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उदयनिधि स्टालिन के गढ़ में मोदी की रामपूजा... जानिए जिन तीन मंदिरों में जाएंगे उनका क्या है पौराणिक महत्व

उदयनिधि स्टालिन के गढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जनवरी को अलग-अलग प्रमुख मंदिरों के दर्शन करेंगे. पीएम मोदी सुबह 11 बजे तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर जाएंगे, यहां वो कम्ब रामायणम के छंदों का पाठ सुनेंगे. इसके बाद करीब 2 बजे रामेश्वरम पहुंचेंगे और श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा करेंगे.

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तमिलनाडु के प्रमुख मंदिरों में जाएंगे पीएम मोदी
तमिलनाडु के प्रमुख मंदिरों में जाएंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को सनातन धर्म पर विवादित बयान देने वाले डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के गढ़ में जाएंगे. यहां वो रामेश्वरम समेत भगवान राम से जुड़े हुए तीन मंदिरों में पूजा करेंगे. पीएम मोदी जिन मंदिरों में जाएंगे, उनका धार्मिक और पौराणिक महत्व क्या है, आइए जानते हैं- 

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प्रधानमंत्री मोदी 20 जनवरी को सुबह करीब 11 बजे तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इस मंदिर में पीएम मोदी विद्वानों से कम्‍ब रामायणम के छंदों का पाठ भी सुनेंगे. इसके बाद दोपहर करीब 2 बजे रामेश्वरम पहुंचेंगे और श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे. इस मंदिर में भी पीएम मोदी 'श्री रामायण पारायण' कार्यक्रम में भाग लेंगे.  

इस कार्यक्रम में 8 अलग-अलग पारंपरिक मंडलियां संस्कृत, अवधी, कश्मीरी, गुरुमुखी, असमिया, बांग्‍ला, मैथिली और गुजराती में रामकथा (श्री राम की अयोध्या वापसी के प्रसंग का वर्णन) का पाठ करेंगी.उसके बाद श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में प्रधानमंत्री भजन संध्या में भी शामिल होंगे. 

पीएम मोदी 21 जनवरी को धनुषकोडी के कोठंडारामस्वामी मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे. वे धनुषकोडी के पास अरिचल मुनाई भी जाएंगे, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर राम सेतु का निर्माण हुआ था. आइए जानते हैं, तमिलनाडु के जिन मंदिरों में प्रधानमंत्री मोदी जाएंगे, इनका पौराणिक महत्व क्या है- 

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श्री रंगनाथस्वामी मंदिर 

त्रिची के श्रीरंगम में स्थित यह मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिर परिसरों में से एक है. इसका उल्लेख पुराणों और संगम युग के ग्रंथों सहित विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. यह अपनी स्थापत्य भव्यता और अपने असंख्य प्रतिष्ठित गोपुरमों के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रंगनाथ स्वामी हैं, जो भगवान विष्णु के शयन रूप में हैं. वैष्णव धर्मग्रंथों में इस मंदिर में पूजी जाने वाली मूर्ति और अयोध्या के बीच संबंध का उल्लेख है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की जिस मूर्ति की पूजा श्री राम और उनके पूर्वज करते थे, उसे उन्होंने लंका ले जाने के लिए विभीषण को दे दी थी. रास्ते में यह मूर्ति श्रीरंगम में स्थापित कर दी गई.  

महान दार्शनिक और संत श्री रामानुजाचार्य भी इस मंदिर के इतिहास से गहराई से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा इस मंदिर में कई महत्वपूर्ण स्थान हैं - उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध कम्ब रामायणम को पहली बार तमिल कवि कंबन ने इसी मंदिर परिसर में सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया था.  

श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम 

इस मंदिर में पूजे जाने वाले मुख्य देवता श्री रामनाथस्वामी हैं, जो भगवान शिव का एक रूप हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मुख्य लिंगम की स्थापना और पूजा श्री राम और माता सीता ने की थी. यह मंदिर सबसे लम्‍बे गलियारे और अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. यह चार धामों बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम में से एक है. यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है.  

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कोठंडारामस्वामी मंदिर, धनुषकोडी 

यह मंदिर श्री कोठंडाराम स्वामी को समर्पित है. कोठंडाराम नाम का अर्थ धनुषधारी राम है. यह धनुषकोडी नामक स्थान पर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार श्री राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी. इसके बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां श्री राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था.

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