लोकसभा में संविधान पर चर्चा का पीएम मोदी ने जवाब दिया था. आज से राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होनी है जिसकी शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतरामण ने किया. राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही टीडीपी के नवनिर्वाचित सदस्य साना सतीश बाबू, बीधा मस्तान राव यादव को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई.
यूपी से समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने संविधान पर चर्चा के दौरान कहा कि इनका आदर्श तो हिटलर है. उन्होंने गोलवलकर की किताब को भी कोट किया. इस पर आसन से घनश्याम तिवाड़ी ने उन्हें टोकते हुए कहा कि संविधान पर बोलें. रामजी लाल सुमन ने बोलना जारी रखा. इसके बाद आसन से उन्हें रोकते हुए घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि आपका समय समाप्त हुआ, अब आप विराजें.
बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों के सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सांसदों से 17 दिसंबर को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है.
संविधान भाईचारा की बात करता है. एक परिवार भाईचारे के बिना नहीं चल सकती तो देश कैसे चलेगा. जब तक भाईचारा नहीं रहेगा, तब तक विवाद रहेंगे और विवाद रहेंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेंगे. उन्होंने एआई को भविष्य के लिए बहुत खतरनाक बताया और कहा कि इस पर तो ध्यान दीजिए. आपने बहुत कुछ किया, उपलब्धियों से कुछ नहीं होने वाला. कृपया भविष्य पर सोचें.
यूपी के आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद यादव ने लोकसभा में अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं के साथ ही स्विस बैंक से काला धन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि आज देश में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है लेकिन वित्त मंत्री जी इस पर एक शब्द नहीं बोलतीं. बेरोजगार युवा प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन पर लाठियां चलाई जा रही हैं. सत्ता में आने पर सौ दिन के भीतर स्विस बैंकों से काला धन वापस लाने का वादा करने वाली सरकार 11 साल में भी काला धन नहीं ला पाई.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान आसन से उपसभापति हरिवंश ने वाइको का नाम लिया. उपसभापति ने वाइको से तीन मिनट में अपनी बात रखने के लिए कहा. इस पर वाइको ने कहा कि कुछ वक्ता 30 मिनट, कुछ 40 मिनट बोले हैं और मुझे बस तीन मिनट. इस पर आसन ने उनके नाम के आगे इतना ही समय दर्ज होने की बात कही जिसके बाद वाइको ने आज बोलने से इनकार कर दिया.
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 1930 से 1960 तक जो 30-40 देश साम्राज्यवाद से निकले, उनमें से अकेला भारत ही है जो आज भी लोकतंत्र है. इसका कारण क्या है. अनेक कारण हैं लेकिन जो जुगलबंदी थी नेहरू, गांधी और सरदार पटेल ने. कुछ तो ठीक किया होगा उस निंदनीय नेहरू ने. एक ने आजादी दिलाई और दूसरे ने उसे महफूज रखा. उन्होंने कहा कि इसकी वर्तमान हालत न्यू इंडिया में क्या है. अविश्वास का वातावरण, भय का वातावरण. अपने कंधे के पीछे झांककर बोलना, इसे कहते हैं गणतंत्र का भय. ऐसा पिछले 75 साल में कभी नहीं हुआ. दो उदाहरण दूंगा और दोनों में मैं पेश भी हुआ था. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट में कोर्ट ने क्या कहा, सब जानते हैं. उसमें नहीं जाऊंगा. केंद्र का रुख क्या था, ये था कि आंतरिक या अंतिम कोई निर्णय नहीं दीजिए. सरकार ने इसका विरोध किया है. दूसरा उदाहरण. किसी केंद्रीय मंत्री की भी हिम्मत हुई कि कभी किसी ने उसके खिलाफ बोला. आप लोगों ने इसे लेकर इंटर स्टेट इंटर सीएम कॉम्पिटिशन शुरू कर दिया. एक अवॉर्ड आभासी रूप से शुरू कर दिया कि कौन सबसे ज्यादा बुलडोजर चलाता है. आप संवैधानिक संस्थाओं के बीच ऑटोमैटिक वार चाहते हो लेकिन ऑटोमैटिक ब्लेड से. अभिषेक मनु सिंघिवी ने आर्थिक उदारीकरण से फिस्कल फेडरलिज्म की बात की और कहा कि यह क्षेत्रीय दलों के लिए सिक्योरिटी वॉल्व की तरह होता है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये प्रेशर कूकर की तरह फटेगा और केंद्र उड़ जाएगा. उन्होंने राज्यों में राज्यपाल के रोल और कार्यप्रणाली को लेकर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया. बाबासाहब को कोट करते हुए कहा कि एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती. चुनी हुई सरकार में राज्यपाल कई राज्यों में सुपर सीएम की तरह व्यवहार कर रहे हैं. अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि आज तीन एजेंसियां आपके अलायंस पार्टनर की तरह व्यवहार कर रही हैं. अब जो विकृतियां आई हैं, उनका क्या है. नेहरूजी ने गलती की तो हम भी करेंगे, ये कौन सी बात है. ये आपातकाल एक सीमा से बंधा हुआ था. इसकी अवधि 18 महीने था. ये एक संवैधानिक विकृति है. इसकी प्रावधान संविधान में था. गलतियां हुईं. लेकिन आज ये जो अघोषित आपातकाल है, इसकी क्या सीमा है.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान राजस्थान से बीजेपी के सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के मनुस्मृति लेकर आने पर तंज करते हुए कहा कि भारत में युगों से विधान लिखे जाने की परंपरा रही है. मनुस्मृति के बाद याज्ञवलक्य स्मृति आई और ये सब बीते दौर की बात हो चुकी है. अब जो संविधान लागू है, उसे हम आंबेडकर स्मृति कह सकते हैं. घनश्याम तिवाड़ी ने आपातकाल लागू किए जाने के बाद हुई अपनी गिरफ्तारी का भी जिक्र किया और कहा कि अच्छा हुआ कि मुझे डीआईआर में गिरफ्तार किया, मीसा में नहीं. हम कोर्ट में जाकर नारा लगाते न्यायपालिका अमर रहे और सारे वकील भाग खड़े होते.
महाराष्ट्र से एनसीपी के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि आजादी इनकी वजह से नहीं, बिरसा मुंडा जैसे लड़ाकों की वजह से आई. देश के लोगों ने आजादी दिलाई. आजादी से पहले कांग्रेस राजनीतिक पार्टी नहीं, फ्रीडम मूवमेंट थी. हमारे पूर्वजों ने भी आजादी की लड़ाई लड़ी. हमारे साथ साथ आजू-बाजू के देश भी आजाद हुए और संविधान बना. क्या हुआ वहां. संविधान टिक पाया क्या. कहीं मिलिट्री रुल आया तो कहीं कुछ. इमरजेंसी लोकतंत्र और संविधान पर सबसे बड़ा धब्बा था. ये आज संविधान की किताब लेकर घूम रहे हैं, मंडल कमीशन की रिपोर्ट कांग्रेस सरकार में वर्षों तक दबी रही जिसे वीपी सिंह की सरकार ने लागू किया.
जेडीयू सांसद संजय झा ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन में जेल गए थे. उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि ये आज संविधान लेकर घूम रहे हैं और जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं. बिहार में हमने जातिगत जनगणना कराई. संजय झा ने कहा कि मुंबई में इंडिया ब्लॉक की बैठक में मैं भी मौजूद था. हमारे नेता ने जातिगत जनगणना को मैनिफेस्टो में शामिल करने की सलाह दी थी. तब इनकी पश्चिम बंगाल की नेता ने आपत्ति की थी और कांग्रेस चुप रही. इस पर विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया.
बीजेडी सांसद सुलता देव ने पीएम मोदी के लोकसभा में दिए माल वाले बयान पर एतराज जताया. उन्होंने कहा कि पीएम ने 1998 में अटलजी की सरकार गिरने का जिक्र करते हुए कहा है कि माल तब भी बिकता था बाजार में, लेकिन अटल जी ने संविधान का सम्मान करते हुए इस्तीफा देना उचित समझा. माल कौन है, हम लोग एमपी हैं. मुझे एतराज है माल से. मुझे बिक्री खरीद से भी एतराज है. प्रधानमंत्री की इस बात से बहुत दुख हुआ. आज हमारी पार्टी छोड़ने वालों को आप ले रहे, जो माल है, वही बिकता है. हम एमपी हैं, नहीं बिकेंगे. महामहिम राष्ट्रपति ओडिशा की बेटी हैं. उन्होंने आरजी कर अपनी व्यथा व्यक्त की तो हम सभी भी व्यथित थे, आज संभल, ओडिशा से मणिपुर तक पर महामहिम क्यों चुप हैं. आप हमको माल बोल रहे हैं, हम वाइस प्रेसिडेंट को मिलकर प्रिविलेज नोटिस देने गई थी अपनी पार्टी के सांसद के साथ. लोग क्या बोलेंगे. ओडिशा में स्पीकर डिप्टी स्पीकर जाकर पीएम के साथ फोटो ले रहे हैं, ये है संविधान. मुझे इससे एतराज है. बीजेपी सांसद सुजीत कुमार ने नियम 38 के तहत इस पर आपत्ति की और कहा कि इन्होंने दो सदस्यों पर पैसा लेकर बीजेपी में जाने का आरोप लगाया है. इनको प्रूव करना होगा.
मुकुल वासनिक ने कहा कि आज जो सत्ता में बैठे हैं, संविधान के निर्माण और आजादी की लड़ाई में दूर-दूर तक उनका कोई रोल नहीं है. लेकिन यहां जिस तरीके वे बात कर रहे हैं, उससे लगता है कि संविधान भी इन्होंने ही बनाया और आजादी भी इन्होंने ही हासिल की. अच्छा लगा कि इन्होंने आंबेडकर और सरदार पटेल के बारे में कुछ अच्छी बातें बोलीं. लेकिन पंडित नेहरू के लिए इनकी बातें द्वेष से भरी रहीं. मुकुल वासनिक ने पंडित नेहरू के योगदान गिनाए और कहा कि क्या ये उनका अपराध था? उन्होंने कहा कि विभाजन के समय जब पाकिस्तान बना, तब कुछ लोग हिंदू पाकिस्तान बनाने के पक्ष में थे और पंडित नेहरू ने इसके खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंक दी. पंडित नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और सरदार पटेल हिंदुस्तान को मजबूत करने, शांति बहाल करने में जुटे थे. संविधान सभा में रजवाड़ों के साथ ही कांग्रेस, लेफ्ट और शेड्यूल कास्ट फेडरेशन जैसे दल भी थे. बाबासाहब शेड्यूल कास्ट फेडरेशन से आए थे. बहुमत होने के बावजूद संविधान सभा ने कहा कि हम बहुमत और अल्पमत नहीं, काबिलियत देखेंगे. मसौदा समिति की घोषणा हुई तो शेड्यूल कास्ट फेडरेशन के एकमात्र सदस्य बाबासाहब उसके अध्यक्ष चुने गए थे. मुकुल वासनिक ने कहा कि निर्मला सीतारमण बड़ी बड़ी बातें करके चली गईं कि हमने ये कानून बनाए, वो कानून बनाए. ये बताएं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख कोई महिला कभी बनी क्या. इस संगठन में कभी कोई महिला प्रमुख बनी क्या. कांग्रेस में तो एनी बेसेंट से सरोजनी नायडू तक, तमाम महिला अध्यक्ष हमने आजादी से पहले भी देखी और उसके बाद भी. भारत जो आज भी आजाद है और एकता बनी है, वो इस संविधान की वजह से ही मुमकिन हुआ है. इतनी भाषाएं, इतनी विविधता, इतने धर्म, संविधान के वजह से ही एकता संभव हुई है.
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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान सिख दंगों का मुद्दा उठाया. उन्होंने राजीव गांधी का बयान भी कोट किया कि जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो जमीन हिलती है. हरदीप सिंह पुरी ने भागलपुर से लेकर कश्मीर तक, सांप्रदायिक दंगों का उल्लेख कर भी कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सिख विरोधी दंगों में तीन हजार से अधिक सिख मारे गए. हरदीप पुरी ने कहा कि नौ राज्यों की विधानसभा रातोरात बर्खास्त की गई कांग्रेस के शासनकाल में सौ से अधिक आर्टिकल 35 का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने बीएन टंडन की पुस्तक के हवाले से इंदिरा गांधी सरकार के इमरजेंसी लगाने के फैसले पर भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा शुरू हो चुकी है. सत्ता पक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए 79 मिनट बोला. विपक्ष की ओर से विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा शुरू की और मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी 79 मिनट का ही समय लिया. खड़गे ने अपने संबोधन के अंत में ये कहा भी कि उम्मीद करूंगा कि मेरा टाइम मेरी पार्टी के टाइम से नहीं काटा जाएगा.
मणिपुर में लगातार हिंसा और अशांति जारी है लेकिन डेढ़ साल में मोदीजी को हालात का जायजा लेने का भी समय नहीं है. वे पूरी दुनिया और देश में फिर रहे हैं, चुनाव के लिए हर जगह जाते हैं. सब जगह जाने का मौका उनको मिलता है लेकिन मणिपुर जाने का मौका नहीं है. राहुल गांधी गए और पदयात्रा निकाली. जब वो निकाल सकते हैं तो आपको तो और भी संरक्षण है. वल्लभभाई पटेल ने 500 से अधिक रियासतों में बंटे देश को एक किया. आप कहते हैं एक हैं सेफ हैं. धर्म में भक्ति अच्छी बात है लेकिन राजनीति में ये डिक्टेटरशिप जैसी हो जाती है. उन्होंने राहत इंदौरी के शेर '...जिसे भी चाहो, हलाल कर दो' के साथ अपनी बात पूरी की.
इंदिरा गांधी 42वां संशोधन लेकर आईं और सेक्यूलरिज्म और सोशलिज्म प्रस्तावना में जोड़ा. 51 ए जोड़कर कर्तव्य भी बताया. उसका जिक्र ये नहीं कर रहे. अगर कभी आपसे मोदी साहब मिलें तो कहिएगा कि जरा संविधान के तहत चलो, लोग राज्यसभा में बोल रहे हैं, हमको बड़ा दिक्कत होता है उत्तर देना. मोदी साहब ने नाम रखा है कर्तव्यपथ और कर्तव्य को ही भूल गए. आज भले ही राजनीति करने के लिए प्रधानमंत्री कोसने का मौका नहीं छोड़ते. देश के लिए जो शहीद हुए हैं, उनके नाम ले लेकर कोसने का काम करते हैं. बार-बार इमरजेंसी की बात. जो गलती हो गई, हुई है. हमें उसे सुधारना है. टीका-टिप्पणी कर लोगों ने सदन से बाहर निकाला और दो साल बाद ही वह थंपिंग मेजॉरिटी से जीतकर आईं. निर्णय तो जनता ही करती है न. हमारे बहुत से लोग उधर गए हैं, बाहर के लोग भी गए हैं, ये संगम है साहब. हर पार्टी से लोग उधर गया. क्योंकि ईडी. ईडी मशीन. शाह साहब ने एक बड़ी वॉशिंग मशीन खरीदी है. आप भी अंदर जा सकते हैं. और क्लीन होकर बाहर आ सकते हैं. ऐसे लोग इस देश में. हमने संवैधानिक प्रावधान के तहत देश में जातिगत जनगणना की मांग की है. कमजोर लोगों की बेहतरी के लिए एक रणनीति के साथ काम किया जाए. राजनीति में लोग बदलते रहते हैं. लोग किसी को वोट देते हैं और फिर किसी और को वोट दे जाती हैं. अगर कोई स्टेट आपको वोट नहीं देता तो आप जीएसटी, इरिगेशन, रेलवे के प्रोजेक्ट पर पैसा नहीं देते हो. गरीब गरीब बनते जा रहा है, अमीर अमीर बनता जा रहा है. 5 परसेंट लोगों के पास 62 परसेंट संपत्ति है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति से कहा कि सर आप इधर देखिए. इस पर सभापति ने कहा कि आप ही को देख रहा हूं. 99 परसेंट आपकी ही ओर देख रहे हैं. इस पर खड़गे ने कहा कि एक परसेंट से ही सब हो जाता है. तेंदुलकर ने 10 बार 99 किया. लेकिन एक के लिए सौ नहीं हो सका. नेहरू, आंबेडकर की ही देन है कि मोदीजी प्रधानमंत्री बन सके और मजदूर का बेटा विपक्ष का नेता बन सका. जब देश आजाद हुआ तब यहां सुई भी नहीं बनती थी. खड़गे ने नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं और कहा कि पीएम के असत्य आरोपों से इतिहास नहीं बदल जाएगा. असत्य बातों को सही बोलकर बताने की कोशिश की गई. हम डरने वाले नहीं हैं. उत्तर को प्रत्युत्तर देंगे और सत्यता पर आधारित देंगे.
खड़गे ने लैंड रिफॉर्म का जिक्र करते हुए कहा कि आप बड़े किसान हैं या छोटे किसान हैं, ये मुझे मालूम नहीं. इस पर सभापति धनखड़ ने कहा कि नहीं नहीं, मैं कृषक पुत्र हूं. खड़गे ने कहा कि 1946 में कैबिनेट मिशन प्लान में उन्हें वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था और इसीलिए वह अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने. सरदार पटेल ने 14 नवंबर 1949 को नेहरू के जन्मदिन पर बधाई पत्र में लिखा था कि कुछ स्वार्थी लोगों ने हमारे विषय में भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की है. हमने एक-दूसरे के मतभेदों का भी सम्मान किया है जैसा कि गहरा विश्वास होने पर ही होता है. आज ये झगड़ा लगाने की कोशिश में लगे रहते हैं. यहां संविधान की बात करो. जिनको टीका-टिप्पणी करते हो, उनके पत्र देखो. ये सब देखने के बाद कुछ कहें तो हम कहेंगे, सोचेंगे. टीका कर रहे हैं. रक्षा मंत्री ने लोकसभा में संविधान के श्रेय को लेकर कटाक्ष किया. बाबा साहब ने संविधान सभा में कांग्रेस ने खुद क्या कहा है, खड़गे ने उसे भी कोट किया. तुम को शुरुआत से ही उनका सम्मान नहीं कर रहे, यह खुद उन्होंने भी कहा है. जब संविधान, तिरंगा झंडा स्वीकृत हो गए, तब मुंबई के रेलवे स्टेशन पर हिंदू महासभा, संघ वालों ने जाकर भगवा झंडा दिखाया. तब बाबा साहब ने कहा कि क्या मैं इस झंडे को देखने के लिए यहां आया हूं. मेरा झंडा अलग है तिरंगा झंडा. आज ये बोलते हैं कि आंबेडकर नेहरू जी के खिलाफ थे. खुद बाबा साहब ने कहा कि ये जो सम्मान मिला और कांग्रेस की वजह से मिला. स्मूथली ये संविधान बना सका. आगे चलकर संविधान के लिए पूरा श्रेय कांग्रेस को दिया.
लोकसभा से कांग्रेस ने वॉकआउट कर दिया है. कांग्रेस ने सरकार पर विजय दिवस को भूल जाने का आरोप लगाया है. लोकसभा में जब निशिकांत दुबे बोल रहे थे, कांग्रेस ने ये मुद्दा उठाया. प्रियंका गांधी ने ये मुद्दा उठाया लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि उन्हें बोलने नहीं दिया गया. इसके बाद कांग्रेस ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया.
खड़गे ने कहा कि ये जुमले वाले लोग देश को भ्रमित कर रहे हैं. असत्य बोलते हैं और यहां आकर गॉवेल्स से भी सौ गुना ज्यादा असत्य बातें करते हैं. कहावत कही जाती है कि असत्य सौ बार बोलो तो वो भी सत्य हो जाता है. बेहतर होता कि आप ये बताएं कि संविधान को मजबूत करने के लिए आपने 11 साल में क्या किया. कोविड में आपको आश्रय नरेगा, फूड सिक्योरिटी से मिला. ये है काम. खड़गे ने पहले संविधान संशोधन को लेकर सत्ता पक्ष की ओर से उठते सवालों को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के रिजर्वेशन पर फैसले का जिक्र किया और सरदार पटेल, डॉक्टर आंबेडकर को भी कोट करते हुए कहा कि नेहरू ने जो किया, उसमें वो भी उनके साथ थे. आप उनका भी अपमान कर रहे हैं. मुख्यमंत्रियों को नेहरू ने पत्र लिखा था जिसे पीएम ने कोट किया. तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखा गया और उनको देश से माफी मांगनी चाहिए. आप लोगों को गुमराह करते हो. इस संशोधन पर खुद बाबा साहब ने दो घंटे सदन में इसे डिफेंड किया था. मोदीजी को ऐतराज किस पर है, एससी-एसटी, ओबीसी या आरक्षण पर. आरक्षण को सुरक्षित रखने के लिए नेहरू संशोधन कराते हैं तो दलित-आदिवासियों के खिलाफ हो गए? ऐसी असत्य बातें जनता के बीच ले जाएंगे तो देश को बहुत बड़ा नुकसान होगा.
अमेरिका, यूके, फ्रांस डेमोक्रेसी की बहुत बातें करते थे लेकिन महिलाओं को वोटिंग राइट्स नहीं थे. एक ही देश ऐसा है जहां संविधान लागू होने के दिन से ही सबको एडल्ट फ्रेंचाइज मिला. क्या ये नेहरू, आंबेडकर या संविधान सभा की देन नहीं. संविधान सभा में इनके जो सदस्य थे, चिल्लाते रहते थे. संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने 51-52 चुनावों के दौरान अडल्ट फ्रैंचाइज के खिलाफ लिखा था. ये कहा गया कि सत्यानाश हुआ तो नेहरू देखेंगे. जो अच्छी बातें किसी की हों, वो सब छिपाकर कट एंड पेस्ट. हमारे प्रधानमंत्री और राजनाथ सिंह जो कोट कर रहे थे, डॉक्टर आंबेडकर और दूसरे नेताओं को ही कोट किए. इनके दिल की बात बाहर नहीं आई. आपने क्या किया, ये बोला ही नहीं. आप कितनी बार जेल गए, कितनी पीड़ा सहन किया, ये कहा नहीं. देश के लिए जो लोग लड़े नहीं, उनको आजादी और संविधान का महत्व क्या मालूम. ऐसे लोग आज उनके बार में ऐसी बात करते हैं.
खड़गे ने कहा कि ये संविधान ऐसे ही नहीं बना. आजादी की लड़ाई से बना. नेहरू ने संविधान को चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बना दिया था. महात्मा गांधी ने यह स्टेटमेंट दिया था कि पंडित नेहरू ने मुझे अन्य बातों के अलावा संविधान सभा के गठन से उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन करने के लिए विवश किया है. गांधी, नेहरू, आंबेडकर, आप नहीं सुनना चाहते कि क्या सुनना चाहते हो आप. आप तथ्यों को तोड़ मरोड़कर भ्रमित करना चाहते हो आप. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से हैं और इकोनॉमिक्स से इनकी पढ़ाई हुई है. इस यूनिवर्सिटी से जो भी पढ़े, डेमोक्रेसी में बड़ा विश्वास रखते हैं और दुनियाभर में बड़ा नाम करते हैं. यहां तो डेमोक्रेसी को खत्म करने की बात हो रही है. आप जिस विचारधारा से हो, बार-बार क्यों बदलते हो. मैं तो 1969 से एक ही पार्टी में हूं. पता नहीं कब ये हृदय परिवर्तन हुआ इनका. 2024 के चुनावों के बाद हुआ या कब हुआ, मुझे मालूम नहीं. कम से कम इनका हृदय परिवर्तन करने का काम देश की जनता ने 2024 में किया. आरएसएस के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित नहीं था. ऑर्गेनाइजर ने इसे लेकर संपादकीय भी लिखा था. न तो इन्होंने संविधान को स्वीकार किया और ना ही तिरंगा झंडे को माना और इसी वजह से 26 जनवरी 2002 को कोर्ट के आदेश पर संघ मुख्यालय पर तिरंगा मजबूरी में फहराना पड़ा. हमारा संविधान हर व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है. भेदभाव की गुंजाइश नहीं है लेकिन संविधान पर खतरा बना हुआ है. इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजकर रखने के लिए हमें सतर्क रहना पड़ेगा. इनकी मंशा कब बदलेगी, मालूम नहीं.
खड़गे ने कहा कि आप समाजवाद की बात करते हो. आप पढ़ो इसको. जो लोग झंडे से, अशोक चक्र से, संविधान से नफरत करते हैं, ये लोग आज हमको पाठ पढ़ा रहे हैं. संविधान जब बना, उस वक्त संविधान को जलाने वाले लोग हैं. रामलीला मैदान में नेहरू, बाबासाहब और महात्मा गांधी का पुतला रखकर रामलीला मैदान में ये लोग जलाए जिस दिन संविधान लागू हुआ. शर्म आना चाहिए, इतिहास पढ़ो. संविधान बनने के बाद आप लोगों ने कैसी कैसी बातें संविधान के बारे में बोला है आप लोगों ने. इस पर ट्रेजरी बेंच से किसी ने यिल्ड करने के लिए कहा. खड़गे ने इससे इनकार किया और फिर सभापति ने कहा कि जो किताब आपने दिखाई है, उसे मैं पढ़ूंगा. बाद में दे दीजिएगा. खड़गे ने कहा कि अभी ले लीजिए, पढ़ के दे दीजिएगा. क्योंकि ये किताब आजकल मिलती नहीं.
विपक्ष की ओर से विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा की शुरुआत की है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंदिरा गांधी की सरकार के समय बांग्लादेश की आजादी का जिक्र किया और कहा कि एक लाख लोगों को बंदी बनाना आसान काम नहीं. लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने बता दिया कि हमारे करीब आए तो खैर नहीं. हम तो म्यूनिसिपैलिटी स्कूल में पढ़े हैं, वे जेएनयू में पढ़े हैं. अंग्रेजी भी अच्छी हो सकती है उनकी लेकिन करतूत अच्छी नहीं है. अहमद फराज की शायरी 'तुम खंजर क्यों लहराते हो...' से खड़गे ने सरकार पर तंज किया.
वित्त मंत्री ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय इंदिरा गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वह जो भी बातें बोली थीं, उनमें से एक भी लक्ष्य अचीव नहीं किया जा सका था. जनधन खाते, पीएम मुद्रा ये सब मोदी सरकार में हो सके. एक पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि हम यहां से एक रुपया भेजते हैं और 15 पैसे पहुंच पाते हैं. तकनीकी का उपयोग कर डीबीटी के जरिये हम एक रुपये भेजते हैं और एक रुपये पहुंचते हैं.
वित्त मंत्री ने अरविंद पानगढ़िया की पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने कोटा और लाइसेंस राज के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को कंट्रोल किया. चार महत्वपूर्ण दशक देश के बर्बाद कर दिए और उसके बाद इसमें बदलाव किया. इन्होंने गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन हटा नहीं पाए. पीएम मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है और उस पर काम हो रहा है.
जीएसटी को लेकर निर्मला सीतारमण की बात पर जयराम रमेश ने कहा कि वह झूठ बोल रही हैं. उन्होंने गुजरात सरकार के विरोध की याद दिलाई. इसके बाद वित्त मंत्री ने महाराष्ट्र में यूपीए की सरकार की आपत्ति का जिक्र किया और यह भी कहा जयराम रमेश तब संशोधन लाना चाहते थे लेकिन उन्हें मनमोहन सिंह ने ऐसा करने से रोक दिया था. वित्त मंत्री ने कहा कि झूठ बोलना कांग्रेस की परंपरा है. किसी ने झूठ बोलने के लिए माफी मांगी थी.
वित्त मंत्री ने कहा कि केशवानंद भारती केस में कोर्ट के निर्णय के बाद तीन जजों को सप्रेशन के जरिये स्विफ्ट पनिशमेंट दिया गया. जिस जज ने अलग राय रखी थी, उसे प्रोन्नत किया गया. ओबीसी कमीशन बनाया गया और इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया. बाबा साहब ने कहा था कि पंडित नेहरू दलितों के कल्याण को लेकर गंभीर नहीं हैं. पंडित नेहरू ने पिछले 20 साल में 2000 हजार भाषण दिए हैं लेकिन एक में भी दलितों के कल्याण की बात नहीं है. कांग्रेस कैसे दावा कर सकती है कि वह दलित हितैषी है. कांग्रेस ने बाबा साहब की फोटो तक सेंट्रल हॉल में नहीं लगने दी. भारत रत्न देने से इनकार किया. ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया. अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले पीएम रहते जीएसटी की बात की थी. 10 साल की सरकार के दौरान जीएसटी को लेकर यूपीए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. हमने सत्ता में आने के बाद दो साल के भीतर इसे लागू किया.
वित्त मंत्री मंत्री निर्मला सीतारमण ने 42वें संविधान संशोधन का जिक्र किया और कहा कि संसद के विस्तारित कार्यकाल में विपक्ष के सदस्यों को जेल में डालकर ऐसा किया गया. बाद में 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने 42वें संशोधन के प्रावधान हटाने के लिए 44वां संशोधन लाया. इस पर जयराम रमेश ने कहा कि खुद इंदिरा गांधी ने भी इसके समर्थन में वोट किया था. नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि जब ये बिल आया तब जनता ने इंदिरा गांधी को हरा दिया था. तब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे. जयराम रमेश ने कहा कि इन्होंने ठीक से सुना नहीं. मैंने भी यही कहा था.
वित्त मंत्री संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द जोड़ दिए गए. पूरे विपक्ष को जेल में डालकर ऐसा किया गया. लोकसभा में उनके कुछ सदस्यों ने भी इसका विरोध किया था. राज्यसभा में तो विपक्ष था ही नहीं. उन्होंने मीसा के तहत विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी को लेकर भी कांग्रेस को घेरा.
वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 1951 में संशोधन कर अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाई. इसके बाद 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजनारायण का केस पेंडिंग होने के बावजूद कांग्रेस ने 39वें संशोधन के जरिये यह प्रावधान जोड़ दिया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. इसके लिए ही किस्सा कुर्सी का बैन कर दिया गया. वित्त मंत्री ने शाहबानो केस का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला को न्याय दिलाने के लिए जो आदेश दिया, उसके खिलाफ कांग्रेस ने कानून बना दिया कि महिला को न्याय नहीं मिलना चाहिए.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लोकतंत्र जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, वह गौरव की बात है. उन्होंने पहली अंतरिम सरकार से ही संविधान के प्रावधानों पर कैंची चलाने से लेकर पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाने और संविधान सभा के सदस्य कामेश्वर सिंह तक का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा. वित्त मंत्री ने मजरुह सुल्तानपुरी के पंडित नेहरू के खिलाफ कविता लिखने के लिए गिरफ्तार किए जाने और बलराज साहनी को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र करते हुए भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि हमें वादों से भारत को आगे बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने पिछले 75 साल की यात्रा का जिक्र करते हुए भी संविधान को लेकर कांगेस को घेरा और 'किस्सा कुर्सी का' फिल्म की रिलीज पर रोक का भी जिक्र किया.
प्रियंका गांधी ने वायनाड संसदीय क्षेत्र में जंगली पशुओं के हमले में पिछले एक साल में 19 से ज्यादा व्यक्तियों के निधन को लेकर सवाल किया. उन्होंने पूछा कि इसे लेकर सरकार क्या कर रही है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब में कहा कि हमारी सरकार की ओर से जो कार्य कराए गए हैं, उनकी सूची अलग से माननीय सदस्य को उपलब्ध करा दूंगा.
राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत हो गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की है. उपसभापति ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किए जाने का जिक्र करते हुए इसके 75 वर्ष पूरे होने का उल्लेख किया. वित्त मंत्री ने चर्चा की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यसभा सांसद श्रीगोपाल व्यास और तमिलनाडु के पूर्व सांसद डॉक्टर के मलाईस्वामी के निधन की सूचना सदन में दी. सभापति ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति सदन की ओर से गहरी संवेदना व्यक्त की. सदन में मौन रखकर दोनों दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई.
आंध्र प्रदेश से टीडी के साना सतीश बाबू और बीधा मस्तान राव, पश्चिम बंगाल से टीएमसी के रीताब्रत बनर्जी के साथ ही हरियाणा से नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा को राज्यसभा सदस्यता की शपथ दिलाई गई.