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Crude Oil की कीमत तोड़ रही रिकॉर्ड, तब भी महंगा नहीं हो रहा Petrol-Diesel, क्या चुनावी कनेक्शन?

Petrol Diesel price: अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (crude oil rate) की कीमतें 7 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. देश में अक्सर क्रूड ऑयल महंगा होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ जाती हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. 80 दिन से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

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आंकड़े बताते हैं कि चुनावों के समय पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होती. (फाइल फोटो-PTI)
आंकड़े बताते हैं कि चुनावों के समय पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होती. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • क्रूड ऑयल महंगा होने पर बढ़ जाती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
  • 2 दिसंबर 2021 के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बदली नहीं

भारत में अक्सर ये देखने को मिलता है कि कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें बढ़नी शुरू होती हैं तो उसका बोझ आम आदमी की जेब पर पड़ता है. तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने लगती हैं. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. इस वक्त क्रूड ऑयल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है. अक्टूबर 2014 के बाद ये सबसे ज्यादा है. लेकिन भारत में इसका असर दिख नहीं रहा है. 

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पेट्रोल और डीजल की कीमतें 2 दिसंबर 2021 से स्थिर हैं. उससे पहले भी करीब एक महीने तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था. 

अप्रैल 2017 से हर दिन ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय की जा रही हैं. सरकार ने इसका अधिकार सरकारी तेल कंपनियों को दे दिया था. तर्क था कि कच्चे तेल की कीमतें घटने-बढ़ने का फायदा आम आदमी को पहुंचेगा और कंपनियां भी फायदे में रहेंगी. हालांकि, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़े बताते हैं कि क्रूड ऑयल की कीमतें घटने के बाद भी उसका फायदा आम आदमी को नहीं मिला और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते रहे.

इसको ऐसे समझिए कि अप्रैल 2020 में क्रूड ऑयल की कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल थी. लेकिन उस समय भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम नहीं हुई थीं. 30 अप्रैल 2020 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69.59 रुपये और डीजल की कीमत 62.29 रुपये थी. जबकि, मार्च 2020 में क्रूड ऑयल की कीमत 33 डॉलर प्रति बैरल थी और तब भी दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल 69.59 रुपये और डीजल 62.29 रुपये था. 

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लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. फिर से क्रूड ऑयल की कीमत बढ़नी शुरू हो गई है, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं बढ़ रही है. 

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80 दिन से नहीं बढ़ी पेट्रोल-डीजल की कीमत

- देश में 80 दिन बीत चुके हैं लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में 1 पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं हुई. 3 नवंबर को केंद्र ने एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. अगले दिन से दिल्ली में पेट्रोल 103.97 रुपये और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर बिकने लगा.

- इसके बाद 2 दिसंबर को तेल की कीमतों में फिर कटौती हुई. 2 दिसंबर को राजधानी में प्रति लीटर पेट्रोल की 95.41 रुपये और डीजल की 86.67 रुपये कीमत हो गई. यही कीमत अभी तक है. जबकि क्रूड ऑयल की कीमत लगातार बढ़ रही है.

क्या चुनाव है इसका कारण?

- नवंबर 2021 में 14 राज्यों की 30 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. नतीजे आए तो बीजेपी को तगड़ा झटका लगा. अगले ही दिन 3 नवंबर की शाम को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटा दी. 

- मोदी सरकार में 14 बार एक्साइज ड्यूटी में बदलाव किया गया है. सिर्फ 4 बार ही एक्साइज ड्यूटी घटाई गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अक्टूबर 2018, फरवरी 2019 और अक्टूबर 2017 में एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. 

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- पिछले साल 27 फरवरी को चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. 27 फरवरी को दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये और डीजल की 81.47 रुपये थी. 23 मार्च तक इनकी कीमतें स्थिर ही रहीं. 

- उसके बाद भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम ही हुईं. 2 मई को पांचों राज्यों के चुनाव के नतीजे आए. दो दिन बाद ही 4 मई को पेट्रोल की कीमत 15 पैसे और डीजल की कीमत 18 पैसे बढ़ गई. इसके बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत हर दिन बढ़ती ही रही. 

- इससे पहले 25 सितंबर 2020 को चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की. नतीजे 10 नवंबर को आए. PPAC के मुताबिक, 21 सितंबर से 19 नवंबर तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 81.06 रुपये और डीजल 70.46 रुपये थी.

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कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?

-  भारत अपनी जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी कच्चा तेल बाहर से खरीदता है. ये कच्चा तेल बैरल में आता है. एक बैरल यानी 159 लीटर.

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- पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत सरकार ही तय करती थी. जून 2010 में सरकार ने पेट्रोल की कीमतें तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया. उसके बाद अक्टूबर 2014 में डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार भी तेल कंपनियों को ही दे दिया गया.

- अप्रैल 2017 में तय हुआ कि अब से पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन तय होंगी. तब से तेल कंपनियां कच्चे तेल की कीमत के आधार पर हर दिन पेट्रोल-डीजल के दाम तय करने लगीं.

- ये सरकारी तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज समेत बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए कीमत तय करती हैं.

- सरकार की ओर से अक्सर ये कहा जाता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि चुनावी सीजन में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होती.

 

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