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शहरी बेरोजगारों को नौकरी, यूनिवर्सल इनकम का बेनिफिट, यूथ के लिए ये है मोदी सरकार का एजेंडा

कोरोना के बाद दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही है. इस बीच मोदी सरकार को शहरी बेरोजगारों को नौकरी, जरूरतमंदों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने की स्कीम लाने का सुझाव मिला है.

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पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूनिवर्सल बेसिक इनकम की बात सबसे पहले साल 2017 में उठी थी
  • राहुल गांधी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाया था

बेरोजगारी और इनकम गैप्स की समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए, इसपर मोदी सरकार काम कर रही है. इस बीच पीएम को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने वाली कमेटी ने कुछ सुझाव दिये हैं. Economic Advisory Council (EAC-PM) ने सुझाव दिया है कि मोदी सरकार को शहरी बेरोजगारों की नौकरी देने के लिए कोई योजना लॉन्च करनी चाहिए. इसके साथ-साथ इनकम गैप्स को कम करने के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) स्कीम पर काम होना चाहिए.

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रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि न्यूनतम आय को बढ़ाने के साथ-साथ सरकार को सोशल सेक्टर पर खर्च भी बढ़ाना चाहिए, जिससे अचानक आने वाले आर्थिक झटकों और लोगों को गरीबी की तरफ जाने से रोका जा सके.

The State of Inequality in India नाम से यह रिपोर्ट EAC के चेयरमैन बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy) ने बुधवार को पेश की है.

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रिपोर्ट पेश करते हुए बिबेक देबरॉय ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरों को मिलने वाले काम कर विचार करना होगा. क्योंकि शहर में मनरेगा (MGNREGS) जैसी स्कीम के समकक्ष जो चीजें हैं उसमें जरूरत के हिसाब से काम मिलता है जिससे दिक्कत होती है.

इसके साथ-साथ बिबेक देबरॉय ने न्यूनतम आय को बढ़ाने और यूनिवर्सल बेसिक इनकम देने की शुरुआत करने की भी गुजारिश की.

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बिबेक देबरॉय ने आय असमानता पर भी चिंता जाहिर की. वह बोले कि भारत में हम कभी भी व्यापक डेटा नहीं जुटा पाए. हमारे पास कभी ऐसा कोई डेटा नहीं होगा जिससे आय असमानता को मापा जा सके.

2017 में आया था यूनिवर्सल बेसिक इनकम का आइडिया

बताया गया कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम का आइडिया पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने वित्त वर्ष 2017 के इकोनॉमिक सर्वे में दिया था. कहा गया था कि इसको सब्सिडी ट्रांसफर करने के बदले लाया जा सकता है.

उस वक्त साल 2018 में खबरें भी आई थीं कि केंद्र सरकार Universal Basic Income स्कीम लाने जा रही है, जिसके दायरे में किसान, व्यापारी और बेरोजगार युवा शामिल होंगे. इस योजना के तहत देश के हर नागरिक को 2,000 से 2,500 रुपये तक हर महीने मिलने की बात कही जा रही थी. लेकिन फिर यह स्कीम धरातल पर नहीं उतरी.

हालांकि, तब वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने कहा था कि वह आइडिया को सपोर्ट करते हैं लेकिन यह राजनीतिक रूप से संभव नहीं होगा. क्योंकि ऐसे में संसद में नेता खड़े होकर मांग करेंगे कि मौजूदा सब्सिडी को बंद ना किया जाए.

उसी बीच अक्टूबर 2017 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने भी UBI स्कीम का समर्थन किया था. कहा गया था कि ऐसा खाने और तेल पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करके किया जा सकता है. फिर साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने भी UBI का जिक्र किया था. सरकार बनने पर उन्होंने इसे लागू करने का वादा किया था.

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