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'देश में एक समान स्वास्थ्य सेवा मानदंड हो लागू', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. यह याचिका जन स्वास्थ्य अभियान, पेशेंट्स राइट्स कैंपेन और केएम गोपकुमार ने दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि उक्त कानून के सारे प्रावधान लागू किए जाएं ताकि जनता को सस्ती व गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें.

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है

देश में एक समान स्वास्थ्य सेवा मानदंड लागू करने की मांग उठी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा. दरअसल, याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह संविधान व क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010  (CEA) के अनुसार देश के नागरिकों को एक समान स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के दिशा निर्देश जारी करें. 

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याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. यह याचिका जन स्वास्थ्य अभियान, पेशेंट्स राइट्स कैंपेन और केएम गोपकुमार ने दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि उक्त कानून के सारे प्रावधान लागू किए जाएं ताकि जनता को सस्ती व गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें.

इसमें सीईए की धारा 11 और 12 में दी गई शर्तों के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं के न्यूनतम मानकों का पालन, प्रक्रियाओं और सेवाओं के लिए दरों का निर्धारण, मानक उपचार प्रोटोकॉल का पालन, स्वास्थ्य संस्थानों के पंजीकरण की शर्तों की अधिसूचना और नियमों के अमल के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

पूर्वोत्तर भारत को लेकर याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार

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बता दें कि पूर्वोत्तर भारत के लोग के साथ उत्तरी भारत में भेदभाव से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन पूर्वोत्तर भारत के लोगों के साथ भेदभाव से निपटने के लिए कानून बनाने और देश के इस हिस्से के इतिहास, भूगोल की जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मसला है. नीति बनाना और लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है. हर बुराई या जरूरत के लिए कोर्ट का दखल जरूरी नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि जहां तक Youtube पर नस्लीय भेदभाव वाले वीडियो अपलोड करने का मसला है, इसके लिए पुलिस को शिकायत दे सकते हैं. पुलिस और संबंधित विभाग ही कार्रवाई करने में सक्षम हैं.

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