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सुप्रीम कोर्ट में जवान बेटे को इच्छामृत्यु देने की अर्जी, शीर्ष कोर्ट बोला- उसे जिंदा रखने के इंतजाम करें!

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इच्छामृत्यु की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि अरुणा शानबाग वाले मामले में भी उन मामलों में इच्छा मृत्यु न देने की हिदायत है जिसमें पीड़ित बिना बाहरी जीवन रक्षक उपकरणों के बगैर जी रहा हो.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

ग्यारह साल से बिस्तर पर बेहोश पड़े अपने जिगर के टुकड़े के लिए बुजुर्ग मां बाप ने सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु मांग ली. लेकिन दिल चीर देने वाली इस अपील पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने मानवीय आधार पर एएसजी ऐश्वर्या भाटी से उस 30 वर्षीय युवक को समुचित सुविधाजनक जगह रखने के इंतजाम तलाशने को कहा. कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर समुचित इंतजाम के लिए जवाब दाखिल करने को कहा है.

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कोर्ट ने कहा कि चूंकि युवक 2013 से बिना किसी बाहरी जीवन रक्षक मशीनों के जी रहा है लिहाजा पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश में हमें कोई खामी नजर नहीं आती जिसमें इच्छा मृत्यु दिए जाने से इंकार किया था.

बेबस मां-बाप ने मांगी इच्छामृत्यु
इस युवक की 2013 में ऊंचाई से गिर कर सिर में चोट लगी थी. तब से वो बेहोश है. बेटे की फिक्र में तेजी से बूढ़े हो रहे मां बाप उसकी समुचित देख-भाल करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं. क्योंकि बेटे के इलाज के चक्कर में घर मकान और जमा पूंजी सभी निकल गए. खाली हाथ खाली झोली कोर्ट आगे फैला दी. इन बूढ़े कंधों को इस जिम्मेदारी के बोझ से और बिस्तर पर पड़े बेटे को जिंदगी के बोझ से मुक्त किया जाए, ताकि वो भी चिंता मुक्त होकर इस दुनिया को अलविदा कह सकें. लिहाजा अब इस मजबूरी में उन्होंने कोर्ट से उसकी जिंदगी की नहीं बल्कि मौत की गुहार लगाई है.

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इच्छामृत्यु की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि अरुणा शानबाग वाले मामले में भी उन मामलों में इच्छा मृत्यु न देने की हिदायत है जिसमें पीड़ित बिना बाहरी जीवन रक्षक उपकरणों के बगैर जी रहा हो.

लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी पर मानवीय रुख अपनाते हुए लोथ होकर जी रहे बेटे की देखभाल की उनकी जिम्मेदारी हल्की करते हुए ASG ऐश्वर्या भाटी को संभावनाएं तलाशने को कहा. ऐश्वर्या भाटी ने भी कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जल्दी ही वो समुचित समाधानों के विकल्प के साथ कोर्ट के समक्ष हाजिर होंगी.

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