दिया लेकिन राज्यसभा में इस पर चर्चा तक शुरू नहीं हो सकी. राज्यसभा अनुपूरक अनुदान मांगों के साथ ही बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 भी पेंडिंग रह गया. हालांकि, इस सत्र में भारतीय रेल (संशोधन) विधेयक पारित हो गया है.

प्रोटेस्ट के दिखे विविध रंग

प्रोटेस्ट के लिए प्ले कार्ड वाले परंपरागत तरीके का इस्तेमाल सियासी दलों ने किया ही, शीतकालीन सत्र के दौरान इसके अलग-अलग रंग भी देखने को मिले. कांग्रेस सदस्यों ने बीजेपी सांसदों को गुलाब के साथ संविधान की प्रति देकर विरोध जाहिर किया तो वहीं अपने डेब्यू सेशन में प्रियंका गांधी अलग-अलग बैग लेकर संसद भवन पहुंचीं. प्रियंका गांधी एक दिन फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद पहुंचीं तो अगले ही दिन बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं के खिलाफ. शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका को 1984 लिखा बैग देकर सिख दंगों पर विरोध जताया. प्रियंका और राहुल समेत विपक्ष के कई सांसद शीतकालीन सत्र के दौरान नीले कपड़ों में संसद पहुंचे.

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धक्का-मुक्की के साथ क्लाइमैक्स

शीतकालीन सत्र की शुरुआत जितनी हंगामेदार रही, क्लाइमैक्स उससे भी ज्यादा हंगामेदार रहा. 18 दिसंबर को विपक्ष ने गृह मंत्री शाह से माफी मांगने की मांग करते हुए प्रोटेस्ट किया, हंगामा किया. हंगामे के कारण दोनों सदन नहीं चल सके. 19 दिसंबर को विपक्ष के सदस्य नीले कपड़ों में संसद पहुंचे. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने संसद के मकरद्वार पर प्रदर्शन किया और इसी दौरान धक्का-मुक्की में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए. बीजेपी के दोनों सांसदों को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा. आरोप राहुल गांधी पर लगा. नगालैंड से बीजेपी की सांसद फैंगनॉन एस कोन्याक ने राहुल पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए सभापति जगदीप धनखड़ से शिकायत कर संरक्षण मांगा.

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विपक्ष इसे पूरे घटनाक्रम को आंबेडकर पर शाह के बयान से ध्यान भटकाने के लिए सोची-समझी साजिश बता रहा है. मामला पुलिस तक पहुंच चुका है. बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत विभिन्न संगीन धाराओं में मामला दर्ज कराया है तो वहीं, कांग्रेस सांसदों ने भी मल्लिकार्जुन खड़गे को धक्का देने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में शिकायत दी है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संसद भवन के किसी भी द्वार पर प्रदर्शन नहीं करने की सख्त हिदायत राजनीतिक दलों को दी है.

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