उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई हिंसा को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के महासचिव अनीस अहमद सामने आए हैं. उन्होंने कहा है कि पीएफआई का कानपुर हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. हम कानपुर हिंसा की निंदा करते हैं. बीजेपी और केंद्रीय एजेंसियों के लिए हम सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं, इसलिए किसी न किसी हमले से पीएफआई का नाम जोड़ दिया जाता है.
Aajtak के साथ खास बातचीत में PFI चीफ अनीस ने कहा, कानपुर की तो बात ही छोड़िए, पूरे उत्तर प्रदेश में कोई पीएफआई की कोई इकाई नहीं है. पीएफआई की यूपी में सिर्फ एडहॉक यूनिट है. कानपुर हिंसा की एफआईआर में भी हमारा नाम नहीं है. वहीं, हिंसा के आरोपियों से हमारा कोई संबंध नहीं है.
BJP पर आरोप लगाते हुए अनीस अहमद ने आगे कहा, केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें हमें सॉफ्ट टारगेट करती हैं. राजस्थान के करौली में दंगे हुए तो पीएफआई का नाम लिंक करने की कोशिश की गई, लेकिन वहां के एसपी ने खुद कहा कि हिंसा में पीएफआई का कोई रोल नहीं है.
उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई भी हिंसा से भी पीएफआई का नाता जोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कोई लिंक सामने नहीं आया. वहीं, यूपी में भी सीएए एनआरसी के दौरान हुए प्रदर्शनों में पीएफआई का संबंध बताने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ.
कानपुर में हिंसा और पथराव की घटना के बाद 500 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं और अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के प्रमुख हयात जफर हाशमी भी शामिल हैं, जिन्हें इस घटना के मास्टरमाइंड में से एक बताया जा रहा है. हाशमी सहित 36 लोगों के नाम जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा कराने के आरोप हैं. इस हिंसा में PFI (पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) जैसे संगठनों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है.
गौरतलब है कि बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने हाल ही में एक टीवी न्यूज चैनल पर बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. जिसके विरोध में बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जब मुस्लिम सामज के लोगों ने कानपुर शहर में दुकानें बंद कराने का प्रयास किया तो बेकनगंज, परेड, नई सड़क और यतीमखाना इलाकों में झड़पें शुरू हो गईं. इन झड़पों में पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 40 लोग घायल हो गए.