संसद के बजट सत्र का आज आखिरी दिन है. शनिवार को संसद में राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया गया. इस पर सभी नेताओं ने भाषण दिया. इसके बाद शाम पांच बजे के करीब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपना भाषण दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि देश में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म बहुत कम होता है. हमने बहुत कम देखा है कि रिफॉर्म भी हो, परफॉर्म भी हो और हम ट्रांसफॉर्म होते हुए अपने आगे देख पाते हो. 17वीं लोकसभा से आज देश ये अनुभव कर रहा है. मुझे विश्वास है कि देश 17वीं लोकसभा को जरूर आशीर्वाद देता रहेगा.
पढ़ें PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें-
- सदन के नेता और एक सहयोगी के रूप में आप सभी को धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. कभी-कभी सुमित्रा जी मजाक करती थीं, लेकिन आपका चेहरा हमेशा मुस्कान से भरा रहता है. आपने हर स्थिति को धैर्य और स्वतंत्रता के साथ निपटाया है. इन पांच वर्षों में मानवता इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती से निपटी. ऐसी स्थिति थी. सदन में आना एक चुनौती थी. अध्यक्ष महोदय, आपने सुनिश्चित किया कि सभी उपाय किए जाएं और देश का काम कभी न रुके.
- मैं संकट के उस समय में अपना भत्ता छोड़ने के लिए सभी सांसदों की सराहना करता हूं. किसी ने इस पर दोबारा विचार नहीं किया. कोरोना काल के दौरान देश के लोगों को संदेश देते हुए सांसदों ने अपने वेतन में 30% की कटौती करने का फैसला किया. मीडिया आम तौर पर अपने लाभों के लिए सांसदों की आलोचना करता है. आपने तय किया कि एमपी कैंटीन में हर कोई बाहर के बराबर ही भुगतान करेगा. आपने हमारा मजाक उड़ाने वालों को रोक दिया.
- हम सभी सांसद बिना कारण साल में दो बार हिंदुस्तान के मीडिया के किसी न किसी कौने में गाली खाते रहते थे कि इन सांसदों को इतना मिलता है और कैंटीन में इतने में खाते हैं. आपने निर्णय किया, सबके लिए समान रेट होंगे कैंटीन में और सांसदों ने कभी भी विरोध नहीं किया, शिकायत नहीं की और लोगों की फजीयत से हमें बचा लिया गया.
- संसद का नया भवन होना चाहिए, इसकी चर्चा सबने की, सामूहिक रूप से की, लेकिन निर्णय नहीं होता था. ये आपका नेतृत्व है जिसने निर्णय किया और इसी का परिणाम है कि आज देश को ये नया संसद भवन प्राप्त हुआ है. एक संसद के नए भवन में एक विरासत का अंश और जो आजादी की पहला पल था, उसको जीवंत रखने का हमेशा-हमेशा हमारे मार्गदर्शक रूप में सेंगोल को यहां स्थापित करने का काम किया गया.
- इस काल खंड में जी20 की अध्यक्षता भारत को मिली. भारत को बहुत सम्मान मिला. देश के हर राज्य ने अपने-अपने तरीके से विश्व के सामने भारत का सामर्थ्य और अपने राज्य की पहचान बहुत खूबी प्रस्तुत की, जिसका प्रभाव आज भी विश्व के मंच पर है.
- डिजिटलाइजेशन पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आधुनिक तकनीक के अब सब आदि हो गए हैं. ये स्थाई व्यवस्था बनाई गई है. संयुक्त प्रयास के कारण ही 17वीं लोकसभा की प्रोडक्टिविटी करीब-करीब 97 प्रतिशत रही है. ये प्रशन्नता का विषय है. लेकिन मुझे विश्वास है कि आज जब 17वीं लोकसभा की समाप्ति की तरफ हम बढ़ रहे हैं तब एक संकल्प लेकर 18वीं लोकसभा की शुरुआत होगी कि हम हमेशा शत प्रतिशत से ज्यादा प्रोडक्टिविटी वाली हमारी कैपिसिटी होगी.
- नए-नए बेंचमार्क 17वीं लोकसभा ने बनाए हैं. आजादी के 75 वर्ष पूरा होने के उत्सव पर सदन ने अत्यंत महत्वपूर्ण कामों का नेतृत्व किया. आजादी के 75 वर्ष को देश ने जी भरकर उत्सव की तरह मनाया है. इसमें हमारे माननीय सांसदों और इस सदन की बहुत बड़ी भूमिका रही है.
- - इस कार्यकाल में बहुत ही रिफॉर्म हुए हैं और गेमचेंज रहे हैं. 21वीं सदी की मजबूत नींव उन सभी में नजर आती है. एक बड़े बदलाव की तरफ तेज गति से देश आगे बढ़ा है. इसमें भी सदन के सभी साथियों ने बहुत ही उत्तम मार्गदर्शन दिया है. हम संतोष से कह सकते हैं कि हमारी अनेक पीढ़ियां जिन बातों का इंतजार करती थी, ऐसे बहुत से काम इस 17वीं लोकसभा के माध्यम से पूरे हुए. पीढ़ियों का इंतजार खत्म हुआ है. अनेक पीढ़ियों ने एक संविधान के लिए सपना देखा था. लेकिन हर पल उस संविधान में एक दरार दिखाई देती थी. एक खाई नजर आती थी. एक रुकावट चुभती थी. लेकिन इसी सदन ने आर्टिकल 370 हटाकर संविधान के पूर्ण रूप को उसको पूर्ण प्रकाश के साथ उसका प्रगतिकरण हुआ. जिन-जिन महान पुरुषों ने संविधान बनाया है, उनकी आत्मा हमें आशिर्वाद दे रही होगी.
- आतंकवाद नासूर बनकर देश के सीने पर गोलियां चलाता रहता था. मां भारती की धरा आए दिन रक्तरंजीत हो जाती थी. देश के अनेक वीर, होनहार लोग आतंकवाद के कारण बलि चढ़ जाते थे. हमने आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कानून बनाए. इसी सदन ने बनाए. मुझे विश्वास है कि उसके कारण जो लोग ऐसी समस्याओं से जूझते हैं, उनको एक बल मिला है. भारत को पूर्ण रूप से आतंकवाद मुक्ति का एक ऐहसास हो रहा है और वो सपना भी सिद्ध होकर रहेगा.
- हम 75 साल तक अंग्रजों की दी हुई दंड संहिता में जीते रहे हैं. हम गर्व से नई पीढ़ी को कहेंगे कि देश 75 साल भले दंड संहिता में जिया लेकिन आने वाली पीढ़ी न्याय संहिता में जिएगी.
- नए सदन की भव्यता तो है ही, लेकिन इसका प्रारंभ एक ऐसे काम से हुआ, जो भारत के मूलभूत मान्यताओं को बल देता है और वो नारी शक्ति वंदन अधिनियम है. जब भी इस नए सदन की चर्चा होगी, तो नारी शक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र होगा. इस नए सदन की पवित्रता ऐहसास उसी पल शुरू हो गया था, जो हम लोगों को एक नई शक्ति देने वाला है और उसी का परिणाम है कि आने वाले समय में जब बहुत बड़ी मात्रा में सदन में देश की माताएं-बहनें बैठी होंगी.
- तीन तलाक पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, कितने उतार-चढ़ाव से हमारी मुस्लिम बहनें इंतजार कर रही थी. आदलतों ने उनके पक्ष में निर्णय दिए थे, लेकिन वो हक उन्हें नहीं मिल रहा था. मुश्किलों से गुजारा हो रहा था. लेकिन तीन तलाक से मुक्ति तक बहुत महत्वपूर्ण और नारी शक्ति के सम्मान का काम 17वीं लोकसभा ने किया है. सभी माननीय सांसद, उनके विचार, उनके निर्णय कुछ भी रहा हो, कभी न कभी तो कहेंगे कि हां इन बेटियों को न्याय देने का काम हमने किया है.
- आने वाले 25 वर्ष हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. राजनीति की गहमा-गहमी अपनी जगह पर है. लेकिन देश की अपेक्षा, देश का सपना, देश का संकल्प ये बन चुका है, 25 साल वो हैं जो देश इच्छित परिणाम प्राप्त करके रहेगा. 1930 में जब महात्मा गांधी ने दांडी की यात्रा के जरिए नमक का सत्यग्रह किया था, घोषणा होने के पहले लोगों को सामर्थ्य नजर नहीं आया था. उस समय जो घटनाएं छोटी लगती थीं, लेकिन 1947 तक वो 25 साल का कालखंड था, जिसने देश के अंदर जज्बा पैदा कर दिया था कि अब तो आजाद होना है. मैं आज देश रहा हूं कि देश में वो जज्बा पैदा हुआ है. हर गली-मोहल्ले में हर बच्चे के मुंह से निकला है कि 25 साल में हम विकसित भारत बनाकर रहेंगे. इसलिए ये 25 साल देश की पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण कालखंड हैं.
- चुनाव बहुत दूर नहीं हैं. कुछ लोगों को थोड़ी घबराहट रहती होगी. लेकिन ये लोकतंत्र का आवश्यक पहलू है, हम सब उसको गर्व से स्वीकार करते हैं और मुझे विश्वास है कि हमारे चुनाव भी देश की शान बढ़ाने वाले अवश्य रहेंगे. कभी-कभी हमारे ऊपर हमले भी इतने मजेदार रहे हैं कि हमारी भीतर की शक्ति भी खिलकर निकली है. मुझ पर परमात्मा की कृपा रहेगी कि जब मुझ पर चुनौती आती है तो और आनंद आता है. हर चुनौती का हम सामना कर पाए हैं.
- आज राम मंदिर को लेकर जो इस सदन ने प्रस्ताव पारित किया है, वे देश की भावी पीढ़ी को इस देश के मूल्यों पर गर्व करने की संवैधानिक शक्ति देगा. ये सही है कि हर किसी में सामर्थ्य नहीं होता है ऐसी चीजों में हिस्सा लेने का. कोई हिम्मत दिखाते हैं, कोई मैदान छोड़कर भाग जाते हैं. फिर भी आज जो बातें रखी गई हैं उनमें संवेदना है, सामर्थ्य है, संकल्प है, सबका साथ सबका विकास है. हम भावी पीढ़ी के लिए कुछ न कुछ अच्छा करते रहेंगे.