अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में हुई झड़प के बाद इस मुद्दे पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस पार्टी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन से लगी सीमा पर स्थिति पर संसद में बहस से 'भागने' का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि इस मुद्दे पर जवाब प्रधानमंत्री मोदी को देना चाहिए न कि रक्षा मंत्री को. कांग्रेस ने भारत-चीन सीमा मुद्दे पर सरकार से सवाल किए और कहा कि देश उनसे जवाब मांगता है और इसका हकदार है.
एक बयान में, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दो साल की लंबी 'डिसइंगेजमेंट' के बाद पूछा, तवांग के यांग्त्से क्षेत्र में भारतीय चौकी पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए चीनियों को क्या उत्साहित किया. 1986 में सुमदोरोंग चू टकराव के दौरान पीएम राजीव गांधी ने वहां सेना तैनात की थी, तभी से भारत यांग्त्से पर हावी हो गया है, रमेश ने कहा और पूछा कि चीनियों ने एक नया मोर्चा खोलने की हिम्मत कैसे की. विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री 'चीन' शब्द का उच्चारण नहीं करते हैं और पूछा कि क्या सरकार उस देश के साथ 'घनिष्ठ संबंधों' के कारण 'चुप' थी.
1967 को भूल 1962 को क्यों याद करती है भाजपा?
भारत जोड़ो यात्रा के सुबह के चरण के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा 1962 के युद्ध को उठाती है, लेकिन यह भूल जाती है कि 1967 में चीन और भारत ने एक युद्ध लड़ा था जिसमें चीन की हार हुई थी और भारत की जीत हुई थी, जो इतिहास का हिस्सा भी है. रमेश ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1988 में चीन गए थे, 'तब हम सीमाओं पर मजबूत थे और उस यात्रा के बाद द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए.' लेकिन अप्रैल 2020 में यह सब खत्म हो गया और एक नया अध्याय खुल गया.
'पहले पीएम हैं मोदी जो संसद में जवाब देने से भाग गए'
जयराम रमेश ने दावा किया, 'प्रधानमंत्री ने उन्हें (चीन को) यह कहकर क्लीन चिट दे दी है कि 'कोई भी हमारे क्षेत्र में नहीं आया है और कोई भी हमारे क्षेत्र में नहीं है.' इस क्लीन चिट के कारण हमारी सौदेबाजी की स्थिति कम हो गई है. कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में बहस होनी चाहिए और प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए और विपक्ष के साथ चर्चा करनी चाहिए. लोकसभा और राज्यसभा में बहस होनी चाहिए और जवाब प्रधानमंत्री को देना चाहिए न कि रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री को. कई पूर्व प्रधानमंत्रियों ने संसद में जवाब दिया है. वह पहले प्रधानमंत्री हैं जो बहस से भाग गए और वह चीन शब्द का उच्चारण तक नहीं करते.
'पीएम को खुद देना चाहिए चीन पर जवाब'
कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार ने 'प्रधानमंत्री जी चीन पर चुप्पी तोड़ो, भारत जोड़ो' का नारा भी लगाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि यूपीए द्वारा पश्चिम बंगाल में अपना पहला डिवीजन स्थापित करने के बाद माउंटेन स्ट्राइक कोर को ठंडे बस्ते में क्यों डाल दिया गया.
उन्होंने आरोप लगाया, 'प्रधानमंत्री मोदी चीन पर जवाब देने से इनकार करते हैं और चीन पर बहस नहीं चाहते हैं. प्रधानमंत्री के चीन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं क्योंकि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो सी जिनपिंग चीन में एक शीर्ष पद पर थे. वे करीबी संबंध साझा करते थे.'
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि माउंटेन स्ट्राइक कोर का दूसरा डिवीजन जो पठानकोट में बनना था, वह इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि एक 'चीन-प्रेमी' प्रधानमंत्री सत्ता में आया था. जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन मुद्दे पर अपनी टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी पर भाजपा के हमले के बारे में पूछे जाने पर, खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने सिर्फ इस बात को उजागर किया था कि सरकार ने सशस्त्र बलों के हाथ बांध दिए हैं जो वीरता से भरे हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया, 'वीर सेना, कायर राजा (बहादुर सेना, कायर राजा)' यही देश की कहानी है.