बीजेपी का इस वक्त पूरा फोकस यूपी पर है. चुनाव में सात महीने ही बचे हैं. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार से बड़ा मौका था कि यूपी के सियासी समीकरण फिट किए जाएं. इसलिए यूपी से सबसे ज़्यादा 7 मंत्री बनाए गए. इन सातों नए मंत्री का सेलेक्शन बहुत बारीकी से हुआ है. जातिगत समीकरण ध्यान में रखे गए हैं. जिसमें अलग अलग इलाकों का भी ध्यान रखा गया है. इन सातों चेहरों के बारे में हम आपको बताते हैं, और इनके ज़रिए कैसे चुनावी समीकरण सेट किए गए हैं, ये भी जानना बहुत दिलचस्प है.
मोदी कैबिनेट में यूपी के सात चेहरे-
1. अनुप्रिया पटेल,
2. पंकज चौधरी,
3. भानु प्रताप वर्मा,
4. बीएल वर्मा,
5. कौशल किशोर,
6. एसपी सिंह बघेल और
7. अजय मिश्र.
ये वो सात चेहरे हैं जिन्हें यूपी से टीम मोदी में जगह मिली है. लेकिन इन्हें ही क्यों चुना गया? इन्हें ही क्यों मंत्रिमंडल में जगह मिली? इस सवाल का जवाब इन सभी के सियासी प्रोफाइल और इनके बैकग्राउंड से मिल जाता है...
पंकज चौधरी
पहला नाम पंकज चौधरी का है. जिन्हें गोरखपुर के पार्षद से लेकर महाराजगंज के छह बार सांसद होने तक 32 साल का राजनैतिक अनुभव है. ऐसा माना जाता है कि महाराजगंज में बीजेपी का मतलब ही पंकज चौधरी हैं. वो कुर्मी समाज से आते हैं.
भानु प्रताप वर्मा
ऐसा ही एक दूसरा चेहरा भानु प्रताप वर्मा हैं. जो जालौन जैसे पिछड़े ज़िले से हैं. और 30 साल से बुंदेलखंड के इस इलाके में बीजेपी का झंडा बुलंद किए हैं. भानु प्रताप वर्मा जालौन से पांच बार के सांसद हैं. आज़ादी के बाद जालौन से दूसरी बार ही कोई मंत्री बना है. भानु प्रताप वर्मा बीजेपी के अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वो दलितों में कोरी समाज से आते हैं.
कौशल किशोर
दलित चेहरों में ही दूसरा नाम कौशल किशोर का है. जो लखनऊ के पास मोहनलालगंज से सांसद हैं. और बीजेपी के यूपी वाले जातिगत समीकरण में पूरी तरह से फिट बैठते हैं. क्योंकि कौशल किशोर पासी समाज से आते हैं. जो जाटव समाज के बाद दलितों में सबसे बड़ा वोटबैंक हैं. कौशल किशोर को 2013 में बीजेपी पार्टी में लाई थी. वो दो बार से सांसद हैं. ऐसे में कौशल किशोर और भानु प्रताप वर्मा जैसे नेताओं से दलित वोटों की गोलबंदी की कोशिश है. लेकिन जाति हो, या क्षेत्र हो, बारीकी से 2022 का ध्यान रखकर मंत्रिमंडल में यूपी से जगह दी गई है.
बीएल वर्मा
मोदी कैबिनेट में आने वाले यूपी के साथ चेहरों में एक नाम बीएल वर्मा का है. जिन्हें पिछले साल ही राज्यसभा में लाया गया था. बीएल वर्मा बदायूं के हैं. आरएसएस से जुड़े रहे हैं, और संगठन के पुराने व्यक्ति हैं. वो लोधी समाज से आते हैं. और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बहुत करीबी हैं. उनका रुहेलखंड और ब्रज इलाके में खासा प्रभाव देखने को मिलता है.
एसपी सिंह बघेल
बीएल वर्मा के साथ ही आगरा मंडल से एसपी सिंह बघेल को टीम मोदी में जगह मिली. एसपी सिंह बघेल आगरा से बीजेपी के सांसद हैं. इनकी सियासी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. 1989 में जब मुलायम सिंह यादव सीएम थे, तो एसपी सिंह बघेल उनकी सुरक्षा में तैनात थे. यहीं से उनकी किस्मत बदल गई. 1998 में उन्हें समाजवादी पार्टी का टिकट मिल गया. और वो विधानसभा चुनाव जीत गए. लेकिन बाद में वो बीएसपी में चले गए. बीएसपी ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भेज दिया. लेकिन उन्होंने बीएसपी भी छोड़ दी और बीजेपी में आ गए. यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो वो मंत्री बन गए. यानी पार्टी कोई भी हो, एसपी सिंह बघेल का प्रभाव हमेशा रहा है. और यही वजह है कि 2022 को ध्यान में रखकर ब्रज के इलाके से एसपी सिंह बघेल को टीम मोदी में शामिल किया गया.
अजय मिश्र और अनुप्रिया पटेल
इसी तरह से ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अजय मिश्र को कैबिनेट में जगह मिली है. जो लखीमपुर खीरी से बीजेपी के दो बार से सांसद हैं. इसके अलावा अनुप्रिया पटेल को एक बार फिर टीम मोदी में जगह मिली है. जो मिर्जापुर से सांसद हैं. इन सात चेहरों में सातों अलग अलग समाज के हैं. और अलग अलग इलाकों के हैं. इनको मोदी मंत्रिमंडल में लाकर यूपी का चुनावी गेम सेट कर दिया गया है.
अब इसे आप विस्तार और फेरबदल की ऐसी लहर कह सकते हैं, जिसमें खुद को सेफ समझ रहे लोग भी डूब गए. और जिन्हें हटाए जाने की चर्चा थी, वो बच गए. अश्विनी चौबे जैसे नाम इसमें शामिल हैं. लेकिन इस बड़े उलटफेर के बाद अब मोदी सरकार की नई कैबिनेट की शक्ल कैसे होगी? ये भी आपको बताते हैं. सबसे पहले अनुभव की बात करते हैं.
मंत्रिमंडल में दिग्गज शामिल
अब मंत्रिमंडल में 4 पूर्व मुख्यमंत्री हैं, 18 पूर्व राज्यमंत्री हैं, 39 पूर्व विधायक हैं. 23 ऐसे सांसद हैं जो 3 से ज्यादा बार लोकसभा में चुनकर पहुंचे हैं. 46 मंत्रियों को केंद्र सरकार के साथ पहले से ही काम करने का अनुभव है. कैबिनेट विस्तार में प्रोफेश्नल लोगों को ज्यादा तरजीह दी गई है. 43 मंत्रियों में से 31 उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. 13 वकील, 6 डॉक्टर, 5 इंजीनियर हैं. इसके अलावा 7 पूर्व नौकरशाह हैं. अब मोदी कैबिनेट में 7 मंत्री पीएचडी धारक, 3 एमबीए डिग्री धारक और 68 मंत्री गेजुएट हैं.
सियासत की सोशल इंजीनियरिंग
मोदी कैबिनेट की नई टीम की औसत उम्र 58 वर्ष है. इनमें 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से भी कम हैं. वहीं मंत्री परिषद में महिला सदस्यों की संख्या 11 हो गई है. नए मंत्रियों की टीम में SC-ST वर्ग का प्रतिनिधित्व रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से 12 नए मंत्री हैं. अनुसूचित जनजाति समुदाय से 8 सदस्य हैं. कैबिनेट विस्तार के बाद मोदी सरकार की टीम में कुल 27 ओबीसी नेता हैं. ऐसे में साफ़ जाहिर है कि ये सियासत की एक सोशल इंजीनियरिंग है.