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मुस्लिम वोटबैंक का 85%, जानिए कौन हैं पसमांदा जिन्हें साधने के लिए PM मोदी ने भोपाल से चला दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से देश के कुल मुस्लिम वोटबैंक में 85 फीसदी वोट शेयर वाले पसमांदा समाज को साधने के लिए बड़ा दांव चल दिया है. पसमांदा मुस्लिम कौन हैं?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, उनसे संवाद किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया तो साथ ही 2024 के चुनाव को लेकर एक तरह से पार्टी का एजेंडा भी सेट कर दिया. पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम मुसलमान भाई-बहनों की तरफ देखते हैं, पसमांदा मुसलमानों को वोटबैंक की राजनीति करने वालों ने जीना मुश्किल करके रखा हुआ है. उनको तबाह करके रखा है.

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उन्होंने कहा कि उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का इतना शोषण किया है, लेकिन इसकी देश में कभी चर्चा नहीं हुई. उनकी आवाज सुनने को भी कोई तैयार नहीं. पीएम मोदी ने कहा कि जो पसमांदा मुसलमान है, उन्हें आज भी बराबरी का दर्जा नहीं मिला है. उन्होंने मोची, भठियारा, जोगी, मदारी, जुलाहा, लंबाई, तेजा, लहरी, हलदर जैसी पसमांदा जातियों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके साथ इतना भेदभाव हुआ है जिसका नुकसान उनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा.

पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी सरकार ने उन्हें भी पक्का घर, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा दे रही है. हम उनके पास भी विश्वास के साथ जाएंगे और उनके भ्रम दूर करेंगे. पीएम मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) और तीन तलाक का भी जिक्र किया. उन्होंने विपक्ष पर यूसीसी को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि हम उनका हर भ्रम दूर करने की कोशिश करेंगे.

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कौन हैं पसमांदा मुस्लिम

मुसलमानों में पसमांदा मुस्लिम सामाजिक और आर्थिक के साथ ही राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से भी काफी पिछड़े हैं. देश में मुसलमानों की कुल आबादी में करीब 85 फीसदी पसमांदा हैं जबकि15 फीसदी उच्च जाति के मुसलमानों की आबादी है. दलित और बैकवर्ड मुस्लिम, पसमांदा वर्ग में आते हैं. गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय में भी हिंदुओं की ही तरह जाति व्यवस्था है. पसमांदा मूल रूप से फारसी का शब्द है, जिसका मतलब होता है वो लोग जो सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. 

अगड़ी मुस्लिम जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत हैं. राजनीति की बात करें तो इस क्षेत्र में भी इन्हीं अगड़ी मुस्लिम जातियों का वर्चस्व रहा है. पसमांदा समाज हमेशा हाशिए पर ही रहा है और यही वजह है कि पीएम मोदी बार-बार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रहे हैं. बीजेपी को लगता है कि मुस्लिमों में बहुसंख्यक पसमांदा उपेक्षित रहा है और इसे कल्याणकारी सरकारी योजनाओं का लाभ देकर आसानी से करीब लाया जा सकता है.

पसमांदा मुस्लिम में कौन-कौन सी जातियां

मुसलमानों के ओबीसी तबके में कुंजड़े (राईन), जुलाहे (अंसारी), धुनिया (मंसूरी), कसाई चिकवा, कस्साब (कुरैशी), फकीर (अलवी), नाई (सलमानी), मेहतर (हलालखोर), ग्वाला (घोसी), धोबी, गद्दी, लोहार-बढ़ई (सैफी), मनिहार (सिद्दीकी), दर्जी (इदरीसी), वन-गुज्जर,गुर्जर, बंजारा, मेवाती, गद्दी, मलिक गाढ़े, जाट, अलवी, जैसी जातियां आती हैं. पसमांदा मुस्लिम भी तमाम जातियों में बंटा हुआ है और इन्हीं को बीजेपी के साथ जोड़ने पर पीएम मोदी बार-बार जोर दे रहे हैं.

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