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Modi govt cabinet expansion: ज्योतिरादित्य सिंधिया MP में आए बीजेपी के काम, मोदी कैबिनेट में बर्थ का मिला इनाम

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल 11 मार्च को कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामा था. सिंधिया के पार्टी छोड़ने की वजह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई और इसका इनाम उन्हें मिला है.

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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपी में बीजेपी सरकार बनाने में की थी मदद (file-PTI)
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपी में बीजेपी सरकार बनाने में की थी मदद (file-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया बने कैबिनेट मंत्री
  • सिंधिया पिछले साल मार्च में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में हुए थे शामिल
  • पार्टी छोड़ने की वजह से मध्य प्रदेश में गिर गई थी कमलनाथ सरकार

नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra modi) के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) में कई ऐसे नेताओं को शामिल किया गया है जो दूसरी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आए हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी के काम आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को अब उनका इनाम मिला है और उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है.

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पिछले साल मार्च में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट में शामिल किया गया है.

ज्योतिरादित्य ने पिछले साल 11 मार्च को कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामा था. सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह  फिर से मुख्यमंत्री बने थे.

टकराव की वजह से छोड़ी थी पार्टी

मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह से टकराव के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले साल 11 मार्च को बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनके साथ उनके ही खेमे के 20 से अधिक विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दिया.

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सिंधिया के समर्थक विधायकों के पार्टी छोड़ने की वजह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और गिर गई. शिवराज सिंह चौहान फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. कमलनाथ महज 15 महीने ही मुख्यमंत्री रहे.

पिछले साल जून में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा सांसद चुने गए. इससे पहले 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य कांग्रेस के टिकट पर अपनी पारंपरिक सीट गुना से लड़े थे, लेकिन बीजेपी के केपी सिंह यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

 

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