बिहार के भागलपुर जिले के मुन्ना पांडे को नाबालिग से बलात्कार और हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट से मिली फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए पटना हाईकोर्ट से इस मामले को दोबारा सुनवाई करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को ठीक से नहीं पढ़ा होता तो ये दोषी के साथ बड़ा अन्याय होता.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई करने को कहा और दोषी के लिए एक वकील को नियुक्त करने का भी आदेश दिया है. भागलपुर के सबौर कस्बे के निवासी दोषी मुन्ना पांडेय ने 31 मई 2015 को अपने घर में 11 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी. बच्ची की लाश उसके घर से ही बरामद हुई थी.
निचली अदालत ने 2017 में मुन्ना के लिए रेप, हत्या और पोक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा तजवीज की थी. मुन्ना ने इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी. अगले ही साल 2018 मे हाईकोर्ट में जस्टिस राकेश कुनार और जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव ने भी फांसी की सजा बरकरार रखी. उन्होंने अपने फैसले में निर्भया मामले का हवाला देते हुए कहा कि दोषी को सख्त सजा तो मिलनी ही चाहिए. लिहाजा निचली अदालत के इस अपराध को विरलतम श्रेणी में मानते हुए मृत्यु दंड दिया.