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पेगासस स्पाइवेयर को बंद करेगी NSO, जानें- कैसे करता है काम, भारत से भी जुड़ा था नाम

Pegasus स्पाईवेयर से कथित जासूसी का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. कोर्ट ने इस पर अहम आदेश दिया था. इसमें एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जा चुका है.

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पेगासस स्पाईवेयर को लेकर भारत में भी बवाल हुआ था
पेगासस स्पाईवेयर को लेकर भारत में भी बवाल हुआ था
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेगासस स्पाइवेयर को NSO बेच सकती है
  • अमेरिकी कंपनी ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई

पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus) फिर एक बार चर्चा में है. लेकिन इस बार मामला जासूसी का नहीं है. दरअसल, NSO इसे बेचने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी कंपनी ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. पेगासस हाल ही में भारत समेत कई देशों में जासूसी के आरोपों के चलते चर्चा में आई थी. पेगासस क्या है, यह कैसे काम करता है और भारत में यह क्यों चर्चा में आया, यहां आपको सब बताया जाएगा.

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Pegasus स्पाईवेयर से कथित जासूसी का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. कोर्ट ने इसपर अहम आदेश दिया था. इसमें एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जा चुका है.

क्या है Pegasus?

Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. जासूसी सॉफ्टवेयर होने की वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. इसके जरिए ग्लोबली 50,000 से ज्यादा फोन को टारगेट करने का आरोप है. इसमें 300 भारतीय भी हैं.

NSO Group का बनाया Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में इंस्टॉल होते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है. इजरायली कंपनी के अनुसार इसे क्रिमिनल और टेररिस्ट को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है. इसे सिर्फ सरकार को ही कंपनी बेचती है. इसके सिंगल लाइसेंस के लिए 70 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. फोन की खामी का फायदा उठा Pegasus को इंस्टॉल किया जाता है. इसके लिए कई तरीकों का यूज किया जाता है.

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मिसकॉल के जरिए भी हो जाता था इंस्टॉल

साल 2019 तक इसे वॉट्सऐप मिसकॉल के जरिए भी फोन में इंस्टॉल किया जा सकता था. आईफोन में इसे iMessage बग का फायदा लेकर इंस्टॉल करवाया जाता था. इसे फोन की नई खामी जिसके बारे में फोन या सॉफ्टवेयर कंपनी को पता नहीं होता है उसके जरिए फोन में डाला जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार टारगेट के पास मौजूद रेडियो ट्रांसमीटर या रिसीवर के जरिए भी इंस्टॉल किया जा सकता है. इंस्टॉल होने के बाद ये स्पाईवेयर डिवाइस के मैसेज, कॉन्टैक्ट, कॉल हिस्ट्री, इमेल, ब्राउजिंग हिस्ट्री समेत कई जानकारी को सर्वर तक पहुंचाता रहता है. ये यूजर को फोन के कैमरा से रिकॉर्ड भी कर सकता है. टारगेट यूजर के कॉल को रिकॉर्ड भी इस स्पाईवेयर से किया जा सकता है. Pegasus से यूजर को GPS के जरिए ट्रैक भी किया जा सकता है. इसे काफी ज्यादा खतरनाक स्पाईवेयर माना गया है.

इन लोगों की जासूसी के थे आरोप

जिन 300 भारतीयों के फोन टैप किए जाने की बात कही गई थी उसमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल का नाम शामिल था. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर जिस महिला ने साल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, वह भी इजरायली स्पाइवेयर Pegasus के जरिए संभावित जासूसी की टारगेट लिस्ट में शामिल थीं.

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