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पेगासस मामले में अनिल अंबानी और पूर्व CBI चीफ आलोक वर्मा भी थे निशाने पर, रिपोर्ट में दावा

द वायर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योगपति अनिल अंबानी और पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के फोन नंबर भी उस लिस्ट में पाए गए हैं, जिन्हें लेकर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए निगरानी की संभावना जताई गई है.

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पेगासस विवाद पर जारी है हंगामा
पेगासस विवाद पर जारी है हंगामा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेगासस जासूसी विवाद में एक और नया दावा
  • लिस्ट में सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा का भी नंबर

पेगासस फोन टैपिंग विवाद बढ़ता ही जा रहा है. एक तरफ जहां इस पर सियासी हंगामा संसद तक हो रहा है, वहीं टैपिंग के रडार में रहे लोगों की जिस लिस्ट का दावा किया जा रहा है वो भी लंबी होती जा रही है. अब इस लिस्ट में कुछ और नये नाम जुड़ गए हैं. 

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द वायर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योपति अनिल अंबानी और पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के फोन नंबर भी उस लिस्ट में पाए गए हैं, जिन्हें लेकर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए निगरानी की संभावना जताई गई है. इनके अलावा सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और पूर्व एडिशनल डायरेक्टर एके शर्मा भी इस लिस्ट में थे. 

इस लिस्ट में अनिल अंबानी की कंपनी में काम करने वाले टोनी जेसूडान और फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन के भारत में प्रतिनिधि वेंकट राव पोसिना का नाम भी है. पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के परिवार के सदस्यों के फोन भी इस सूची में थे. 

पेगासस का राफेल कनेक्शन?

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल अंबानी और उनके कर्मचारी का नंबर इस लिस्ट में 2018 में डाला गया था. ये वो वक्त था जब दसॉ कंपनी के साथ राफेल डील का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा था. 

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रिपोर्ट में लिखा गया है, ''भारत में दसॉ एविएशन के प्रतिनिधि वेंकट राव पोसिना, Saab India के पूर्व इंडिया हेड इंद्रजीत सियाल और बोइंग इंडिया के बॉस प्रत्युश कुमार के नंबर 2018 और 2019 में अलग-अलग वक्त पर लीक हुए डेटाबेस में पाए गए.''

सीबीआई के अधिकारी भी रडार पर रहे

आलोक वर्मा का फोन नंबर इस लिस्ट में अक्टूबर 2018 में आया. ये वो वक्त था जब सीबीआई के अंदर ही घमासान चल रहा था और आलोक वर्मा ने अपने डिप्टी राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करा दी थी. इसी दौरान दोनों लोगों को अपने पद से हटना पड़ा था. 

रिपोर्ट में दावा किया गया है, सीबीआई के अफसरों के इसी झगड़े के दौरान राकेश अस्थाना और एके शर्मा के फोन नंबर लिस्ट में डाले गए. एके शर्मा सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर थे और उन्हें आलोक वर्मा ग्रुप का माना जाता था. इस विवाद के बाद एके शर्मा का भी ट्रांसफर कर दिया गया था. द वायर का दावा है कि ये नंबर 23 अक्टूबर 2018 के बाद लिस्ट में डाले गए. 

वहीं, आलोक वर्मा के साथ उनकी पत्नी का निजी फोन नंबर, बेटी और दामाद के फोन नंबर भी इस लिस्ट में डाले गए. कुल मिलाकर आलोक वर्मा के परिवार के 8 सदस्य इस लिस्ट में थे. जिनके नंबर कुछ महीनों बाद लिस्ट से हटा लिये गये. 

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इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी स्टोरी में वायर की रिपोर्ट के साथ ये भी लिखा है कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना से इस पर कमेंट के लिए संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि एके शर्मा ने कहा कि वो यात्रा कर रहे हैं और अभी तक ये रिपोर्ट्स उन्होंने पढ़ी नहीं हैं. 

वहीं, द पेगासस प्रोजेक्ट मीडिया पार्टनर्स ने कहा है, ''केवल फोन के डेटा की तकनीकी जांच से ही यह पता लगाया जा सकता है कि उसे हैक करने का प्रयास किया गया था, या एक सफल समझौता हुआ था; लेकिन सूची में किसी नंबर की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि उस व्यक्ति को निगरानी के लिए संभावित उम्मीदवार के रूप में रखा गया था.''

बता दें कि ये मामला काफी सुलगता जा रहा है. विपक्ष इस मुद्दे को उठा रहा है और जांच की मांग कर रहा है. देश के कई नाम लोगों के नाम इस लिस्ट में सामने आए हैं, जिनमें कई पत्रकार भी शामिल हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि उनका फोन भी टैप हुआ है. साथ ही राहुल ने ये आरोप भी लगाया है कि सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर किया है और इस पूरे प्रकरण के लिए सरकार जिम्मेदार है. इस कारनामे पर गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच होनी चाहिए.

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