कोरोना वैक्सीन तो अब तक भारतीय बाजार में नहीं आई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक इससे संबंधित याचिका जरूर आ गई है. वकील विशाल तिवारी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कोर्ट से इस वैक्सीन को लेकर फर्जीवाड़ा करने या बिक्री को रोकने के लिए सख्त गाइडलाइन जारी करने की गुहार लगाई गई है.
याचिका में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए कहा गया है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के मुताबिक विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर गाइडलाइन तैयार कराई जाए. इसके साथ ही जनजागरण अभियान चलाकर आम जनता को नकली वैक्सीन से होने वाले नुकसान से जागरूक किया जाए. इस बाबत सरकार को सख्त कानून बनाने का आदेश देने की भी मांग की गई है.
नकली वैक्सीन बेचने वालों के खिलाफ कड़ी सजा
याचिका में कहा गया है कि नकली, फर्जी वैक्सीन बनाने और बेचने वालों, सप्लाई करने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान इस कानून में किया जाए. याचिका में कहा गया कि दुनिया को इस महामारी ने अपनी चपेट में ले रखा है. करोड़ों लोग इसकी वजह से संक्रमित हैं और करोड़ों लोगों को इस वायरस का संक्रमण मौत की नींद सुला चुका है.
'हमारे देश के साथ-साथ दुनियाभर के चिकित्सक, जीनोलॉजी और रसायन वैज्ञानिकों ने महीनों तक दिन-रात की मेहनत से कोरोना वैक्सीन तैयार की है. यूनाइटेड किंगडम सहित कुछ देशों में तो फाइजर कंपनी के टीके का ट्रायल सफल होने के बाद टीकाकरण भी शुरू हो गया है.'
'लेकिन बहुत से स्वार्थी लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन नकली वैक्सीन के गोरखधंधे में शामिल हो गए हैं. अगर समय रहते इस पर फौरन और सख्त एक्शन नहीं लिया गया तो स्थिति और बिगड़ सकती है. ऐसे में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए स्वास्थ्य, रक्षा और सुरक्षित स्वास्थ्य के साथ जीने का अधिकार के तहत कोरोना के फर्जी इलाज से बचाव का पुख्ता इंतजाम करना जरूरी है.'
फर्जी वैक्सीन के गोरखधंधे में बढ़ी सक्रियता
याचिका के जरिए कहा गया है कि इंटरपोल ने भी ऑरेंज नोटिस जारी कर सभी सदस्य देशों को आगाह किया है कि कोरोना वैक्सीन वितरण शुरू होने के प्रति जनता की व्यग्रता को देखते हुए कई अपराधिक संगठन अपने फर्जी वैक्सीन के गोरखधंधे में सक्रिय हो गए हैं. लिहाजा कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि महामारी के डर और खौफ की मारी आम जनता जान बचाने की इस हड़बड़ाहट और बौखलाहट में आसानी से इनके जाल में फंस सकती है.
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याचिका में आगे कहा गया है कि ऑनलाइन और सोशल मीडिया के जरिए और अन्य ऑफलाइन माध्यमों से भी गिरोह सक्रिय हैं. ये स्थिति विस्फोटक हो सकती है. कोर्ट इसमें दखल देते हुए सरकार को आदेश दे कि वो शीघ्रातिशीघ्र सख्त प्रावधानों वाला कानून बनाकर अमल शुरू करे क्योंकि वैक्सीन आने के बाद भारत जैसे विशाल देश में इसे रोकना बहुत मुश्किल होगा.