देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की एक वर्चुअल हाई लेवल संवाद को संबोधित किया.यह संवाद मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर केंद्रित रहा. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मानव गतिविधियों से भूमि को हुए नुकसान को फिर से ठीक करने की सामूहिक जिम्मेदारी भी मानव समाज की ही है. यह हमारा दायित्व है कि हम अपनी अगली पीढ़ी को एक स्वस्थ्य धरती दें.
पीएम मोदी ने कहा कि लैंड डिग्रेडेशन से विश्व के दो तिहाई हिस्से पर असर पड़ा है. इस पर ध्यान नहीं दिया गया है. यह हमारे समाज, अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, सेफ्टी और क्वॉलिटी लाइफ के आधार पर बुरा असर डालेगा. इसलिए हमें धरती और उसके स्रोत के अत्याधिक दोहन को कम करना होगा. हमारे लिए बहुत सारे काम बचे हुए हैं. हम इसे साथ मिलकर कर सकते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जमीन को हमेशा महत्व दिया गया है.
पीएम मोदी ने कहा कि हम धरती को पवित्र मानते हैं और इसे मां का दर्जा देते हैं. भारत ने लैंड डिग्रेडेशन के मसले को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहुंचाया है.पीएम मोदी ने कहा कि हम मानते हैं कि भूमि की बहाली से मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक चक्र शुरू हो सकता है जिससे भूमि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और बेहतर आजीविका बढ़ेगी. भारत के कई हिस्सों में, हमने कुछ नए तरीके अपनाए हैं.
बता दें कि यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई थी. पीएम मोदी कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द यूनाइटेड नेशन्स कन्वेन्शन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD COP14 President) के 14वें सत्र के अध्यक्ष हैं.
इस बैठक को कृषि उद्योग के नेता, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सिविल सोसाइटी ग्रुप के प्रतिनिधि भी संबोधित करेंगे. इस बैठक का उद्देश्य भूमि क्षरण (लैंड डिग्रडेशन) से लड़ने में हुई प्रगति का आकलन करना और स्वस्थ भूमि को पुनर्जीवित करने और बहाल करने के वैश्विक प्रयासों पर आगे का रास्ता तय करना है.
पीएम मोदी ने सितंबर 2019 में नई दिल्ली में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय दलों के सम्मेलन के 14 वें सत्र का उद्घाटन किया था. इस बैठक को जनरल एसेंबली के अध्यक्ष, डिप्टी सेक्रेटरी जनरल, ECOSOC के अध्यक्ष और UNCCD के एग्जीक्यूटिव-सेक्रेटरी भी संबोधित करेंगे.