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सुप्रीम कोर्ट पहुंची किसान आयोग की मांग, याचिका में कहा- अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी

देश भर में किसानों के आर्थिक, नीतिगत और कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर स्थाई 'किसान आयोग' बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है.

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सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्थायी किसान आयोग की मांग को लेकर SC में याचिका
  • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का दिया हवाला
  • 'किसानों के संवैधानिक अधिकारों के लिए जरूरी है आयोग'

एक तरफ कृषि कानूनों के विरुद्ध देश भर में किसान आंदोलन चल रहा है. दूसरी तरफ किसानों के हितों के बचाव के लिए अब किसान आयोग की मांग भी उठने लगी है. देश भर में किसानों के आर्थिक, नीतिगत और कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर स्थाई 'किसान आयोग' बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है. जिसमें कहा गया है कि एक स्थायी किसान आयोग बनाना बेहद जरूरी है.

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याचिका में स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है, जिसने अपनी रिपोर्ट में भी किसानों के लिए एक संवैधानिक आयोग बनाने की बात कही थी. याचिका में कहा गया है कि किसानों के लिए आयोग न होना किसानों के मूल अधिकारों के तहत आर्टिकल 14, 19 और 21 का उल्लंघन करता है. लिहाजा याचिका के जरिए गुहार लगाई गई है कि कोर्ट स्थायी किसान आयोग बनाने के लिए सरकार को आदेश दे.

याचिका के मुताबिक देश के अधिकतर किसान ऋण, फसल खराब होने, उचित मूल्य पर फसल बेचने में नाकामी, पारिवारिक समस्या, और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए उचित मंच के अभाव में जी रहा है. याचिका में साल 2004 में प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में बनाए गए आयोग और उसकी चार अंतरिम रिपोर्ट के साथ 4 अक्टूबर 2006 को आई फाइनल रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है.

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याचिका में कहा गया है कि रिपोर्ट आए लगभग 15 साल बीत गए, लेकिन किसानों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए सुझाए गए उपायों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. इसलिए आज आंदोलित किसान महीनों से सड़कों पर हैं. इसे ध्यान मे रखते हुए कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वो केंद्र और राज्य के स्तर पर किसान आयोग बनाए. इसकी स्थिति स्टेट्यूटरी यानी संवैधानिक होनी चाहिए. ये आयोग किसानों की सुरक्षा और संरक्षा से संबन्धित उपाय सुझाया करे. और सरकार को किसानों और कृषि सम्बन्धित कानून और नीति बनाने के लिए भी सुझाव देने के लिए अधिकारित किया जाए.

 

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