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जानलेवा लखनऊ कांड के बाद घटे विदेशी नस्ल के कुत्तों के दाम, 5000-10 हजार में बिक रहा पिटबुल

लॉकडाउन के दौरान विदेशी कुत्तों की डिमांड काफी बढ़ी थी. लेकिन अब इन घटनाओं के बाद इनकी मांग में कमी आई है. इसी के चलते कीमतें काफी घटी हैं. जो पिटबुल कुत्ता कभी 20000 से 50000 में बिकता था, उसकी कीमत 5000 रुपए रह गई है. दिल्ली के ब्रीडर अशोक कुमार ने बताया कि जर्मन शेफर्ड की कीमत 5000 रुपये रह गई है.

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डॉग बाइट के बढ़ते मामलों के चलते घटे पिटबुल, लैब्राडोर और हस्की जैसी ब्रीड के दाम (फाइल फोटो)
डॉग बाइट के बढ़ते मामलों के चलते घटे पिटबुल, लैब्राडोर और हस्की जैसी ब्रीड के दाम (फाइल फोटो)

दिल्ली एनसीआर समेत देश के अलग अलग हिस्सों से डॉग बाइट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. लखनऊ में पिछले दिनों जहां पिटबुल ने अपनी मालकिन को नोंचकर मार डाला. तो वहीं गाजियाबाद में लिफ्ट में कुत्ते ने एक बच्चे पर हमला कर दिया. इन बढ़ती घटनाओं के चलते मालिकों में भी खौफ देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं लोगों का इन विदेशी नस्लों के कुत्तों के प्रति क्रेज भी कम देखने को मिल रहा है. इसके चलते अब इन विदेशी नस्लों की कीमतों में भी काफी कमी आई है. जानकारी के मुताबिक, जो विदेशी कुत्ते पहले 30-40 हजार के बिका करते थे, अब उनकी कीमतें घटकर 5000 से 10 हजार रुपए रह गई है. 

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कितनी कम हुईं कीमतें?

लॉकडाउन के दौरान विदेशी कुत्तों की डिमांड काफी बढ़ी थी. लेकिन अब इन घटनाओं के बाद इनकी मांग में कमी आई है. इसी के चलते कीमतें काफी घटी हैं. जो पिटबुल कुत्ता कभी 20000 से 50000 में बिकता था, उसकी कीमत 5000 रुपए रह गई है. दिल्ली के ब्रीडर अशोक कुमार ने बताया कि जर्मन शेफर्ड की मांग पहले सबसे ज्यादा थी. इसकी कीमत करीब 15000 रुपए थी. लेकिन अब इसकी कीमत 5000 रुपए से कम हो गई. इसी तरह से लैबराडोर जैसे भारी भरकम कुत्ते की कीमत भी ₹5000 के नीचे गिर चुकी है जोकि पहले 20000 रुपए से ज्यादा महंगा बिकता था. 

पढ़ें: ये हैं कुत्तों की 9 सबसे खतरनाक ब्रीड्स, जानिए कब ज्यादा हिंसक हो जाते हैं Pet Dogs?

मालिक छोड़ रहे अपने पिटबुल कुत्ते

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डॉग बाइट की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब कई लोग अपने पालतू कुत्तों को लावारिस छोड़ रहे हैं.  नोएडा में एक NGO हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स (House of Stray Animals) के सामने पिछले 2 महीने में कम से कम 5 से 6 मालिक अपने पिटबुल को छोड़ गए. NGO के फाउंडर संजय महापात्रा के मुताबिक, पिटबुल के अलावा labrador  और  husky dog जैसे महंगे विदेशी कुत्ते भी लोगों ने लावारिस छोड़ दिए. 

महापात्रा कहते हैं कि हर दिन उनके पास 50 से ज्यादा फोन कॉल आ रहे हैं, जिसमें लोग अपने पालतू कुत्तों को लेकर के सवाल पूछ रहे हैं या फिर वह उन्हें NGO को सौंप देना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों में बड़े विदेशी कुत्तों को त्यागने की घटनाएं ज्यादा बढ़ी हैं. संजय महापात्रा के मुताबिक, लोग पिटबुल, जर्मन शेफर्ड, लैबराडोर, सेंट बर्नार्ड , कॉक स्पाइनल और इंडियन परिहा जैसी ब्रीड के कुत्तों को भी छोड़ना चाहते हैं. 

लखनऊ की घटना के बाद से बढ़ा खौफ

महापात्रा के मुताबिक, लखनऊ में जब पिटबुल द्वारा अपनी मालकिन को काटे जाने की घटना सामने आई तब हर दिन लगभग 200 लोग उन्हें दिल्ली एनसीआर से फोन किया करते थे और वह अपने कुत्तों को छोड़ देना चाहते थे लेकिन ऐसे लोगों को उन्होंने समझाया बुझाया और अपने पालतू कुत्तों को ख्याल रखने के लिए विशेष जानकारी भी दी. 
       
आखिर ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? 

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संजय महापात्रा ने बताया कि कुत्तों द्वारा इंसानों को काटे जाने की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन इसके लिए कुत्तों को दोष देना सही नहीं है. कहीं न कहीं इंसान का बर्ताव इसके लिए जिम्मेदार है. उन्होंने बताया कि जैसे हम अपने बच्चों का ख्याल रखते हैं उसी तरह कुत्ते हमारे परिवार से जल्दी घुल मिल जाते हैं. वे हमारे बेहद करीब होते हैं, ऐसे में हमें भी परिवार की तरह उनका ख्याल रखना होता है. उन्होंने कहा कि वह बेजुबान अपनी बात कह नहीं पाते ऐसे में जब उन्हें शारीरिक पीड़ा या किसी तरह की तकलीफ होती है तो वह हिंसक बर्ताव अपनाने लगते हैं. इसी के चलते कुत्तों द्वारा काटे जाने की घटनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि इन कुत्तों का खास ख्याल रखना होता है. 
 


 

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