भारत ने BRICS के विस्तार का समर्थन किया है. BRICS समिट में हिस्सा लेने जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम सहमति से सदस्य देश बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया. पीएम मोदी ने स्पेस रिसर्च समेत कई क्षेत्रों में BRICS देशों के बीच सहयोग का दायरा और बढ़ाने के लिए 5 सुझाव भी दिए. पीएम मोदी ने कहा, भारत BRICS की सदस्यता का विस्तार करने का पूरा समर्थन करता है.
जोहान्सबर्ग में BRICS समिट चल रहा है. इस समिट में ब्रिक्स समूह का विस्तार प्रमुख विषय है. दरअसल, 40 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि व्यक्त की है. इनमें से 23 देशों ने तो इसकी सदस्यता के लिए आवेदन भी किया है. आवेदन करने वाले देशों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अर्जेंटीना शामिल हैं. माना जा रहा है कि अगर इन देशों की एंट्री BRICS में होती है, तो ये शक्तिशाली सेंटर बनकर उभरेगा.
पीएम मोदी के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने BRICS के पूर्ण सत्र को संबोधित किया. उन्होंने भी ब्रिक्स के त्वरित विस्तार का समर्थन किया. शी जिनपिंग ने कहा, हमें वैश्विक शासन को और अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स परिवार में और भी देशों को शामिल कर समूह का विस्तार करने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि ब्रिक्स देश इसके विस्तार पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, उम्मीद है कि हम इस विषय का एक स्पष्ट समाधान ढूंढ लेंगे क्योंकि हमने इस विषय पर आपस में चर्चा की है. सूत्रों ने बताया कि ब्रिक्स देशों में नए देशों को चुनने के लिए आम सहमति बनाने में भारत की भूमिका अहम रही है.
ब्रिक्स के विस्तार पर हुई चर्चा
ब्रिक्स के विस्तार के मुद्दे पर मंगलवार शाम को लीडर्स रिट्रीट में विस्तार से चर्चा हुई. भारतीय सूत्रों के मुताबिक, हमारे प्रयास हमारे रणनीतिक साझेदारों को नए सदस्य के रूप में शामिल करने के लक्ष्य द्वारा दिशा निर्देशित हैं. पीएम मोदी ने भी यह उम्मीद जताई कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थाई सदस्यता के भारत के प्रस्ताव का सभी ब्रिक्स राष्ट्र समर्थन करेंगे.
मोदी ने 2016 में भारत द्वारा ब्रिक्स की अध्यक्षता करने का भी जिक्र किया. उन्होंने BRICS के अक्षरों के आधार पर इसे बिल्डिंग (निर्माण करना), इनक्लूसिव (समावेशी) और कलेक्टिव (सामूहिक) सॉल्यूशंस (समाधान) के रूप में परिभाषित किया था. पीएम मोदी ने कहा, 7 साल बाद हम कह सकते हैं कि ब्रिक्स–ब्रेक्रिंग बैरियर्स (बाधाओं को तोड़ना), रिविटलाइजिंग इकोनॉमीज (अर्थव्यवस्थाओं में नयी जान फूंकना), और शेपिंग द फ्यूचर(भविष्य को गढ़ना) होगा. ब्रिक्स के साझेदार देशों के साथ मिलकर हम इस नयी परिभाषा को सार्थक बनाने में सक्रियता से योगदान देना जारी रखेंगे.
अभी कितना मजबूत है ब्रिक्स?
- ब्रिक्स दुनिया की पांच सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं का ग्रुप है. ब्रिक्स का हर एक अक्षर एक देश का प्रतिनिधित्व करता है. ब्रिक्स में B से ब्राजील, R से रूस, I से इंडिया, C से चीन और S से साउथ अफ्रीका.
- 2006 में पहली बार ब्रिक देशों की बैठक हुई. उसी साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई तो इस समूह को 'BRIC' नाम दिया गया. ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की बैठक 2009 में रूस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई थी. इसके बाद 2010 में ब्राजील के ब्रासिलिया में दूसरी शिखर बैठक हुई. उसी साल इसमें साउथ अफ्रीका भी शामिल हुआ, तब ये BRIC से BRICS बन गया.
- ब्रिक्स में जो पांच देश शामिल हैं, वो सभी दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुईं अर्थव्यवस्थाएं हैं. इनकी दुनिया की जीडीपी में 31.5% की हिस्सेदारी है. ब्रिक्स के सभी पांच देशों में दुनिया की 41 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है. वैश्विक कारोबार में भी इनका 16 फीसदी हिस्सा है.
- इस बार की ब्रिक्स समिट के दो एजेंडा हैं. पहला- ब्रिक्स का विस्तार. दूसरा- ब्रिक्स देशों में अपनी करंसी में कारोबार. साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि हम ब्रिक्स के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करते हैं.