प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल के तीन देशों के दौरे में चीन को घेरने की रणनीति राष्ट्राध्यक्षों के टॉप एजेंडे में रही. पीएम मोदी ने बिना कूटनीतिक शोर किए कई प्लेटफॉर्म पर इंडो पैसिफिक रीजन में चीन के बढ़ते प्रभाव की ओर दुनिया के दिग्गजों का ध्यान आकर्षित कराया. हिरोशिमा में चाहे जी-7 हो या फिर क्वाड, न्यू पापुआ गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्वी में पैसिफिक क्षेत्र के 14 देशों के संगठन FIPIC (Forum for India-Pacific Islands Cooperation) हो या फिर ऑस्ट्रेलिया में पीएम अल्बानीज के साथ नरेंद्र मोदी की मीटिंग. हर एजेंडे में प्रधानमंत्री ने अपने समकक्षों को बढ़ते चीनी प्रभुत्व और विश्व राजनीति पर इसके असर की ओर ध्यान दिलाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब FIPIC की मीटिंग के दौरान कहा कि जिन्हें हम अपना विश्वसनीय मानते थे, पता चला कि जरूरत के समय वो हमारे साथ खड़े नहीं थे तो उन्हें एक बड़े अंतरराष्ट्रीय फोरम पर चीन का नाम लिए बिना उसकी नीतियों का पर्दाफाश कर दिया.
जी-7 से हुई चीन को घेरने की शुरुआत
यूं तो भारत ग्रुप-7 देशों का सदस्य नहीं है. लेकिन भारत को लगातार इस सम्मेलन में बुलाया जाता है और दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भारत की राय जानी जाती है. जी-7 देशों ने इस बार के अपने साझा बयान में चीन को गंभीर रूप से कठघरे में खड़ा किया है. जी-7 देशों ने कहा है कि वे ताइवान, पूर्वी और दक्षिण चीन सागरों पर चीन के आक्रामक रुख पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं.
जी-7 देशों ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ सहयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन साथ ही इस ऐतिहासिक संयुक्त विज्ञप्ति में दूसरे देशों के साथ चीन "दुर्भावनापूर्ण व्यवहार" और दबाव की रणनीति का मुकाबला करने पर भी जोर दिया.
जी 7 नेताओं ने तिब्बत, हांगकांग और झिंजियांग में मानवाधिकार का भी मुद्दा उठाया. इसके अलावा इस संयुक्त बयान में उइगुर मुसलमानों का भी मुद्दा है, जिनकी प्रताड़ना के आरोप चीन पर लगते रहते हैं.
जैसा कि तय था चीन को इस बयान से मिर्ची लगी. चीन ने इसकी आलोचना करते हुए जी-7 देशों के इस बयान को अपने आंतरिक मामलों में दखल बताया.
QUAD के मंच पर चीन को 'चपत'
हिरोशिमा में ही QUAD की बैठक एक बार फिर चीन को कठघरे में खड़ा किया गया. QUAD चार देशों का संगठन है- ये देश हैं भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका. हिरोशिमा से जारी अपने बयान में क्वाड नेताओं ने क्षेत्र में चीनी सेना की आक्रामक कार्रवाइयों के बीच, "अस्थिर करने वाली या एकतरफा कार्रवाइयों" का कड़ा विरोध करते हुए एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की. चीन पर हमेशा से आरोप रहा है कि वो बल या जबरदस्ती यथास्थिति को बदलने की कोशिश करता है. चीन क्षेत्रीय और वैश्विक ऑर्डर को हमेशा से अपने सैन्य और आर्थिक नीतियों से प्रभावित करने और बदलने की कोशिश करता रहता है.
हालांकि QUAD नेताओं ने सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन इसका इशारा स्पष्ट रूप से चीन की ओर था.
समंदर में चीन की बढ़ती गतिविधियों का जिक्र करते हुए भारत समेत QUAD ने चीन की ओर स्पष्ट संकेत करते हुए कहा कि समुद्र में आर्थिक गतिविधियां करते हुए अतंरराष्ट्रीय नियमों का पालन अनिवार्य है. इसके साथ ही समुद्र में ये जरूरी है कि कोई भी देश दूसरे देश को दबाने की कोशिश न करे.
QUAD ने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा, "हम विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण पर गंभीर चिंता जताते हैं. इसके अलावा कोस्ट गार्ड और नौसैनिक पोतों के इस्तेमाल के जरिये दूसरे देशों की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने की कोशिशों का भी विरोध करते हैं."
चीन के प्रभाव को कम करने के लिए QUAD नेताओं ने आशियान, द पैसिफिक आइलैंड फोरम और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन जैसे संगठनों को सक्रिय करने के लिए काम शुरू कर दिया है.
कहां है इंडो पैसिफिक रीजन
बता दें कि जिस इंडो-पैसिफिक रीजन में हम चीनी गतिविधियों की बात कर रहे हैं. उसे समझना जरूरी है.
इंडो-पैसिफिक रीजन में चार महाद्वीप आते हैं- एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका. दुनिया की लगभग 60 प्रतिशत आबादी इसी रीजन में निवास करती है. वहीं, आर्थिक रूप से भी यह रीजन काफी संपन्न है. कुल ग्लोबल इकोनॉमिक आउटपुट में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सेदारी इसी रीजन का है.
इंडो-पैसिफिक में दक्षिण चीन सागर सहित हिंद महासागर और पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर शामिल हैं.
अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाज़ी को देखते हुए एक स्वतंत्र, खुले और संपन्न इंडो-पैसिफिक रीजन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं.
चीन लगभग सभी विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं.
FIPIC के मंच पर पीएम मोदी का चीन से सवाल
QUAD के बाद अगला जो मंच था वो FIPIC का था जहां चीन की विस्तारवादी नीतियों पर पीएम मोदी ने सवाल उठाए. FIPIC संगठन भारत की कोशिशों का नतीजा है और कहीं न कहीं ये इंडो पैसिफिक रीजन में चीन को काउंटर करने की भारतीय रणनीति है. इसकी शुरूआत 2014 में मोदी की फिजी यात्रा के दौरान हुई थी. यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब चीन इस क्षेत्र में अपने सैन्य और राजनयिक प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास कर रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोर्सबी में 14 छोटे-छोटे देशों के संगठन FIPIC को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी तरह हम भी बहुपक्षवाद में विश्वास करते हैं और एक मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक का समर्थन करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हैं.
चीन की कर्ज देकर फंसाने वाली नीति से अलग लाइन लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत आपके डेवलेंपमेंट पार्टनर होने पर गर्व करता है. मानवीय सहायता हो या आपका विकास, भारत को आप भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देख सकते हैं और उस पर विश्वास कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संकट के दौरान भारत के मदद का जिक्र कर चीन के बरक्श इंडिया की लकीर काफी बड़ी कर दी. पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि 'कोरोना महामारी का असर सबसे ज्यादा ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ा. जिन्हें हम अपना विश्वसनीय मानते थे, पता चला कि जरूरत के समय वो हमारे साथ खड़े नहीं थे. मुझे खुशी है कि भारत मुश्किल घड़ी में अपने पैसेफिक आइलैंड मित्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा.
पीएम मोदी ने कहा कि जैसा मैने पहले भी कहा है कि मेरे लिए आप लार्ज ओसन कंट्री हैं, स्मॉल आइलैंड स्टेट्स नहीं. आपका यह महासागर ही आपको भारत को आपके साथ जोड़ता है.'
ऑस्ट्रेलिया से संदेश
पापुआ न्यू गिनी के बाद पीएम मोदी का अगला पड़ाव ऑस्ट्रेलिया था. ऑस्ट्रेलिया वो देश है जिसका कुछ देशों से चीन के साथ तनाव चल रहा है. दक्षिण चीन सागर में चीन और ऑस्ट्रेलिया का विवाद चलता रहता है. मई 2022 में चीन के एक फाइटर एयरक्राफ्ट ने आस्ट्रेलिया के मिलिट्री प्लेन खतरनाक तरीके से पीछा किया था. इसके अलावा दोनों देशों से एक दूसरे पर कई व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं.
ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन डेली को दिए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कहा था कि वे ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को नेक्स्ट लेवल तक ले जाना चाहते हैं ताकि दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा संबंध विकसित हो और एक मुक्त और खुला इंडो पैसिफिक का निर्माण किया जा सके. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र में भारत के रोल की चर्चा करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत एक स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए एक प्रतिबद्ध हैं. इस विजन का समर्थन करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.