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सुरंग से रेस्क्यू किए गए मजदूरों को पीएम मोदी ने किया फोन, जाना हालचाल

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन की दुनियाभर की मीडिया में चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मजदूरों से फोन पर बात कर उनका हालचाल जाना.

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टनल से रेस्क्यू किए गए मजदूरों से पीएम मोदी ने की बात
टनल से रेस्क्यू किए गए मजदूरों से पीएम मोदी ने की बात

उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को 17 दिन की मशक्कत के बाद मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इन मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के बाद एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका हेल्थ चेकअप किया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मजदूरों से फोन पर बात कर उनका हालचाल जाना.

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इससे पहले मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाले जाने पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है. टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है. मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं."

पीएम ने आगे कहा, "यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे. इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है. मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं. उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है. इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है."

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12 नवंबर से फंसे थे मजदूर

ये हादसा दिवाली के दिन यानी 12 नवंबर को हुआ था. ये मजदूर इसी सुरंग में काम कर रहे थे. तभी सुरंग धंस गई और मजदूर 60 मीटर लंबी मलबे की दीवार के पीछे धंस गए. उसके बाद से ही इन मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेजी से ऑपरेशन चलाया जा रहा था.

26 नवंबर से रैट माइनर्स ने शुरू किया ऑपरेशन

सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रविवार यानी 26 नवंबर को साइट पर 6 'रैट होल' माइनर्स की एंट्री होती है. इन रैट माइनर्स को प्राइवेट कंपनी ट्रेंचलेस इंजिनियरिंग सर्विसेज की ओर से बुलाया गया. ये दिल्ली समेत कई राज्यों में वाटर पाइपलाइन बिछाने के समय अपनी टनलिंग क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं. उत्तरकाशी में इनके काम करने का तरीका 'रैट होल' माइनिंग से अलग था. इस काम के लिए केवल वही लोग बुलाए गए थे जो टनलिंग में माहिर हैं.

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