संसद में आज वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश हो गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' लोकसभा में पेश किया. वहीं, राज्यसभा में आज भी संविधान पर चर्चा जारी है. बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों के अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है.
राज्यसभा की कार्यवाही 18 दिसंबर को दिन में 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दिया. अमित शाह का संबोधन समाप्त होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा कर दी.
अमित शाह ने कहा कि सावरकर जी के लिए कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य ने जो कहा, वह मैं तो रिपीट नहीं कर सकता. सावरकर के नाम के आगे जो वीर लगा है, वह सरकार ने नहीं जनता ने लगाया है. रिकॉर्ड पर कहना चाहता हूं कि 1857 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम में किसी एक व्यक्ति को जीवन में दो आजीवन कारावास किसी को हुआ है तो वह वीर सावरकर थे. टॉयलेट से दरिया में छलांग लगाने का साहस किसी में था तो वह वीर सावरकर थे, एक ही जेल में दो भाई कालापानी की सजा काट रहे थे और 10 साल तक देखा नहीं, वह वीर सावरकर थे. क्या देशभक्ति किसी विचारधारा के साथ जुड़ी हो सकती है, देश के लिए बलिदान विचारधारा के स्तर पर हो सकता है. किस स्तर पर हम सार्वजनिक जीवन को ले गए हैं. इंदिरा गांधी ने सावरकर के निधन पर कहा- सावरकर जी महान देशभक्त थे. उनका नाम देशभक्ति का पर्याय हैं. उन्होंने इंदिरा गांधी के एक पत्र को भी कोट किया और हमारा न सुनो, इंदिरा जी का भी नहीं सुनते हो. इस चर्चा के माध्यम से देशभर के अलग-अलग दल, धर्म के लोगों से निवेदन है कि देशभक्ति, वीरता और समर्पण को पार्टी से मत जोड़िए. जो बलिदान देता है, वो बलिदानी होता है चाहे किसी भी धर्म में जन्म लिया हो. हमारे संविधान ने नहीं स्वीकारा. लोकतंत्र हैं, परिवारवाद नहीं होना चाहिए. पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है, तुष्टिकरण नहीं होना चाहिए. कांग्रेस क्यों नहीं संविधान का सम्मान करती है, ये तीन पढ़े तो समझ आया. एक गरीब आदमी जो तुष्टिकरण को नहीं मानता है, जब पीएम बना इन्होंने परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार हमेशा आगे रखा. ये छोड़ दो, जनता जीता देगी. मोहब्बत की दुकान के बहुत नारे सुने हैं. हर गांव में दुकान खोलने की महत्वाकांक्षा रखने वाले के भी बहुत भाषण सुने हैं. मोहब्बत बेचने की चीज नहीं है भैया. मोहब्बत जज्बा है, महसूस करने की चीज है. अमित शाह ने आजादी के अमृत महोत्सव में पीएम मोदी के संकल्प दोहराए और कहा कि ये संकल्प देश के हर नागरिक का संकल्प बन चुका है.
अमित शाह ने केशवानंद भारती केस का उदाहरण देते हुए कहा कि फैसले तो हमारे खिलाफ भी आते हैं. न्यायिक व्यवस्था है, मानना चाहिए. कांग्रेस ने क्या किया, तीन लोगों पर तरजीह देकर चौथे को मुख्य न्यायाधीश बनाने का काम किया जिसकी वजह से तीनों इस्तीफा देकर घर चले गए. ये बार-बार दोहराना चाहिए, हर बच्चे को रटाना चाहिए कि तानाशाहों को क्या करना चाहिए जिससे कोई हिम्मत न कर सके इमरजेंसी लाने की. एडीएम जबलपुर जस्टिस खन्ना कभी चीफ जस्टिस नहीं बन पाए और रिटायर हो जाना पड़ा. उच्च न्यायालय के 18 न्यायाधीशों का ट्रांसफर कर दिया. इन्होंने प्रत्यक्षीकरण को एंटरटेन किया था. हर व्यक्ति को समानता के साथ जीने का अधिकार है. सब समझते हैं कि व्यक्ति की माली हालत बुद्धिमता और उसके परिश्रम पर निर्भर करता है. 75 साल तक इस देश की जनता को गरीबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी गरीब रखे रही. 9.6 करोड गरीब महिलाओं को मोदी सरकार ने उज्ज्व्ला कनेक्शन देकर गैस सिलेंडर पहुंचाया, किसानों के खाते में करोड़ों रुपये सीधे ट्रांसफर हुए और आयुष्मान योजना के तहत लोगों ने मुफ्त में इलाज कराया है. 36 राज्यों में 80 करोड़ लोगों को राशन कार्ड और मुफ्त राशन दिया.
अमित शाह ने मुंबई के एक मेयर का पत्र कोट किया जिसमें डॉक्टर आंबेडकर के जन्मस्थान पर स्मारक बनाने की मांग की गई थी जिसके जवाब में सरकार की ओर से ये कहा गया था कि स्मारक निजी पहल से ही बनने चाहिए. उन्होंने आंबेडकर के नाम पर बीजेपी के सत्ता में आने के बाद बनवाए गए स्मारक गिनाए और कहा कि आज ये आंबेडकर आंबेडकर इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज उनको मानने वाले लोग ज्यादा आ गए हैं. शाह ने कहा कि कांग्रेस इतने वर्षों तक 370 को गोद में खिलाने का काम करती आई. लोग कहते थे कि खून की नदियां बहने लगेंगी. नरेंद्र मोदी जी दूसरी बार सत्ता में आए और एक ही झटके में इसे हटाने का काम किया. खून की नदियां छोड़ो, एक कंकड़ भी चलाने की किसी में हिम्मत नहीं. शाह ने चिनाब ब्रिज से लेकर निर्यात में सभी केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू कश्मीर के नंबर वन पर आने का जिक्र करते हुए कहा कि 1 लाख 19 हजार करोड़ का निवेश आज आ गया है. ये पूछते हैं कि 370 हटाने से क्या हो गया. बताता हूं. इससे आपकी तुष्टिकरण की दुकान बंद हो गई है.
आमित शाह ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का जिक्र करते हुए कांग्रेस को घेरा और कहा कि कांग्रेस यह स्पष्ट करे कि एक कानून होना चाहिए या नहीं. इन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ हिंदू कोड बिल भी ला दिया. हम तो चाहते हैं कि कानून नए हों. हिंदू कोड बिल में कोई पुराना नियम नहीं है. सामान्य कानून को ही इन्होंने हिंदू कोड बिल का नाम दे दिया. चलो मान लिया कि पर्सनल लॉ होना चाहिए. तो पूरा शरिया लागू करिए. विवाह और तलाक के लिए पर्सनल लॉ, ये तुष्टिकरण की शुरुआत यहीं से हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यूसीसी लाने की बात कही है. आप तुष्टिकरण नहीं ला सकते. हमने ही उत्तराखंड में यूसीसी लाने का काम किया है. दिग्विजय सिंह कहते हैं कि कौन रोाकता है, हम खुद रोकते हैं. सुनने के लिए धैर्य होना चाहिए. समाज में इतना बड़ा बदलाव लाने के लिए लागू कानून की न्यायिक मीमांशा होगी, बदलाव के लिए जो सुझाव आएंगे, उस पर विचार कर हर राज्य में बीजेपी की सरकार इसे लाएगी. आजकल एक फैशन हो गया है आंबेडकर आंबेडकर. इतना नाम भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता. आंबेडकर का नाम और ज्यादा लो, लेकिन उनके विचारों का भी अनुसरण करो. डॉक्टर आंबेडकर के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद का बयान कोट करते हुए बीसी रॉय के पत्र का भी जिक्र किया और नेहरू का जवाब भी बताया.
अमित शाह ने कांग्रेस पर नागरिक अधिकारों के कत्ल के लिए संविधान संशोधन करने का आरोप लगाते हुए कच्चातिवू द्वीप को लेकर भी कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा कि रातोरात इन्होंने ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया और संसद के पास विषय ही नहीं आया. आज भी यह हमारा भूभाग है लेकिन हमारे पास नहीं है. आपने पार्टी को तो परिवार की जागीर समझा ही है, संविधान को भी परिवार की जागीर समझ लिया है. संविधान के साथ ऐसा अन्याय दुनिया के किसी शासक ने नहीं किया होगा. उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा और कहा कि कई लोगों को इन्होंने जेल में डाल दिया था जिसमें से कई लोग आज इनके साथ बैठे हैं. देश पर कोई हमला हुआ था क्या या देश में कोई आफत आ गई थी. ऐसा कुछ नहीं हुआ था. बस इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके निर्वाचन को अयोग्य ठहरा दिया था. नीरज डे एक यस सर कहने की वजह से 11 साल तक देश के अटॉर्नी जनरल रहे. मैं तो छोटा था, जेल में नहीं जाना पड़ा. मेरी आयु होती तो पूरे 19 महीने जेल में बंद रहना पसंद करता. मुझे मालूमात इसलिए पड़ी क्योंकि बिनाका गीतमाला सुनता था. घर में झगड़ा किया तो पता चला कि इंदिरा गांधी और किशोर कुमार का झगड़ा हो गया. उनकी आवाज अब नहीं सुनाई देगी. लता दीदी की आवाज में फिर से रिकॉर्डिंग हुई और तब यह कार्यक्रम शुरू हुआ. संविधान दिवस मनाने पर लोग सवाल करते हैं, इसको जितनी बार स्मरण करोगे उतनी ही संविधान पर आस्था मजबूत होगी. अमित शाह ने दुष्यंत कुमार की इमरजेंसी पर लिखी पंक्तियां पढ़ीं- एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है... अमित शाह ने कहा कि जब संविधान बन रहा था, हर आर्टिकल पर चर्चा चल रही थी. हम आजाद हो गए थे लेकिन देश कोई नया नहीं बना है. दुनिया में सबसे पुराना जीवन लेकर निकले हुए देश हैं. आगे देश कैसे चले, बस इसका एक डॉक्यूमेंट बनाना था. अंग्रेज लिखकर गए थे इंडिया, वो भारत जानते ही नहीं थे. आजाद होने पर इस पर चर्चा हुई, सेठ गोविंद दास ने कहा कि नाम भारत होना चाहिए और जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि और पीछे देखने की जरूरत नहीं है, भविष्य की ओर देखने की जरूरत है और इंडिया भी रहा, भारत भी रहा. इंडिया के नजरिये से देखोगे तो भारत समझ नहीं आएगा. इसीलिए इन्होंने अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया ही रखा. हमारी पुरानी परंपराओं पर हमें शर्म नहीं है. हम परंपराएं बदलेंगे. इंडिया गेट पर किंग पंचम जॉर्ज की मूर्ति हटा दी और सुभाष बाबू की प्रतिमा लगा दी. हमने वीर छत्रपति शिवा जी महाराज की प्रतिमा लगा दी. हमने राष्ट्रीय शहीद स्मारक बनाया और अमर जवान ज्योति को विलीन करने का काम किया. सेंगोल को इलाहाबाद के म्यूजियम में भेज दिया, नरेंद्र मोदीजी ने सेंगोल के विधिवत सेंगोल को संसद में स्थापित करने का काम किया. नई संसद बनाई और हजारों मूर्तियां वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय ने प्रयास किया. एनईपी में हमने अनिवार्य कर दिया कि बच्चे की प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होगी. पहले आईएएस-आईपीएस का पेपर मातृभाषा में नहीं होता था, हमने किया. अंडमान निकोबार द्वीप समूह का नाम जो अंग्रेज रख गए थे, सुभाष बाबू ने जो नाम रखा था, हमने वो नाम शहीद और स्वराज वापस लाने का काम किया. हमने लोककल्याण मार्ग किया. निर्मला जी जब बही खाता लेकर बजट देती हैं, पूरे देश को आनंद होता है. इन्होंने अपने परिवार के नाम के अलावे कुछ नहीं किया. देशभर में हजारों जगह नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों का नाम मिलेगा. हमने पीएम संग्रहालय बनाया और नेहरू की भी तस्वीर लगाने का काम किया. राम मंदिर से काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण और 160 पुराने कानूनों को समाप्त करने का काम किया. हम पीछे नहीं गए, आप 14 वें नंबर पर छोड़कर गए थे, अटलजी 11वें नंबर पर लाए. आप 11वें नंबर पर बनाए रखे, हमने पांचवे नंबर पर लाने का काम किया.
अमित शाह ने कहा कि कुछ लोग आज आरक्षण-आरक्षण चिल्लाते हैं. आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी का रुख क्या रहा. 1955 में ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमेटी बनी थी, इसकी रिपोर्ट कहां है. हमने दोनों सदनों में ढूंढा, कहीं नहीं मिला. इस पर विपक्ष की ओर से टोका गया कि अर्धसत्य मत बोलिए. इस पर अमित शाह ने कहा कि छिपा कैसे सकते हो. ये बाबासाहब का संविधान है, कोई भी रिपोर्ट आती है तो उसे कैबिनेट में रखने के बाद सदन में लाते हैं. इन्होंने वह रिपोर्ट लाइब्रेरी में रख दिया. इस रिपोर्ट पर ध्यान दिए होते तो मंडल कमीशन की जरूरत नहीं पड़ती. मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर अमल तब हुआ जब इनकी सरकार गई. जब उस रिपोर्ट को स्वीकार किया गया, तब लोकसभा में विपक्ष के नेता राजीव गांधी ने सबसे लंबा भाषण दिया और कहा कि पिछड़ों को आरक्षण देने से योग्यता का अभाव हो जाएगा. मोदीजी ने ओबीसी आयोग को मान्यता दी, नीटी-यूजी में आरक्षण दिया. इन्होंने क्या किया, झूठ बोलना शुरू कर दिया कि आरक्षण बढ़ा देंगे.आरक्षण क्यों बढ़ाना है, ये बताता हूं. इन्होंने 50 फीसदी से अधिक आरक्षण करने की वकालत की है. देश के दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है. ये गैर संवैधानिक है. संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए, स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा. आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा. कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया. 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है. इस पर जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कभी धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया. गृह मंत्री ने कहा कि दिया है. उन्होंने संविधान सभा की चर्चा के रिकॉर्ड से नेहरू को कोट किया.
अमित शाह ने कहा कि एक संविधान संशोधन हम लेकर आए, जीएसटी लाकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक सौ अलग-अलग कानूनों को समाप्त कर जनहित का काम किया. नरेंद्र मोदी ने जीएसटी का विरोध किया था. इसलिए किया था कि आप जीएसटी तो लाना चाहते थे लेकिन राज्यों को कंपन्सेशन की गारंटी देना नहीं चाहते थे. हमने वो भी किया. हम दूसरा संशोधन लेकर आए ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए किया. बीजेपी ने पिछड़ी जातियों के कल्याण के लिए दूसरा संशोधन किया. तीसरा संशोधन गरीबों के कल्याण के लिए लाए कि जिन जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, उनको 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के लिए किया. पिछड़ी जातियों का पिछड़ापना कोई एक सरकार कर सकती है. फेडरल स्ट्रक्चर की बात करते हैं. नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2021 में संविधान संशोधन कर पिछड़ी जातियों के कल्याण के लिए निर्णय लेने का अधिकार राज्यों को देने का काम किया है. और अंतिम संविधान संशोधन था महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाने के लिए. जिस दिन इस सदन में 33 फीसदी नारी शक्ति बैठेगी, संविधान निर्माताओं की कल्पना साकार हो जाएगी. इसके अलावा भी हम कई कानून लेकर आए हैं. वोटबैंक की राजनीति करके मुस्लिम बहनों के साथ इतने साल तक अन्याय करने का काम कांग्रेस ने किया है. हमने तो ट्रिपल तलाक समाप्त कर मुस्लिम माताओं और बहनों को न्याय देने का काम किया है कि आपके भी अधिकार पुरुषों के बराबर हैं. आरिफ मोहम्मद खान मंत्री थे, सांसद थे. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे. उन्होंने कहा कि शाहबानो को मुआवजा देना चाहिए. बिचारे का मंत्री पद भी गया, सांसदी भी गई. नई शिक्षा नीति भी हम लाए हैं और कम्युनिस्ट भी विरोध नहीं कर पाए. शिक्षा नीति आए और कम्युनिस्ट विरोध ना करें, पहली बार ऐसा हुआ है. किसी ने बताया कि आप इतनी अच्छी शिक्षा नीति लाए हो कि विरोध करेंगे तो जनता विरोध कर देगी. मोदी सरकार ने नई भारतीय न्याय संहिता के जरिये देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद करने का काम इस सरकार ने किया. कई साल तक बजट शाम को 5.30 बजे रखते थे क्योंकि अंग्रेज की रानी की घड़ी में तब 11 बजते थे. उसे किसी ने बदला तो वाजपेयी जी ने बदला. संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए. इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा. किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं. संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया. संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है. लोकसभा में किसी को मालूम नहीं था, जागरुकता नहीं थी. महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए. एक पत्रकार के हाथ में आ गया. कोरा था. प्रस्तावना तक नहीं थी. 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है. हार का कारण ढूंढते हैं, बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया.
अमित शाह ने कहा कि 5 नवंबर 1971 को इंदिरा गांधी की सरकार ने 24वें संशोधन में नागरिक अधिकारों को कर्टेल करने का संसद को अधिकार दे दिया. अमित शाह ने 39वां संविधान संशोधन को लेकर भी कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा कि ये संविधान संशोधन क्या था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था. अभी कुछ नहीं है तो हारने पर ईवीएम ले लेकर घूमते हैं. महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हो गया और दूरबीन लेकर दिखाई नहीं देता. उसी दिन झारखंड में जीते हैं तो टप से नए कपड़े पहनकर जाकर शपथ ले ली. एक जगह ईवीएम सही, एक जगह खराब है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन अमान्य कर दिया और उन्होंने प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर भी संशोधन से रोक लगा दिया. ये जो कम्युनिस्ट भाई अधिकारों की बात करते हैं, रात में कभी सोचना भैया किसके साथ बैठे हो. एक कहता है कि मैं शासक हूं, मेरी कोई जांच नहीं कर सकते और हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि प्रधान सेवक हूं. उन्होंने एक देश, एक चुनाव बिल पर संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल बढ़ाने की बात कर रहे थे कि नहीं कर सकते. इन्होंने इमरजेंसी में विधानसभाओं का कार्यकाल ही बढ़ाकर पांच से छह साल कर दिया कि चुनाव हुए तो हार जाएंगे. विपक्ष के सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया. गृह मंत्री शाह ने कहा कि खड़गे जी आपने किया है तो सुनना पड़ेगा. हिम्मत रखिए सुनने की.
अमित शाह ने संविधान सभा के सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतने सारे मनीषियों का विचार जिसमें हो, उस संविधान को सफल होना ही था. विदुर नीति, शांति पर्व, रामायण के विचार को भी हमने इसमें समाहित करने का प्रयास किया था. किस तरह से राजनीतिक दलों ने संविधान को आगे बढ़ाया, इसकी भी चर्चा समयोचित होगी. डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वह बुरा हो सकता है जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, अगर वो अच्छे न हों. कोई संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, वह अच्छा हो सकता है अगर चलाने वाले लोग अच्छे हों. परिवर्तन जीवन का मंत्र है, उसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था और इसके लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था. संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए. कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का उद्देश्य क्या था. क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन हुआ 18 जून 1951 को, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया. तब पीएम नेहरू थे.
गृह मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के प्रयास से देश एकजुट हुआ. जो लोग कहते थे कि देश आत्मनिर्भर हो पाएगा या नहीं, देश आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है और ब्रिटेन जिसने हम पर वर्षों तक शासन किया, वह भी हमारे बाद है. उन्होंने महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद को कोट करते हुए कहा कि इन्होंने कहा था कि भारत माता जब अपने दैदीप्यमान स्वरूप में आएंगी तो दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएंगी. ये भविष्यवाणी अब सच होने का समय आ गया है. देश की प्रगति पर सार्थक चर्चा हुई. उन्होंने संविधान सभा के गठन और संविधान सभा में बहस का भी उल्लेख किया और कहा कि हमें संविधान पर गर्व है. अमित शाह ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के करीबी नंदलाल बोस की ओर से संविधान सजाए जाने का जिक्र करते हुए एक-एक चित्र का मतलब भी बताया और एक सदस्य के चित्रों की चर्चा पर कमेंट का जिक्र किया और कहा कि जो सारे चित्र लगाए गए हैं, वो राष्ट्र की यात्रा को चित्रित करने वाले हैं. कोई ये ना समझे कि हमारा संविधान महज नकल है. संविधान नकल नहीं है. विदेशी चश्मा से देखेंगे तो भारतीयता नजर नहीं आएगी. ऋग्वेद में भी शुभ विचार लेने की बात कही गई है. हमने सबकी अच्छी बातें ली हैं, लेकिन अपनी विरासत को नहीं छोड़ा है. चित्र के बगैर संविधान अधूरा संविधान है.
राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश कितना आगे बढ़ा, जनता को ये चर्चा इस बात का अहसास कराएगी. इस चर्चा में हम गहराई तक गए. हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है. ये भी साफ हुआ कि जब जब जनता ने किसी पार्टी को जनादेश दिया तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया हैय
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा जारी है. उच्च सदन में संविधान पर चर्चा का गृह मंत्री अमित शाह जवाब देंगे. लोकसभा में संविधान पर हुई चर्चा का शनिवार को पीएम मोदी ने जवाब दिया था. गौरतलब है कि पहले राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह को ही करना था लेकिन अंतिम समय में वक्ताओं के क्रम में बदलाव हुआ था. सरकार की ओर से गृह मंत्री की जगह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की थी. लोकसभा में चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी.
बीजेपी ने एक दिन पहले ही तीन लाइन का व्हिप जारी कर लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदन के अपने सदस्यों से 17 दिसंबर को मौजूद रहने के लिए कहा था. व्हिप के बावजूद बीजेपी के कुछ सदस्य सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहे. इसे लेकर अब पार्टी ने अनुपस्थित सदस्यों को नोटिस दिया है. बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह और भागीरथ चौधरी के साथ ही जगदंबिका पाल, शांतनु ठाकुर, बीएस राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जयंत कुमार रॉय और जगन्नाथ सरकार को नोटिस दिया है.
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने वन नेशन, वन इलेक्शन से लेकर कोऑपरेटिव फेडरलिज्म तक, केंद्र सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि एक राज्य के चुनाव एक चरण में तो करा नहीं पाते. डेरेक ने सरकार पर पॉलिटिकल फेडरलिज्म के आधार पर काम करने का आरोप लगाया और कहा कि दो बिल पश्चिम बंगाल की विधानसभा ने पारित किए और दोनों को गवर्नर ने रोक रखा है. एक अपराजिता बिल और दूसरा प्रदेश का नाम बदलकर बंगाल करने का.
राज्यसभा में कार्यवाही का समय बढ़ा दिया गया है. शाम छह बजे आसन से डॉक्टर सस्मित पात्रा ने कहा कि सदन की सहमति हो तो संविधान पर चर्चा की समाप्ति तक सदन की कार्यवाही का समय बढ़ा दिया जाए. इस पर सदन ने सहमति दे दी. राज्यसभा की कार्यवाही जारी है.
लोकसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई है. लोकसभा की कार्यवाही शाम छह बजे स्थगित कर दी गई. वहीं, राज्यसभा में संविधान पर चर्चा जारी है.
जेएमएम सांसद महुआ माजी ने झारखंड चुनाव में बंटोगे तो कटोगे नारे का जिक्र कर बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा कि ऐसे नारों के जरिये बीजेपी संविधान के प्रति कौन सा सम्मान प्रकट कर रही है. विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सत्ताधारी गठबंधन के बड़े बड़े नेताओं के जिस तरीके से वीडियो बनाए गए, वह कौन सा सम्मान है.
रामगोपाल यादव ने कहा कि इमरजेंसी कांग्रेस ने लगाया था और उसका दंड भी मिला इनको. कांग्रेस तब पूरे उत्तर भारत से साफ हो गई थी. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी इंदिरा गांधी जी ने लगाई थी और हटाया भी इंदिरा जी ने ही था. हम या आप नहीं गए थे हटाने. जनता पार्टी की सरकार ने 44वें संविधान संशोधन के जरिये 42वें संशोधन के प्रावधान हटाए भी गए लेकिन सोशलिस्ट और सेक्यूलर शब्द रहने दिए गए. कुछ लोग कहते हैं चुपके से जोड़ दिया गया. इनको बताना चाहता हूं कि जनता पार्टी की जो सरकार थी, उसमें आपके भी दो सबसे बड़े नेता मंत्री थे अटलजी और आडवाणी जी. उन्होंने कहा कि इनके राज में मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है.
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आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि ये देश में भारत खोदो योजना चला रहे हैं. किसी दिन कोई आएगा और कहेगा कि संसद खोद डालो, प्रधानमंत्री की डिग्री निकल आएगी. उन्होंने शिक्षा का जिक्र करते हुए सरकार को घेरा और कहा कि शिक्षा विभाग ने जो आंकड़ा सदन में दिया है, उसके मुताबिक पिछले आठ महीने में 11 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों से दूर गए हैं और इनमें से 7 लाख 84 हजार बच्चे अकेले यूपी से हैं. संजय सिंह बोल रहे थे, इसी बीच किसी ने ट्रेजरी बेंच से जेल को लेकर कुछ कहा. इस पर संजय सिंह ने कहा कि ये धमकी न दें. जिस दिन सत्ता परिवर्तन होगा, एक भी आदमी बाहर नहीं रहेगा. किसी ने कहा कि जेल क्यों गए, इस पर संजय सिंह ने कहा कि केवल तीन घंटे के लिए ईडी-सीबीआई दे दो, सबको जेल भेज दूंगा. संजय सिंह ने अडानी मुद्दे को लेकर भी बीजेपी पर हमला बोला. बीजेपी के लोग जब भ्रष्टाचार पर बोलते हैं तब लगता है कि ओसामा बिन लादेन अहिंसा के उपदेश दे रहा है. गाय काटने वाली कंपनी से चंदा लेने वाले लोग मेरे ऊपर सवाल उठा रहे हैं. देश के भीतर एकक चुनी हुई सरकार है. उसको आप क्यों नहीं मानते. दिल्ली की सरकार को आप क्यों नहीं चलने देते. क्यों हर काम में अड़ंगा क्यों लगाते हो.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगें- पहले बैच पर हुई चर्चा का जवाब दे रही हैं. वित्त मंत्री ने अपने जवाब में कहा है कि पिछले तीन साल की 12 तिमाहियों में से दो तिमाही में ही जीडीपी की विकास दर 5.4 फीसदी से नीचे रही है. उन्होंने सदन में ये बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की चौथी और 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर 5.4 फीसदी से नीचे रही थी. वित्त मंत्री ने कहा कि जीडीपी की विकास दर में गिरावट 12 में से केवल दो तिमाही में ही देखी गई. वित्त मंत्री के जवाब के बाद अनुदान की अनुपूरक मांगें- पहला बैच लोकसभा से पारित हो गया है.
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पर्ची से हुए मतदान के बाद स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची से हुए मतदान के नतीजे बताए. स्पीकर ने कहा कि जब भी इलेक्ट्रॉनिक मतदान होता है. उसमें कुछ सही नहीं होता है, तभी पर्चा मांगें. स्पीकर ने बताया कि प्रस्ताव के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. बहुमत प्रस्ताव के पक्ष में है. इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल सदन में पेश कर दिया. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
'वन नेशन, वन इलेक्शन' से संबंधित संविधान संशोधन बिल को जेपीसी के पास भेजने का प्रस्ताव कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में रखा है. कानून मंत्री ने साथ ही इस बिल को सदन में प्रतिस्थापित करने की भी इजाजत मांगी जिस पर ध्वनिमत के बाद अब डिवीजन हो रहा है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के जरिये 220 सदस्यों ने इस बिल के पक्ष और 149 सदस्यों ने विपक्ष में वोट डाले. इसके बाद विपक्ष की आपत्ति पर अब पर्ची से मतदान हो रहा है.
लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल प्रतिस्थापित करने को लेकर मतदान शुरू हो गया है. इस बिल के पक्ष में कुल 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े. कुल 369 सदस्यों ने वोट डाला है. इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उनको ऑब्जेक्शन है तो पर्ची दे दीजिए. इस पर स्पीकर ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे तो वह पर्ची के माध्यम से भी अपना वोट संशोधित कर सकता है.
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को चर्चा और पारित किए जाने को लेकर मतदान हो रहा है. पहली बार लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक डिवीजन होगा. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आपको प्रक्रिया भी बताई जाएगी. सेक्रेटरी जनरल आपको पूरी व्यवस्था बताएंगे और ये भी बताएंगे कि अगर गलती से गलत बटन दब गया है तो आप पर्ची से अपना मत दोबारा करेक्ट कर सकते हैं. लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल ने इसके बाद सदस्यों को पूरी प्रक्रिया बताई. स्पीकर ने कहा कि नई संसद में पहली बार मतदान हो रहा है, ऐसे में इसमें कुछ समस्याएं आ सकती हैं. हम संशोधन भी एलाऊ करेंगे.
स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि पहले भी सारी व्यस्था दे दी है. पुरानी परंपरा भी बता दी है. मंत्रीजी ने भी कह दिया है कि जेपीसी गठित होगी. जेपीसी के समय व्यापक चर्चा होगी और सब दल के सदस्य होंगे. जब बिल आएगा तो सबको पूरा समय दिया जाएगा और डिटेल चर्चा होगी. जितने दिन आप चर्चा चाहेंगे, उतने दिन का समय दिया जाएगा.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है जो ज्यादातर लेजिस्लेटिव पर ही है. एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है. ये आर्टिकल संविधान में संशोधन की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है. एक विषय आया अनुच्छेद 327 सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान का अधिकार देता है. इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है. ये संवैधानिक है. सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं. अनुच्छेद 83 सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है. संविधा के सातवें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है. ये संविधान सम्मत संशोधन है. सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती केस में फेडरल स्ट्रक्चर पर बात की है.कुछ बिंदु बाद में भी जोड़े हैं. इस बिल में इस पर कुछ भी आघात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती के साथ साथ और सब्जेक्ट भी जोड़े हैं लेकिन इससे न तो संविधान और ना ही विधानसभा की शक्ति में कोई कमी आ रही है. बाबा साहब पहले कानून मंत्री थे, जिस वर्ग से वे आते थे, उसी वर्ग से मैं भी आता हूं. संविधान सभा में बहस के दौरान 4 नवंबर 1948 को बाबा साहब ने कहा था- संघवाद का मूल सिद्धांत ये है कि केंद्र और राज्य की सत्ता बनाए हुए किसी नियम नहीं, संविधान के जरिये जुड़ी होती है. भारती संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का आधार नहीं है. फेडरल अविनाशी है और इसे कोई नहीं बदल सकता. संविधान के अनुच्छेद 27 के तहत संसद को संशोधन का अधिकार है. हमने जो आर्टिकल जोड़े हैं, उसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का धन्यवाद करना चाहूंगा. 1983 से चुनाव आयोग ने चुनाव साथ कराने का विचार किया, 41 साल से पेंडिंग है ये. सर्वदलीय बैठक हुई थी, 19 दलों ने भाग लिया. 16 ने समर्थन किया और तीन ने विरोध किया. पीएम ने 26 नवंबर 2020 को केवड़िया गुजरात में एक साथ चुनाव की बात की, सभी पीठासीन अधिकारी सहमत थे. जेपीसी पर आ रहा हूं, उससे पहले एक बात कहना चाहूंगा. 41 साल से जो मामला पेंडिंग था, किसी ने ध्यान नहीं दिया. पीएम मोदी ने ध्यान दिया. जो निर्णय लेता है सदा, देशहित की खातिर...जो नेता दूरदर्शी होता है, वही इतिहास बनाता है. कानून मंत्री ने बिल को जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव किया. इस बिल को सदन में पेश किया गया. ध्वनिमत के बाद विपक्ष ने इस पर डिवीजन की मांग की. डिवीजन हो रहा है.
आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का विरोध करते हुए कहा कि मनीष तिवारी ने जो सवाल उठाए, उनसे सहमत हूं. यह बिल राज्य विधानसभा के कार्यकाल को परिवर्तित करने का अधिकार देता है जो संघीय ढांचे के खिलाफ है.
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का समर्थन किया है. उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस को रिफॉर्म से ही नफरत है. इस पर विपक्ष की ओर से जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया.
अमित शाह ने कहा कि बालू साहब ने कहा कि इसे जेपीसी को दे देना चाहिए. जब यह बिल कैबिनेट में आया, तब खुद पीएम ने कहा था कि इसे जेपीसी को दे देना चाहिए और विस्तृत स्क्रूटनी होनी चाहिए. ज्यादा समय जाया किए बगैर मंत्रीजी जेपीसी को भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं तो यहीं ये चर्चा समाप्त हो जाएगी. जब जेपीसी की रिपोर्ट के साथ कैबिनेट इसे फिर से पारित करेगी तब विस्तृत चर्चा होगी. कानून मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव करूंगा. इतनी जो चर्चा हुई है, इसका जवाब देकर जेपीसी के गठन की बात करूंगा.
एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बिल संविधान विरोधी है. आप चुनाव आयोग को विधानसभा भंग करने का अधिकार दे रहे हो चुनाव कराने के लिए. ये बिल जेपीसी को भेजा जाना चाहिए.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संविधान का उल्लंघन है. यह पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी का उल्लंघन है. फेडरलिज्म का भी उल्लंघन है. यह बिल सीधे प्रेसीडेंशियल स्टाइल डेमोक्रेसी के लिए लाया गया है. यह सबसे बड़े नेता के ईगो के तहत आया है. हम इसका विरोध करते हैं. लेफ्ट सांसद अमराराम ने कहा कि यह बिल संविधान और लोकतंत्र को खत्म करके तानाशाही की ओर बढ़ने का प्रयास है. लोकल बॉडी स्टेट गवर्नमेंट का है, इसको भी आप लेना चाहते हैं. इसलिए क्योंकि एक आपका ही चलेगा. राज्यों की विधानसभा के अधिकार है, वो सब आप लेना चाहते हैं.
अमित शाह ने कहा कि अध्यक्ष जी ने 72 के बाहर जाने के लिए नहीं कहा है. उन्होंने कहा है कि नियम 72 का हवाला देकर मनीष तिवारी ने जो विरोध किया है, उस पर कोई भी सदस्य विचार रख सकता है. कोई पक्ष में भी बोल सकता है. इस पर गौरव गोगोई ने कहा कि गृह मंत्री से भी यही कहना चाहूंगा कि कोई 72 के अंदर रहकर ही इसका समर्थन या विरोध कर सकता है, बाहर नहीं जा सकता. हम इस बिल का विरोध करते हैं. चुनाव आयोग की क्या सीमाएं हैं, वो 324 में हैं.चुनाव आयोग को कैसे सुपरवाइज करना है, कैसे इलेक्टोरल रोल कैसे बनाना है, इतने तक ही अधिकार दिए गए हैं. राष्ट्रपति कभी भी परामर्श लेते हैं तो कैबिनेट से लेते हैं, चुनाव आयोग से नहीं, ये इन्होंने एक असंवैधानिक ढांचा बनाया है. गवर्नर से भी ले सकते हैं. ये पहली बार ऐसा कानून लाए हैं कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग से भी परामर्श लेंगे. इसका हम विरोध करते हैं. इस बिल के जरिये राष्ट्रपति को ज्यादा शक्ति दी गई है कि वो अब 82 ए के द्वारा विधानसभा को भंग कर सकती है. ये एक्सेसिव पावर राष्ट्रपति के साथ चुनाव आयोग को भी दी गई है. 2014 के चुनाव में 3700 करोड़ खर्च हुआ, इसके लिए ये असंवैधानिक कानून लाए हैं. संविधान में लिखा है कि पांच साल के टर्म से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. नीति आयोग संवैधानिक बॉडी नहीं है, उसकी रिपोर्ट में न जाए. ये पूरे भारत के चुनाव को छीनेंगे तो हम ये नहीं होने देंगे. हम इसका विरोध करते हैं. इस बिल को जेपीसी में भेजा जाए.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि स्पीकर ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स को इस पर मत रखने का मौका देंगे. सिर्फ इस संसद को रिप्रेजेंट नहीं करते, हर पार्टी के प्रतिनिधि हैं इसमें. सबको बोलने का मौका मिलना चाहिए. विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति पर स्पीकर ने कहा कि आप रूल की किताब लेकर बैठे हो तो मैं भी रूल की किताब लेकर बैठा हूं. रूलिंग दे रहा हूं इस पर.
टीडीपी के सांसद ने इस बिल को बिना किसी शर्त के समर्थन का ऐलान किया. टीडीपी की ओर से चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों का खर्च एक लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. साथ चुनाव कराने से इसमें कटौती होगी. इंडियन मुस्लिम लीग के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने बिल का विरोध किया. शिवसेना (यूबीटी) सांसद अनिल देसाई ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि ये फेडरलिज्म पर सीधा हमला है.
डीएमके सांसद टीआर बालू ने इस बिल को संविधान विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है, तब उसे किस तरह से ये बिल लाने की अनुमति दी गई. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैंने अभी एलाउ नहीं किया है. इन्होंने प्रस्ताव रखा है. संसद एलाउ करती है, मैं नहीं. टीआर बालू ने इसके बाद कहा कि सरकार को ये बिल वापस ले लेना चाहिए.
कल्याण बनर्जी ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए लाए गए संविधान संशोधन बिल का विरोध किया है. कल्याण बनर्जी ने इसे संविधान पर आघात बताते हुए कहा कि ये अल्ट्रा वायरस है. उन्होंने कहा कि संसद के पास कानून बनाने का पावर है. राज्य विधानसभा के पास भी कानून बनाने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि ऑटोनॉमी देश की विधानसभाओं को दूर ले जाएगी, ये संविधान विरोधी है. ये जो कर रही है, वह रूलिंग पार्टी है. एक दिन हम इसे बदल देंगे. यह इलेक्शन रिफॉर्म नहीं है, यह एक जेंटलमैन का डिजायर पूरा करने की कोशिश है.
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि दो दिन पहले संविधान की कसमें खाने में कोई कसर नहीं रखी. दो ही दिन के अंदर संघीय ढांचे के खिलाफ ये बिल लाए हैं. बाबा साहब से अधिक विद्वान इस सदन में भी कोई नहीं बैठा है. संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाकर तानाशाही लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. जो लोग मौसम देखकर तारीखें बदलते हैं, आठ सीट पर एक साथ चुनाव नहीं करा पाते, वो बात करते हैं एक देश एक चुनाव की. ये बीजेपी के लोग तानाशाही लाने के नए रास्ते खोज रहे हैं. एक प्रांत के अंदर सरकार गिरती है तो पूरे देश का चुनाव कराएंगे. जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ हम सबको भेजा है. ये संविधान विरोधी, गरीब विरोधी, पिछड़ा विरोधी इस नीयत को वापस लो.
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को संविधान के मूल ढांचे पर आघात बताते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विरोध किया. मनीष तिवारी ने कहा कि इंडिया स्टेट का यूनियन है और यह बिल इसका उल्लंघन है.
संविधान संशोधन 129 वां बिल और यूनियन टेरिटरी लॉज अमेंडमेंट बिल लोकसभा में पेश हो गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बिल लोकसभा में पेश कर दिया है.
संविधान सभा में जो लोग थे और उनके मन में रिजर्वेशन को लेकर क्या भावना थी, यह उसमें परिलक्षित होता है. इंदिराजी ने तो नारा ही लगा दिया न जाति पर न पाति पर. इस पर विपक्ष की ओर से किसी ने कहा कि पूरा पढ़िए. नड्डा ने कहा कि वो तो आप पढ़ेंगे न, मैं आपका प्रोपैगेटर तो नहीं हूं. अब संविधान की किताब लेकर आरक्षण-आरक्षण कर रहे हैं, ये हृदय परिवर्तन कब हुआ. हृदय परिवर्तन हुआ या वोट परिवर्तन के कारण ऐसा हुआ.
जेपी नड्डा ने चीन से लेकर म्यांमार तक को लेकर कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कच्चीथिबू का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 1974 में इंदिरा गांधी ने यह द्वीप श्रीलंका को दे दिया. संविधान के आर्टिकल वन का उल्लंघन किया गया. कच्चीथिबू को श्रीलंका को देने के लिए संविधान में जरूरी संविधान संशोधन नहीं किया गया. तिरुचि शिवा ने इस पर कहा कि तमिलनाडु में डीएमके इसके खिलाफ रही है. इस पर जेपी नड्डा ने कहा कि डीएमके को कांग्रेस के साथ गठबंधन पर फिर से सोचना चाहिए. उन्होंने बांग्लादेश के साथ सीमा का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार में सबकी सलाह लेने के बाद 115 गांव भारत के बांग्लादेश को दे दिए गए और 51 बांग्लादेशी गांव भारत में शामिल किए गए. आप तो असम को एक तरीके से दे चुके थे. आज आप डेमोक्रेसी के चैंपियन बनते हैं, अच्छी बात है. अगर उस समय श्यामाप्रसाद मुखर्जी और बारदोलाई साहब नहीं होते तो शायद वो भी हम दे ही चुके होते. रिजर्वेशन की बात करना चाहता हूं. आपका बाबा साहब के साथ कैसा संबंध था, दुनिया जानती है. आपने बार-बार उनको चुनाव हराने का प्रयास किया और कैसे वे पश्चिम बंगाल से संविधान सभा में आए. किस तरह से आप किसी और को चेयरमैन बनाना चाहते थे और गांधीजी ने हस्तक्षेप किया. रिजर्वेशन को लागू करने पर डॉक्टर आंबेडकर और नेहरू को कोट कर नड्डा ने कांग्रेस को घेरा.
जेपी नड्डा ने 44वें संविधान संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने इमरजेंसी को री-डिफाइन किया और इंटरनल डिस्टर्बेंस की जगह सैन्य विद्रोह को कारण माना. उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन के विरोध में खड़े हैं. आपको बताना चाहता हूं कि आपके ही कारण ये लाने की जरूरत पड़ रही है. आपने बारंबार चुनी हुई सरकारों को गिराया और देश को हर तरीके से मुसीबत में डालने का काम किया. मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए आपने क्या किया. राजीव गांधी के समय आप लोगों ने कहा था 21 वीं शताब्दी, प्रोग्रेसिव. शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करने के लिए आपने मुस्लिम वोट के लिए संसद में बिल लेकर आए. सुप्रीम कोर्ट बार-बार बोलता था कि ट्रिपल तलाक समाप्त होना चाहिए. आपमें हिम्मत नहीं थी. आप वोटबैंक की राजनीति से दबे हुए थे. मोदीजी ने इसे समाप्त करने का काम किया. बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया, इंडोनेशिया में कोई ट्रिपल तलाक नहीं है. ये सभी मुस्लिम देश हैं. हमारा सेक्यूलरिज्म का वर्जन देखो कि हम ट्रिपल तलाक चलाए हुए थे.
जेपी नड्डा ने 42वें संविधान संशोधन का जिक्र करते हुए कहा कि आपने प्रस्तावना के साथ भी छेड़छाड़ की और सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द जोड़ दिया. इन शब्दों को लेकर संविधान सभा में डिबेट हुई थी. डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि ये भारत के लोग तय करेंगे कि वे किस तरह की सोसाइटी में रहना चाहते हैं, संविधान तय नहीं करेगा. आपने प्रगतिशील दिखने के लिए, तुष्टिकरण के लिए ये शब्द जोड़ दिए. न्यायपालिका की आर्म ट्विस्टिंग की गई है, धमकी दी गई है, वो भी संसद के भीतर. केशवानंद भारती केस में जो निर्णय था जिसमें उन्होंने बेसिक स्ट्रक्चर संविधान का डिफाइन किया और कहा कि इनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. जिन जजों ने फैसला दिया, उन्होंने संविधान की रक्षा तो कर ली लेकिन इतिहास गवाह है कि वे अपनी रक्षा नहीं कर सके.
कल खड़गे जी कह रहे थे कि इमरजेंसी पुरानी बात हो गई. अरे भाई, संविधान के 25 साल पूरे होने पर ये तोहफा दिया था कांग्रेस ने, कैसे भूल जाएं. अभिषेक मनु सिंघवी जी ने कहा कि हमने माफी मांग ली है. अरे भाई, कैसे माफ कर दें. आपको अगर प्रायश्चित है जरा भी 25 जून 2025 को हम 50 साल पूरे होने पर लोकतंत्र विरोधी दिवस मनाने जा रहे हैं. कांग्रेस भी शामिल हो उसमें. किस्सा कुर्सी का था. मीसा बंदियों में ज्यादातर संघ और जनसंघ के लोग थे. आप लोगों को मालूम नहीं होगा कि उनका नाम मीसा क्यों पड़ा. मैं छात्र था, हमको दो बार क्लास से गिरफ्तार किया गया. मीसा जी लोकसभा में हैं, पहले इसी सदन में थीं. उनको मालूम नहीं होगा कि उनका नाम मीसा क्यों पड़ा. क्योंकि उनका जन्म तब हुआ, जब लालू जी मीसा के तहत जेल में बंद थे. समय का फेर है, आज साथ-साथ हैं.
आर्टिकल 370 में प्रेसीडेंशियल ऑर्डर के जरिये 35-ए जोड़ दिया गया और उस पर कोई डिबेट नहीं हुई. वह डिफाइन करता था कि कौन जम्मू कश्मीर का नागरिक होगा. उसी को नागरिक माना जाएगा जो 1944 के पहले रहा करते थे. बाकी किसी को भी स्टेट की डोमिसाइल नहीं दी जाएगी. जो पीओके से आए शरणार्थी भी नागरिक नहीं बन सके. 106 कानून संसद से पारित हुए जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हुए जिसमें मानवाधिकार, पॉक्सो, एस्टोसिटी, महिलाओं को संपत्ति का अधिकार भी जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हुआ. कश्मीरी बहन किसी गैर कश्मीरी से शादी हो तो वह भी संपत्ति अधिकार से वंचित हो जाती थी. गुज्जर-बकरवाल, एसटी के लिए आरक्षण भी लागू नहीं था. वेस्ट पाकिस्तान से आए इस देश में तीन प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने. मनमोहन सिंह, इंद्रकुमार गुजराल और लालकृष्ण आडवाणी वेस्ट पाकिस्तान से आए और प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने. पीओके से आए लोग जम्मू कश्मीर में पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकता था. ये 370 के तहत देखने को मिला. जम्मू कश्मीर में पंजाब से सफाई कर्मचारियों को लाया गया और बसाया गया. उनसे नागरिकता का वादा किया गया और उनको इतने साल तक सिर्फ सफाई कर्मचारी की ही नौकरी का अधिकार था. कानून की धज्जियां इस आजाद भारत में उड़ीं. धन्यवादी हूं कि गुड लॉट ने 5 अगस्त 2019 को संसद ने इसे हटा दिया. पीएम मोदी की सूझ-बूझ के कारण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना.
जेपी नड्डा ने बाबा साहब को कोट करते हुए कहा कि संविधान में छेड़छाड़ की बात बैड लॉट ने शुरू से ही ठान ली थी. इस बात को हमको समझना चाहिए. देश को जोड़ने का काम सरदार पटेल को दिया गया और यह गौरव के साथ कह सकता हूं कि मुझे बड़ी खुशी हुई. बहुत वर्षों बाद कांग्रेस की ओर से भी सरदार पटेल का नाम सुना. उन्होंने 562 रियासतों को जोड़ा और एक रह गया जम्मू कश्मीर जिसे जवाहरलाल नेहरू ने जोड़ा. एक जम्मू कश्मीर की रियासत जिसका जिम्मा नेहरू जी को दिया गया. महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय किया था, शेख अब्दुल्ला को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया, शेख अब्दुल्ला को नेहरू ने बाबा साहब से संपर्क करने को कहा. बाबा साहब को कोट करते हुए नड्डा ने कहा कि बाबा साहब ने बड़े स्पष्ट शब्दों में शेख अब्दुल्ला से समानता की बात कह दी थी. लेकिन आर्टिकल 370 आ गया. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और बलिदान दिया. श्रीनगर की जेल में संदेहास्पद परिस्थिति में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी माता जी ने नेहरू को चिट्ठी लिखकर जांच की मांग की लेकिन वह आवाज दबा दी गई, यह भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा शुरू हो गई है. नेता सदन जेपी नड्डा ने आज संविधान पर चर्चा की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि कोई ट्रेजरी बेंच पर हो या विपक्ष की बेंच पर, चर्चा, वाद-विवाद हम सबको संविधान को मजबूती देने में सहायक होगा. भारत लार्जेस्ट डेमोक्रेसी तो है ही, यह प्रजातंत्र की जननी भी है. जब हम लार्जेस्ट डेमोक्रेसी की बात करते हैं तो हमारे संविधान निर्माता जानते थे कि यह देश पुरातन है. संविधान सभा की डिबेट्स में बार-बार गौरवशाली अतीत की बात मिलती है. जम्बूद्वीप, भारतवर्ष... इन शब्दों का उपयोग पहले से ही चलन में रहे हैं. संविधान सभा ने इन सबको ध्यान में रखकर संविधान बनाया. आज जब हम संस्कृति की बात करते हैं तो कई लोगोें को तकलीफ भी होती है. हमारे संविधान में अजंता-एलोरा भी है, कमल भी है. कमल इस बात का प्रतीक है कि हम कीचड़ से निकल आजादी के साथ बढ़ रहे हैं. हम इसे मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की आय को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि किसानों की आय न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं है. किसानों की आय निरंतर बढ़ रही है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. सरकार ने इसके लिए छह सूत्रीय कार्ययोजना बनाई है. शिवराज ने कहा कि एक नहीं, अनेकों योजनाएं हैं जिनके जरिये हम किसानों की आय बढ़ाने का काम निरंतर कर रहे हैं.
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने सुप्रसिद्ध तबलावादक जाकिर हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त किया. इसके बाद सभापति ने सदस्यों से अपने नाम के आगे अंकित प्रपत्र सभा पटल पर रखने के लिए कहा.
लोकसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही चल रही है. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर ओम बिरला ने अर्मेनिया के संसदीय शिष्टमंडल के सदन की कार्यवाही देखने आने की जानकारी दी और शिष्टमंडल में शामिल सदस्यों का स्वागत किया.
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