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रूस, चीन, पाकिस्तान, ट्रंप, गुजरात दंगे और AI... लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में PM मोदी के इंटरव्यू की 10 बड़ी बातें

लेक्स फ्रिडमैन से चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मेरी ताकत मोदी नहीं 140 करोड़ देशवासी, हजारों साल की महान संस्कृति मेरा सामर्थ्य है. मैं जहां भी जाता हूं, मोदी नहीं जाता है, हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोगों, उनके सपनों को लेकर, उनकी आकांक्षाओं को लेकर निकलता हूं. इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता बल्कि 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है. तो सामर्थ्य मोदी का नहीं भारत का है.

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पीएम मोदी अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से बातचीत करते हुए
पीएम मोदी अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से बातचीत करते हुए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकी AI रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman) के साथ तीन घंटे 17 मिनट की लंबी बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान, चीन, रूस समेत वैश्विक राजनीति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के उनके जीवन पर प्रभाव जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा की. 

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लेक्स फ्रिडमैन से चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मेरी ताकत मोदी नहीं 140 करोड़ देशवासी, हजारों साल की महान संस्कृति मेरा सामर्थ्य है. मैं जहां भी जाता हूं, मोदी नहीं जाता है, हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोगों, उनके सपनों को लेकर, उनकी आकांक्षाओं को लेकर निकलता हूं. इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता बल्कि 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है. तो सामर्थ्य मोदी का नहीं भारत का है.

पीएम मोदी ने कहा कि जब भी हम शांति की बात करते हैं तो विश्व हमें सुनता है. क्योंकि ये बुद्ध की भूमि है, महात्मा गांधी की भूमि है. हम संघर्ष के पक्षधर है ही नहीं बल्कि हम समन्वय के पक्ष के हैं. हम ना प्रकृति से संघर्ष चाहते हैं, ना राष्ट्रों के बीच संघर्ष चाहते हैं. हम समन्वय चाहने वाले लोग हैं और अगर हम इसमें कोई भूमिका अदा कर सकते हैं तो हमने अदा करने का प्रयास किया है.

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भारत-चीन के रिश्तों पर क्या बोले PM मोदी?

फ्रिडमैन के साथ इस बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने चीन के साथ भारत के संबंधों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि जब दो पड़ोसी होते हैं तो मतभेद होना स्वाभाविक है. ऐसे में बातचीत ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि मतभेद विवाद में तब्दील ना हो. 

फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से सवाल किया कि आप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक-दूसरे को दोस्त मानते हैं. हाल के तनावों को कम करने और चीन के साथ संवाद और सहयोग को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए उस दोस्ती को कैसे फिर से मजबूत किया जा सकता है? इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों की संस्कृतियां और सभ्यताएं प्राचीन हैं. आधुनिक दुनिया में भी, दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. यदि आप ऐतिहासिक अभिलेखों को देखें, तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखते रहे हैं. और दोनों मिलकर दुनिया की भलाई के लिए काम करते रहे हैं. 

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय पर, भारत और चीन दुनिया के जीडीपी का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा थे. इतना बड़ा योगदान भारत का रहा है. और मैं मानता हूं कि इतने सशक्त संबंध हमारे रहे हैं. इतने गहरे सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. पहले की सदियों में हमारे बीच में संघर्ष का इतिहास नहीं है. हमेशा एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को समझने के बारे में इतिहास रहा है. एक समय में, बौद्ध धर्म का चीन में गहरा प्रभाव था. हम भविष्य में भी इन संबंधों को मजबूत रखना चाहते हैं. बेशक, मतभेद स्वाभाविक हैं, जब दो पड़ोसी देश होते हैं, तो कभी-कभी मतभेद होना लाजिमी है. यहां तक ​​कि एक परिवार में भी होता है. लेकिन हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि ये मतभेद विवाद में न बदले. हम इसी दिशा में सक्रिय रूप से काम करते हैं. कलह के बजाय, हम बातचीत पर जोर देते हैं, क्योंकि केवल बातचीत के माध्यम से ही हम एक स्थिर, सहयोगी संबंध बना सकते हैं.

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रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच शांति का संदेश

लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी से पूछा कि आपने इस बारे में बात की है कि आपके पास दुनिया में शांति स्थापित करने का सामर्थ्य है, अनुभव है, जियोपॉलिटिकल दबदबा है. आज जबकि दुनियाभर में कई युद्ध हो रहे हैं, आप पीसमेकर बन रहे हैं. क्या आप बता सकते हैं कि आप दुनिया में शांति कैसे स्थापित करेंगे? दो देशों के युद्धों के बीच शांति कैसे लाएंगे, उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन.

इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जो भगवान बुद्ध की भूमि है, जो महात्मा गांधी की भूमि है और ये ऐसे महापुरुष हैं जिनके उपदेश जिनकी वाणी और व्यवहार पूरी तरह से शांति को समर्पित हैं इसलिए सांस्कृतिक रूप से हमरा बैकग्राउंड मजबूत है, जब हम शांति की बात करते हैं तो हम विश्व हमें सुनता है क्योंकि ये बुद्ध और महात्मा बुद्ध की भूमि है. मेरे रूस के साथ ही घनिष्ठ संबंध हैं और यूक्रेन के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं. मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठकर कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है और मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी मित्रवत तरीके से कहता हूं कि भाई, दुनिया कितनी भी आपके साथ क्यों न खड़ी हो जाए, युद्ध के मैदान में कभी समाधान नहीं निकलेगा. समाधान तभी निकलेगा जब यूक्रेन और रूस दोनों बातचीत की मेज पर आएंगे.

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भगवान पाकिस्तान को सद्बुद्धि दे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 1947 से पहले सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. उसी समय जो भी नीति निर्धारक लोग थे उन्होंने भारत के विभाजन को स्वीकार किया. भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रखकर बड़ी पीड़ा के साथ इसे भी मान लिया कि मुसलमानों को अपना देश चाहिए तो उन्हें दे दो. लेकिन इसका परिणाम भी तभी सामने आ गया. लाखों लोग कत्लेआम में मारे गए. पाकिस्तान से ट्रेनें भर-भरकर लाशें आने लगीं. बहुत डरावने दृश्य थे. लेकिन पाकिस्तान ने भारत का धन्यवाद करने और सुख से जीने की बजाय संघर्ष का रास्ता चुना. अब प्रॉक्सी वॉर चल रहा है. ये कोई विचारधारा नहीं है, टेररिस्टों को एक्सपोर्ट करने का काम चल रहा है.

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पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में कहा कि दुनिया में कहीं पर भी आतंकवाद की घटना घटती है तो कहीं न कहीं पाकिस्तान कनेक्शन सामने आता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में 9/11 की बड़ी घटना हुई. इसका मुख्य सूत्रधार ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था. दुनिया पहचान गई है कि पाकिस्तान दुनियाभर के लिए परेशानी का केंद्र बन चुका है. हम लगातार कह रहे हैं कि आप आतंकवाद के रास्ते को छोड़ दीजिए, ये सरकारी आतंकवाद है जो बंद होना चाहिए. सब कुछ आतंकवादियों के हाथ में छोड़ दिया है, इससे किसका भला होगा?

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उन्होंने कहा कि शांति के प्रयासों के लिए मैं खुद लाहौर चला गया था. मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने मेरे शपथ समारोह में पाकिस्तान को स्पेशल इन्वाइट किया था ताकि एक शुभ शुरुआत हो. लेकिन हर बार अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला. हम उम्मीद करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिलेगी. वहां की आवाम भी नहीं चाहती होगी कि ऐसी जिंदगी जिएं.

संघ से मुझे जीवन के संस्कार मिले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की उनके जीवन में अहम भूमिका, समाज में इसके योगदान और अपने व्यक्तिगत अनुभवों पर विस्तार से चर्चा की. लेक्स ने उनसे सवाल पूछा कि जब आप आठ साल के थे, तब RSS में शामिल हो गए थे, जो हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का समर्थन करता है. क्या आप मुझे आरएसएस के बारे में बता सकते हैं? आप पर और आपके राजनीतिक विचारों के विकास पर उनका क्या प्रभाव पड़ा?

इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि बचपन से ही मुझे हमेशा किसी न किसी काम में लगे रहने की आदत थी. मुझे याद है कि मकोशी नाम का एक आदमी था, मुझे उसका पूरा नाम ठीक से याद नहीं है, मुझे लगता है कि वह सेवा समूह का हिस्सा थे. वह अपने साथ एक ढफली जैसा रखते थे. वह अपनी गहरी, दमदार आवाज में देशभक्ति के गीत गाते थे. जब भी वह हमारे गांव में आते थे तो अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम करते थे. मैं उनके पीछे पागलों की तरह दौड़ता रहता था, बस उनके गाने सुनने के लिए. मैं पूरी रात उनके देशभक्ति के गाने सुनता रहता था. मुझे इसमें मज़ा आता था, मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन बस मज़ा आता था.

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पीएम मोदी ने कहा कि सदस्यता के आकार के संदर्भ में, अगर मैं ऐसा कहूं तो हमारे पास भारतीय मज़दूर संघ है. इसके लगभग 50,000 संघ हैं, जिनके देश भर में लाखों सदस्य हैं. शायद, पैमाने के संदर्भ में, दुनिया में इससे बड़ा कोई मज़दूर संघ नहीं है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वे किस तरह का दृष्टिकोण अपनाते हैं. ऐतिहासिक रूप से, वामपंथी विचारधाराओं ने दुनिया भर में मज़दूर आंदोलनों को बढ़ावा दिया है. और उनका नारा क्या रहा है? 'दुनिया के मज़दूरों, एक हो जाओ', संदेश स्पष्ट था, पहले एकजुट हो जाओ, फिर बाकी सब हम संभाल लेंगे. आरएसएस प्रशिक्षित स्वयंसेवकों द्वारा संचालित श्रमिक संघ किसमें विश्वास करते हैं? वे कहते हैं, 'श्रमिकों ने दुनिया को एकजुट किया है.' दूसरे कहते हैं, 'दुनिया के श्रमिकों ने एक हो जाओ.' और हम कहते हैं, 'श्रमिकों ने दुनिया को एकजुट किया है.' यह शब्दों में एक छोटा सा बदलाव लग सकता है, लेकिन यह एक बहुत बड़ा वैचारिक परिवर्तन है. आरएसएस से आने वाले स्वयंसेवक अपने स्वयं के हितों, प्रकृति और प्रवृत्ति का पालन करते हैं और ऐसा करके वे इस तरह की गतिविधियों को मजबूत और बढ़ावा देते हैं. जब आप इन पहलों को देखेंगे, तो आप देखेंगे कि पिछले 100 साल में आरएसएस ने भारत की चकाचौंध से दूर रहकर एक साधक की तरह समर्पित भाव से काम किया है. मेरे सौभाग्य रहा कि ऐसे पवित्र सगंठन से मुझे जीवन के संस्कार मिले.

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गुजरात दंगों को लेकर भ्रम फैलाया गया

पीएम मोदी ने पॉडकास्ट के दौरान 2002 के गुजरात दंगों को लेकर कहा कि इसे बहुत बड़ा दंगा बताकर भ्रम फैलाया गया. जबकि इससे पहले भी गुजरात में दंगे होते रहते थे. आपने जिन पुरानी घटनाओं की बात की है, उससे पहले 12 से 15 महीनों की एक तस्वीर पेश करना चाहूंगा ताकि आप अंदेजा लगा सकें कि क्या स्थिति थी. उदाहरण के लिए, 24 दिसंबर, 1999, यानी लगभग तीन साल पहले की बात है. काठमांडू से दिल्ली जाने वाली एक भारतीय उड़ान को हाईजैक कर अफगानिस्तान ले जाई गई. सैकड़ों भारतीय यात्रियों को बंधक बना लिया गया. पूरे भारत में भारी उथल-पुथल मचा दी, क्योंकि लोगों को जीवन-मरण का सवाल था. फिर, वर्ष 2000 में, दिल्ली में लाल किले पर आतंकवादियों ने हमला किया. फिर से एक और संकट ने देश को झकझोर दिया. 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में ट्विन टावर्स पर बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसने एक बार फिर पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया. सभी जगह हमले करने वाले एक ही प्रकार के लोग हैं.

ट्रंप से दोस्ती और हाउडी मोदी कार्यक्रम पर क्य बोले पीएम मोदी

अमेरिका के मशहूर पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने मजबूत रिश्तों पर भी चर्चा की. एक दोस्त और नेता के रूप में ट्रंप के बारे में क्या पसंद है? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने एक पुरानी घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हमारा ह्यस्टन में एक कार्यक्रम था 'हाउडी मोदी'. मैं और राष्ट्रपति ट्रंप वहां मौजूद थे, पूरा स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था. इतने लोगों का एक जगह पर एकत्र होना अमेरिका में बहुत बड़ी घटना थी. मैंने वहां अपना भाषण दिया, तो ट्रंप नीचे बैठकर मुझे सुन रहे थे. ये उनका बडप्पन है कि अमेरिका के राष्ट्रपति स्टेडियम में नीचे बैठकर सुन रहे हैं और मैं मंच पर भाषण दे रहा हूं.

पीएम मोदी ने कहा कि भाषण देने के बाद मैं मंच से नीचे गया, और मैंने ट्रंप से कहा कि 'आइए, हम जरा स्टेडियम का एक पूरा चक्कर लगाकर आते हैं, इतने लोग हैं तो सभी से नमस्ते करके आते हैं, तो एक का भी विलंब किए बिना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप मेरे साथ भीड़ में चल पड़े'. इस दौरान अमेरिका का जो सुरक्षा तंत्र था वो एकदम से बैचेन हो गया. लेकिन ये मेरे दिल को छू गया कि इस व्यक्ति में बहुत हिम्मत है. ये निर्णय खुद लेते हैं और उन्हें मोदी पर भरोसा है कि मोदी लेकर जा रहा है तो साथ चलते हैं.

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जब ट्रंप पर गोली चली, तो मुझे एक ही ट्रंप नजर आए. स्टेडियम में मेरा हाथ पकड़कर चलने वाले ट्रंप और गोली लगने के बाद भी अमेरिका के लिए जीने वाले ट्रंप. पीएम मोदी ने कहा कि मैं 'भारत फर्स्ट' वाला हूं और ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' वाले हैं. तो हमारी जोड़ी बराबर जम जाती है. ट्रंप की ये बातें अपील करने वाली हैं.

जब पीएम मोदी ने सुनाया बचपन का वो किस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों की चर्चा की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मेरा जीवन अत्यंत गरीबी में बीता था. लेकिन हमने कभी गरीबी का बोझ महसूस नहीं किया. क्योंकि जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनता है, उसके पास जूते नहीं हैं तो उसे लगता है कि ये कमी है, लेकिन हमने तो कभी जिंदगी में जूते पहने ही नहीं थे. तो हमें क्या मालूम था कि जूते पहनना भी एक बहुत बड़ी चीज होती है. हम तो कंपेयर करने की हालत में ही नहीं थे, मेरी मां बहुत ही परिश्रम करती थीं. मेरे पिता बहुत परिश्रम करते थे.

पीएम मोदी ने कहा कि मेरे पिता बहुत अनुशासित थे, वे हर सुबह करीब 4 या 4:30 बजे घर से निकलते थे, लंबी दूरी तय करके कई मंदिरों में जाते थे फिर अपनी दुकान पर पहुंचते थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे पिता पारंपरिक चमड़े के जूते पहनते थे, जो गांव में हाथ से बनते थे, ये बहुत ही कठोर होते थे, चलते वक्त उन जूतों से टक-टक की आवाज आती थी, जब मेरे पिता दुकान पर जाते थे तो गांव के लोग कहते थे कि हम उनके कदमों की आवाज सुनकर ही समय का अंदाजा लगा लेते थे कि हां, दामोदर भाई जा रहे हैं. वह देर रात तक बिना थके काम करते थे ऐसा उनका अनुशासन था.

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पीएम मोदी ने बातचीत के दौरान कहा कि मुझे याद है कि मेरे तो कभी स्कूल में जूते पहनने का सवाल ही नहीं था. एक दिन में स्कूल जा रहा था, मेरे मामा रास्ते में मिल गए. उन्होंने कहा ' अरे! तू ऐसे स्कूल जाता है, जूते नहीं है'. तो उस समय उन्होंने कैनवास के जूते खरीदकर मुझे पहना दिए. तब उनकी कीमत 10-12 रुपए होगी. वह जूते कैनवास के थे उस पर दाग लग जाते थे, तो मैं ये करता था कि जब शाम को स्कूल की छुट्टी हो जाती थी, तो मैं थोड़ी देर स्कूल में रुकता था. और टीचर जो चॉकस्टिक का उपयोग करके उनके टुकड़े फेंक देते थे, उन्हें एकत्र करके घर ले आता था. उन चॉकस्टिक के टुकड़ों को भिगोकर, पॉलिश बनाकर कैनवास के जूते पर लगाकर चमकदार सफेद बना लेता था. मेरे लिए वही संपत्ति थी.

उपवास और हिंदू धर्म

अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताकर चौंका दिया कि वे बातचीत से पहले करीब दो दिनों से उपवास कर रहे थे. पॉडकास्ट की शुरुआत करते हुए फ्रीडमैन ने कहा, "मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैंने उपवास रखा है. अब वैसे 45 घंटे यानी दो दिन हो गए हैं. मैं सिर्फ पानी पी रहा हूं, खाना बंद है. मैंने ये इस बातचीत के सम्मान और तैयारी के लिए किया है ताकि हम आध्यात्म वाले तरीके से बात करें. इसके बाद उन्होंने पीएम मोदी से सवाल पूछा कि मैंने सुना है कि आप भी अक्सर काफी उपवास रखते हैं. क्या आप उपवास रखने का कारण बताएंगे? और इस समय आपके दिमाग की क्या स्थिति होती है?

इसके जवाब पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए बड़ा आश्चर्य है कि आपने उपवास रखा. और वो भी उस भूमिका से रखा कि जैसे मेरे सम्मान में हो रहा हो. मैं इसके लिए आपका बहुत आभार व्यक्त करता हूं. भारत में जो धार्मिक परंपराएं हैं, वो दरअसल, जीवनशैली हैं. हमारी सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू धर्म की बहुत बढ़िया व्याख्या की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू धर्म में किसी पूजा पद्धति का नाम नहीं है, लेकिन ये Way of Life है, जीवन जीने की पद्धति है. हमारे शास्त्रों में शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा, मनुष्य तत्व को किस प्रकार से ऊंचाई पर ले जाएं, इन सभी की चर्चा भी हैं, रास्ते भी हैं. परंपराएं हैं, व्यवस्थाएं हैं. उसमें एक उपवास भी है. उपवास ही सबकुछ नहीं है. भारत में, चाहे आप इसे सांस्कृतिक रूप से देखें या दार्शनिक रूप से, कभी-कभी, मैं देखता हूं कि अनुशासन के लिए उपवास एक तरीका है.

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पीएम मोदी ने कहा कि अगर मैं इसे सरल शब्दों में रखूं, या इसे उन दर्शकों को समझाऊं जो भारत से अपरिचित हैं, तो यह आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के संतुलन को लाने का एक शक्तिशाली साधन है. यह जीवन को गढ़ने में भी काम आता है. जब आप उपवास करते हैं, तो आपने देखा होगा, जैसा कि आपने कहा आप दो दिनों से पानी पर उपवास कर रहे हैं. आपकी जितनी इंद्रियां हैं, खास तौर पर सुगंध की हो, स्पर्श की हो, स्वाद की हो, ये इतनी जागरूक हो गई होगी कि आपकी पानी की भी सुगंध आती होगी. पहले कभी पानी पीते होंगे तो सुगंध को महसूस नहीं किया होगा. अगर कोई आपके पास से चाय लेकर गुजरता है, तो आप उसकी सुगंध को महसूस करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे आप कॉफी के साथ महसूस करते हैं. यानी आपकी सारी इंद्रियां एकदम से बहुत ही सक्रिय हो जाती हैं और उनकी निरीक्षण और प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ जाती है.

भारत के बिना AI अधूरा क्यों हैं?

इस बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने AI (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) पर भी अपने विचार रखे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया AI के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना AI अधूरा है. उन्होंने कहा कि यहां सभी एक-दूसरे की अपने अनुभव और ज्ञान से मदद कर सकता है. भारत सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा है, बल्कि विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई बेस्ड एप्लिकेशन को भी डेवलप कर रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीपीयू को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए हमारे पास एक अलग मार्केटप्लेस आधारित मॉडल पहले से मौजूद है. भारत में सोच में बदलाव आ रहा है, ऐतिहासिक कारण, सरकारी कार्यशैली या अच्छे सपोर्ट सिस्टम के कारण औरों को देर लगती होगी.

पीएम मोदी ने कहा कि जब 5G आया तो दुनिया को लगता था कि 5G में हम काफी पीछे हैं, लेकिन एक बार हमने शुरू किया तो आज हम दुनिया में सबसे तेज गति से 5जी पहुंचाने वाले देशों में से एक बन गए हैं. इंसानी इंटेलिजेंस के बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का फ्यूचर नहीं हो सकता और वो इंसानी इंटेलिजेंस भारत की युवा प्रतिभा में हैं. मैं समझता हूं कि इसकी बहुत बड़ी ताकत है. अमेरिका में टेक लीडर भारतीय मूल के हैं, जैसे सुंदर पिचाई, सत्या नडेला और अरविंद श्रीनिवास तो उनकी भारतीय पृष्ठभूमि की कौन सी ऐसी बात है जो उन्हें इतना सफल बनाती है इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि भारत के संस्कार ही ऐसे हैं कि जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों का सम्मान करना चाहिए.

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