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गंगा-यमुना में शवों को फेंकने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, कमेटी बनाने की मांग

एडवोकेट विनीत जिंदल ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि मौलिक अधिकार , मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार और जीवन का अधिकार जिसमें सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है. शवों को नदी में फेंकने से यह अधिकार प्रभावित हुआ है.

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नदी में पाए गए शव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. (फाइल फोटो)
नदी में पाए गए शव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट में विनीत जिंदल ने दायर की याचिका
  • तीन स्तरीय कमेटी बनाने की मांग
  • मौलिक अधिकार के उल्लंघन की दलील

कोरोना संकट के बीच देश के कई इलाकों में शव नदियों में फेंकने के मामले सामने आए हैं. यूपी-बिहार के कई राज्यों में नदी में उतराए हुए शव नजर आए. अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों में मिले शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. 

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एडवोकेट विनीत जिंदल ने याचिका दाखिल की है .याचिका में कहा गया है कि मौलिक अधिकार , मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार  और जीवन का अधिकार जिसमें सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है. यह प्रभावित हुआ है. याचिका में मांग की गई है कि सरकार  केन्द्र, राज्य और ग्रामीण स्तर पर तीन स्तरीय कमेटी बनाकर शवों का सम्मानपूर्वक संस्कार कराने का इंतजाम सुनिश्चित करे.

गौरतलब है कि 15-16 मई को केंद्र सरकार ने एक समीक्षा बैठक की थी  केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के बीच शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने के मामले को संज्ञान में लेते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया था. केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और बिहार से कहा है कि शवों को गंगा और इसकी सहायक नदियों में फेंकने पर रोक लगाई जाए और उनके सुरक्षित, सम्मानजनक अंतिम संस्कार पर जोर दिया जाए.

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इस दौरान नदियों में शवों को फेंके जाने से रोकने तथा कोरोना मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार पर्यावरण दिशानिर्देशों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया था.

जलशक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में 15 मई को हुई बैठक में इस संबंध में उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई. साथ ही आगे की कार्रवाई के बिंदुओं पर फैसला किया गया.

 

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